वृश्चिक लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – mahalakshmi yoga consideration in scorpio/vrishchik

वृश्चिक लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Scorpio/Vrishchik

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • 3500 views
  • वृश्चिक लग्न की कुंडली में चंद्र नवम भाव के स्वामी हैं, एक योगकारक गृह बनते हैं । मंगल लग्नेश हैं और आठवें भाव के स्वामी हैं, इस वजह से मंगल एक अति योगकारक गृह बने । इस प्रकार चंद्र व् मंगल दोनों ही अपनी दशाओं में जातक को अधिकतर शुभ फल ही प्रदान करते हैं । इस लग्न कुंडली में चन्द्रमंगल दोनों ग्रहों के योगकारक स्वभाव की वजह से महालक्ष्मी योग अवश्य बनता है । कोशिश करते हैं जानने की वृश्चिक लग्न की कुंडली के विभिन्न भावों में चन्द्रमंगल की युति के कैसे परिणाम आ सकते हैं …




    वृश्चिक लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in first house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    वृश्चिक राशि चन्द्रमा की नीच राशि है । मंगल के साथ होने से चन्द्रमा का नीचता तो भंग हो जाती है परन्तु पहले, सातवें व् नौवें भाव सम्बन्धी शुभ फलों में वृद्धि नहीं कर पाते । मंगल अपनी दशाओं में अपने स्वामित्व वाले भावों के साथ साथ चौथे, सातवें व् आठवें भाव सम्बन्धी शुभ फलों में वृद्धिकारक होते हैं । वृश्चिक लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में महालक्ष्मी योग नहीं बनता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in second house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    द्वितीयस्थ मंगल व् चंद्र परिवार कुटुंब को/से लाभ पहुंचाते हैं । चंद्र सप्तम दृष्टि से रुकावटें दूर करते हैं । मंगल की चतुर्थ से पुत्र प्राप्ति का योग बनता है बनता है , जातक झगड़ालू हो सकता है, सातवीं दृष्टि से अष्टम भाव को देखने की वजह से रुकावटें दूर होती हैं, आठवीं दृष्टि से नवम भाव को देखकर विदेश यात्रा का योग बनाता है । महालक्ष्मी योग अवश्य बनता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in third house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में भी महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा । मंगल अपनी दशाओं में पराक्रम में वृद्धि करता है, परिश्रम करवाता है, जातक का काम यात्राओं से व् कड़ी मेहनत से जुड़ा हो सकता है, विदेश यात्राएं हो सकती हैं । चंद्र की दशाओं में भी परिश्रम में वृद्धि रहती है व् नौवें भाव सम्बन्धी शुभ फल प्राप्त होते हैं ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in fourth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    चन्द्रमंगल की दशाओं में जातक माता व् परिवार का सुख भोगता है । राज्य से लाभ प्राप्त करता है, उन्नति होने की सम्भावना बनती है । इसके अतिरिक्त मंगल अपनी दशाओं में बड़े भाई बहन व् बिज़नेस पार्टनर्स से भी लाभ प्राप्त होने का योग बनाते है । महालक्ष्मी योग अवश्य बनता है ।



    वृश्चिक लग्न की कुंडली में पंचम भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in fifth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में पंचम भाव में भी महालक्ष्मी योग अवश्य बनता है । चंद्र की दशा में पुत्री का योग बनता है । अचानक लाभ होते हैं, बड़े भाई बहन से भी लाभ प्राप्त होता है । मंगल पुत्र प्राप्ति का योग बनाते हैं । अचानक लाभ भी करवाता है, रुकावटों को दूर करके ससुराल पक्ष से भी लाभ करवाता है, बड़े भाई बहन की सपोर्ट मिलती रहती है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में छठे भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in sixth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    छठा भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ स्थित होने पर चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक पीड़ा ही भोगता देखा गया है । इस प्रकार छठे भाव में चन्द्रमंगल की युति से महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा । जातक को नौकरी करनी पड़ती है, परन्तु वह स्टेबल नहीं रहती है । विदेश में जॉब करनी पड़ सकती है । त्रिक भाव में महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में सातवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in seventh house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    मंगल की दशाओं में सातवें, दसवें, पहले व् दुसरे भाव सम्बन्धी शुभ फल प्राप्त होते हैं । चंद्र भी सप्तम व् प्रथम भाव सम्बन्धी शुभ फल प्रदान करता है । महालष्मी योग अवश्य बनता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में आठवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in eighth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    आठवाँ भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ स्थित होने पर चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक पीड़ा ही भोगता है । जातक मृत्यु तुल्य कष्ट भोगता है । ननिहाल पक्ष व् पिता से क्लेश बढ़ता है । यहाँ महालक्ष्मी योग नहीं बनता ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में नौवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in ninth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    नवम भाव जन्मकुंडली का एक शुभ भाव माना जाता है । परन्तु मंगल कर्क राशि में नीच अवस्था प्राप्त कर लेते हैं चन्द्रमा की साथ होने से मंगल की नीचता तो भंग हो जाती है परन्तु वो शुभ परिणाम बमुश्किल ही दे पाते हैं । यधपि चन्द्रमा यहाँ स्वराशिस्थ होते है, पर महालक्ष्मी योग नहीं बना पाते । चंद्र अपनी दशाओं में नौवें व् तीसरे भाव सम्बन्धी शुभ फल प्रदान करता है । जातक का भाग्य उसका साथ देता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में दसवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in tenth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    इस भाव में चंद्र मंगल की युति होने पर चन्द्रमंगल की महादशा में जातक के प्रोफेशन में उन्नति होती है और चतुर्थ, पंचम व् दशम भाव सम्बन्धी शुभ फल प्राप्त होते हैं । राज्य से लाभ प्राप्त होता है, सुखों में बढ़ौतरी होती है व् माता,पिता से अनबन रहती है । मंगल पहले, चौथे, पांचवें, दसवें भावों सम्बन्धी शुभ फल प्रदान करता है । यहाँ भी महालक्ष्मी योग बनता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in eleventh house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    मंगल व् चंद्र के ग्यारहवें भाव में स्थित होने पर महालक्ष्मी योग बनता है । लग्नेश मंगल ग्यारहवें भाव में स्थित है और चंद्र नौवें भाव के मालिक हैं और ग्यारहवें भाव में स्थित हैं तो मंगल धन की वृद्धि करते हैं और चंद्र भाग्य से उन्नति करवाता है । ऐसा जातक चंद्र की महादशा अन्तर्दशा में भी नौवें, ग्यारहवें व् पंचम भाव सम्बन्धी शुभ फल प्राप्त करता है । यदि चंद्र का बलाबल अधिक हो तो पुत्री प्राप्ति का योग बनता है यदि मंगल बलवान हो तो पुत्र का योग बनता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in twelth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा क्यूंकि बारहवां भाव भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक पीड़ा ही भोगता है ।

    ध्यान देने योग्य है की मंगल छह, आठ या बारहवें भाव में स्थित होने पर शुभ परिणाम दे सकते हैं यदि विपरीत राजयोग की स्थिति में आ जाएँ । आशा है की उपरोक्त विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ( Jyotishhindi.in ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Popular Post