वृश्चिक लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – gajkesari yoga consideration in scorpio/vrishchik

वृश्चिक लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – Gajkesari yoga Consideration in Scorpio/Vrishchik

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  • गजकेसरी योग का निर्माण गुरुचंद्र के योगकारक होकर किसी शुभ भाव में स्थित होने पर होता है । आसान भाषा में गजकेसरी योग की निर्मिति के लिए चंद्र और गुरु दोनों का योगकारक होना, और किसी शुभ भाव में युति बनाकर स्थित होना आवश्यक होता है । दोनों ही ग्रहों में जितना बल होता है उसी के अनुरूप यह योग अपना फल प्रदान करता है । दोनों ग्रहों में से एक भी गृह यदि अस्त हो जाए अथवा बलाबल की दृष्टि से बहुत कमजोर हो तो इस योग को पूर्णतया बना हुआ नहीं कहा जा सकता, न ही इस योग के शुभ फल ही प्राप्त हो पाते हैं ।




    वृश्चिक लग्न की जन्मपत्री में चंद्र नवमेश और गुरु द्वितीयेश, पंचमेश होकर योगकारक गृह बनते हैं । अतः दोनों ग्रहों की दशाएं जातक को शुभ फल प्रदान करने वाले हैं । वृश्चिक लग्न की जन्मपत्री में गजकेसरी योग अवश्य बनता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in first house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    प्रथम भाव में चन्द्र जातक अपनी नीच राशि वृश्चिक मी आ जाते हैं, जिस वजह से जातक को आवश्यकता से अधिक काल्पनिक बना देते हैं, ये जातक ऐसी चीजों को सच मान लेते हैं जिनका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं होता, भाग्य इनका साथ नहीं देता और लाइफ व् बिज़नेस पार्टनर्स के साथ इनकी अनबन हो जाती है । वहीँ गुरु की दशाओं में पहले, पांचवें, सातवें और नौवें भाव सम्बन्धी शुभ फलों में इज़ाफ़ा होता है । गुरु पुत्र संतान प्रदान करते हैं, धन धान्य में वृद्धिकारक होते हैं । चन्द्रमा के नीच राशि में आने की वजह से वृश्चिक लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गजकेसरी योग नहीं बनता ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in second house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    गुरु चंद्र की दशाओं में जातक को भाग्य का साथ प्राप्त होता है, रुकावटें दूर होती हैं, धन का आगमन होता है, प्रतियोगिता में जीत के योग बनते हैं, शुभ परिणाम आते हैं । वृश्चिक लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में गजकेसरी योग अवश्य बनता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in third house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    यहाँ गुरु नीच राशि में आ जाते हैं, चंद्र परिश्रम में वृद्धिकारक हो जाते हैं, दोनों ग्रहों की दशाओं में परिश्रम में वृद्धि होती है । गजकेसरी योग नहीं बनता ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in fourth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    गुरु व् चंद्र देव की दशाओं में जातक को परिवार का साथ प्राप्त होता है । सुख सुविधाओं में वृद्धि होती है । नए मकान, वाहन का योग भी बनता है । ऐसे जातक का माता से बहुत लगाव होता है । नौकरी व्यापार में उन्नति के योग बनते हैं । वृश्चिक लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में गजकेसरी योग बनता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में पंचम भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in fifth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    चंद्र गुरु की दशाओं में जातक स्ट्रांग रहता है । प्रेम संबंधों में सफलता हाथ आती है, अचानक कहीं से लाभ होने की संभावनाएं बनती हैं । जातक का स्वास्थ्य भी उत्तम रहता है । उच्च शिक्षा प्राप्ति के अथवा रिसर्च के योग बनते हैं । ऐसे जातक का संकल्प बहुत मजबूत होता है ।वृश्चिक लग्न की कुंडली में पंचम भाव में गजकेसरी योग बनता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में छठे भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in sixth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    त्रिक भावों में कोई योग नहीं बनता । कोर्ट केस में भी पैसा व्यय होने के चान्सेस बनते हैं । नौकरी/व्यापार में पैशानियाँ बढ़ती हैं ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में सातवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in seventh house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :



    चन्द्रमागुरु की दशाओं में व्यापार से लाभ के योग बनते हैं । गुरु की दशाओं में लाइफ पार्टनर और बिज़नेस पार्टनर के साथ संबंधों में मधुरता रहती है । साझेदारी के व्यापार से भी लाभ होता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में आठवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in eighth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    आठवाँ भाव त्रिक भाव में से एक होता है, शुभ नहीं कहा जाता है । इस भाव में गुरु चंद्र की युति से कोई योग नहीं बनता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में जातक मृत्यु तुल्य कष्ट भोगता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में नौवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in ninth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    चन्द्र्गुरु की नवम भाव में युति से जातक पिता की सुनता है, परिश्रम का फल भी प्राप्त होता है, यात्राओं से लाभ होता है, पुत्र प्राप्ति का योग अवश्य बनता है । चंद्र की दशाओं में यात्राएं होती हैं, यात्राओं से लाभ प्राप्त होता है। वृश्चिक लग्न की कुंडली में नौवें भाव में गजकेसरी योग बनता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में दसवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in tenth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    दोनों ग्रहों की दशाएं लाभ पहुँचाने वाली रहती हैं, प्रोफेशन में उन्नति होती है, माता से बनती है, धन का अभाव नहीं रहता है, स्वास्थ्य उत्तम रहता है, परिवार का साथ भी प्राप्त होता है । वृश्चिक लग्न की कुंडली में दसवें भाव में गजकेसरी योग बनता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in eleventh house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    चंद्र की दशाओं में पुत्री व् गुरु की दशाओं में पुत्र का योग बनता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में अचानक लाभ के योग बनते हैं, जातक को परिश्रम का उचित फल प्राप्त होता है । यदि गुरु में थोड़ा भी बल हो तो गुरु की दशाओं में जातक बहुत अधिक धन अर्जित करता है । वृश्चिक लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में गजकेसरी योग बनता है ।

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in twelth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

    बारहवां भाव त्रिक भावों में से एक होता है, शुभ नहीं माना जाता है । बारहवें भाव में गजकेसरी योग नहीं बनता । दोनों ग्रहों की दशाओं में व्यर्थ का व्यय लगा ही रहता है । कोर्ट केस में धन व्यय होने के योग बनते हैं ।

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