वृश्चिक लग्न की जन्मपत्री में किसी भी भाव में बुधादित्य योग नहीं बनता है । इसका मुख्य कारण बुद्ध गृह का अकारक होना होना है । बुद्ध लग्नेश मंगल के अति शत्रु हैं और साथ ही अष्टमेश, एकादशेश भी हैं । अपनी दशाओं में अशुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य है । हाँ यदि बुद्ध विपरीत राजयोग की स्थिति में आ जाएँ तो अपनी दशाओं में शुभ फल प्रदान कर सकते हैं । सूर्य दशमेश हैं और लग्नेश मंगल के अति मित्र भी हैं । इसलिए इस लग्न कुंडली में एक योगकारक गृह बनते हैं । अपनी दशाओं में शुभ फल प्रदान करते हैं । शुभाशुभ फल प्रदान करने के लिए दोनों ग्रहों में बल होना बहुत आवश्यक है । यदि गृह कमजोर हों, अशुभ भाव में स्थित हों या बुद्ध अस्त हो जाएँ ( जो अधिकतर जन्मपत्रियों में होता है ) तो शुभ परिणाम की केवल कल्पना ही की जा सकती है………
वृश्चिक लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in first house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :
प्रथम भाव में बुद्ध जातक का स्वास्थ्य खराब करते हैं, व्यापार में मुश्किलें आती है, भाग्य साथ नहीं देता है और पार्टनर्स से अशुभ फल प्राप्त होते हैं,बड़े भाई बहन से नहीं बनती । वहीँ सूर्य की दशाओं में स्वास्थ्य उत्तम रहने व् मैरिड लाइफ में सौहार्द रहता है और बिज़नेस पार्टनर्स से भी मुनाफा बढ़ता है, व्यापार नौकरी से लाभ की सम्भावना बनती है ।
वृश्चिक लग्न की कुंडली द्वितीय भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in second house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :
यही युति दुसरे भाव में होने पर भी बुद्धादित्य योग नहीं बनता । सूर्य की दशाओं में नौकरी व्यापार से लाभ होता है, साथ ही दुसरे व् आठवें भाव सम्बंधित शुभ फल प्राप्त होते हैं । द्वितीय भाव में बुद्धादित्य योग नहीं बनता है । बुद्ध की दशाओं में एक के बाद एक बाधाएं आती हैं और धन का आगमन होता रहता है ।
वृश्चिक लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in third house in Scorpio/Vrishchik kundli :
तृतीय भाव में सूर्य जातक की मेहनत में वृद्धि कर देते हैं । जातक का काम बहुत भाग दौड़ से जुड़ा होता है, पिता से लगाव रहता है, विदेश यात्राएं भी होती रहती हैं । विदेश यात्राओं से भी लाभ होता है । बुद्ध भी बहुत अधिक परिश्रम के बाद ही कुछ शुभ फल प्रदान करते हैं । बुद्ध की दशाओं में यात्राओं से लाभ न के बराबर मिलता है ।
वृश्चिक लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in fourth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :
बुद्ध की दशाओं में मकान, वाहन व् भूमि सम्बन्धी परेशानियां बढ़ती हैं । जातक का माता से भी मन मुटाव होता है, माता का स्वास्थ्य खराब रह सकता है, राज्य पक्ष से हानि के योग बनते हैं । वहीँ सूर्य अपनी दशाओं में घर परिवार सम्बन्धी सुख प्रदान करते हैं, व्यापार, नौकरी में उन्नतिदायक होते हैं, राज्य से लाभ प्रदान कराने वाले कहे जाते हैं । बुद्धादित्य योग नहीं बनता है ।
वृश्चिक लग्न की कुंडली में पंचम भाव में बुद्धादित्य योग Budhadityai yoga in fifth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :
बुद्ध की दशाओं में अचानक हानि, प्रेम संबंधों में असफलता के योग बनते हैं । जातक के स्वास्थ्य में भी उतार चढाव रहता है, बड़े भाई बहन से सम्बन्ध ठीक रहते हैं । वहीँ सूर्य प्रेम संबंधों में सफलतादायक होते है । अचानक लाभ की सम्भावना भी रहती है । लेकिन पंचम भाव में भी बुद्धादित्य योग नहीं बनता है। बुद्ध स्वयं नीच राशि में आ जाते हैं ।
वृश्चिक लग्न की कुंडली में छठे भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in sixth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :
त्रिक भाव में बुद्धादित्य योग नहीं बनता । कोर्ट केस, हॉस्पिटल में धन का व्यय होता है । नौकरी, व्यापार में परेशानियां झेलनी पड़ती हैं । भाग्य का साथ नहीं मिलता ।
वृश्चिक लग्न की कुंडली में सातवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in seventh house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :
सप्तम भाव में सूर्य बुद्ध की युति से सूर्य की दशाओं में पार्टनर्स से लाभ के चान्सेस बढ़ जाते है । व्यापार से लाभ होता है, स्वास्थ्य उत्तम रहता है । बुद्ध की दशाएं अशुभ फलदायक रहती हैं ।
वृश्चिक लग्न की कुंडली में आठवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in eighth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :
आठवाँ भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ भी बुद्धादित्य योग नहीं बनता । सूर्यबुद्ध की दशाओं में बड़े भाई बहन से वैमनस्य बढ़ता है, काम काज की स्थिति दिन बदिन बत्तर होती चली जाती है । बुद्ध विपरीत राजयोग की स्थिति में शुभ फल प्रदान करते हैं ।
वृश्चिक लग्न की कुंडली में नौवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in ninth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :
नौवें भाव में बुद्ध की दशाओं में यात्राओं से धन की हानि होती है । दोनों ग्रहों की दशाओं में विदेश यात्राओं के योग बनते हैं । सूर्य की दशाओं में जातक का भाग्य उसका साथ देता है । जातक धार्मिक व् पितृ भक्त भी होता है । बुद्ध की दशाएं अशुभ फलदायक होती हैं ।
वृश्चिक लग्न की कुंडली में दसवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in tenth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :
दसवें भाव में अपनी ही राशि में स्थित सूर्य की दशाओं में जातक उन्नति करता है । परिवार में शुभ होता है । बुद्ध की दशाओं में राज्य से हानि, माता से संबंधों में मधुरता नहीं रहती, माता का स्वास्थ्य खराब रह सकता है ।
वृश्चिक लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in eleventh house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :
यहाँ सूर्य के स्थित होने पर भाग्य पूरा साथ देता है, नौकरी, व्यापार में लाभ होता है । पुत्र प्राप्ति का योग भी बनता है । पंचम व् एकादश से रिलेटेड सभी लाभ प्राप्त होते हैं । प्रेम संबंधों में भी सफलता के योग बनते हैं । बुद्ध की दशाओं में संतान पक्ष से परेशानी, प्रेम संबंधों में असफलता, अचानक हानि होती है और जातक भी कुछ अस्वस्थ रहता है । बड़े भाई बहन से अच्छे सम्बन्ध रहते हैं , कहीं ना कहीं से लाभ के योग बनते हैं । बुद्ध आदित्य योग नहीं बनता ।
वृश्चिक लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in twelth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :
त्रिक भावों में से किसी भी भाव में यह योग नहीं बनता । जातक के स्वास्थ्य में परेशानी व् कोर्ट केस सम्बन्धी परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं । सूर्य की दशाओं में जातक के अस्वस्थ रहने के योग बनते हैं, हॉस्पिटल में खर्चा होता है । बुद्ध विपरीत राजयोग की स्थिति में शुभ फल प्रदान करते हैं ।
ध्यान दें राशियां, दृष्टियां भी ग्रहों व् योगों पर अपना प्रभाव रखती हैं । उन सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर ही किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए । बुद्ध के अस्त होने के चान्सेस बहुत अधिक होते हैं । यदि बुध अस्त अवस्था में हो तो किसी भी सूरत में यह योग बना हुआ नहीं समझना चाहिए ।
आशा है की उपरोक्त विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ( Jyotishhindi.in ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।