दैत्य गुरु शुक्र सुंदरता , सौम्यता और सभी प्रकार की लक्ज़री और सुख सुविधा प्रदान करने वाले गृह के रूप में जाने जाते हैं । लग्न कुंडली के चौथे भाव में शुक्र कोदिशा बल मिलता है । जिस जातक की कुंडली में शुक्र बलवान होता है उस पर माँ दुर्गा की विशेष कृपा जाननी चाहिए । वृष लग्न की कुंडली में अगर शुक्र बलवान ( डिग्री से भी ताकतवर ) होकर शुभ स्थित हो तो अधिकतर शुभ फ़ल ही प्राप्त होते हैं । इसके विपरीत लग्न कुंडली में शुक्र डिग्री में ताकतवर न हो तो इसकी शुभता मेंकमी आती है ।आइये जानते हैं वृष लग्न की कुंडली के १२ भावों में शुक्र कैसे परिणाम देते हैं :
मालव्य नाम का पंचमहापुरुष योग बनता है । जातक सभी सुख सुविधाओं से परिपूर्ण , बुद्धिमान , रूपवान होता है । पति / पत्नी सुंदर मिलता है । साझेदारी में लाभका योग बनता है ।
मधुर वाणी होती है । कुटुंब का सहयोग मिलता है । जातक अपनी वाणी , योग्यता से सभी रुकावटें दूर करने में सक्षम होता है ।
जातक मेहनती होता है , कोटि बहन का योग बनता है । पितृ भक्त और देस विदेश की यात्राएं करने वाला होता है ।
सुख सुविधाओं से परिपूर्ण , माता का सुख प्राप्त करता है। प्रोफेशनल लाइफ अच्छी रहती है ।
कन्या नीच शुक्र की नीच राशि है । संतान प्राप्ति में विलम्ब होता है , पेट खराब रहता है , बड़े भाई बहनों से परेशानी मिलती है , सही निर्णय लेने की क्षमता में कमीआती है , अचानक हानि की संभावना रहती है ।
प्रतियोगिता में जीत मिलती है , कोर्ट केस में देरी से विजय प्राप्त होती है , कोई ना कोई बीमारी लगी रहती है जो कुछ समय पश्चात ठीक हो जाती है । शुक्र स्वयंलग्नेश है , अतः विपरीत राजयोग नहीं बनता है ।
पति / पत्नी सुंदर मिलता है । दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है । साझेदारी में लाभ का योग बनता है ।
हर काम में रुकावट , देरी होती है , धन की कमी रहती है , कुटुंब का साथ नहीं मिलता है , बीमारियां लग सकती हैं ।
जातक पितृ भक्त , आस्तिक , विदेश यात्रा करने वाला , छोटे भाई बहन का ध्यान रखने वाला , बहुत मेहनती होता है ।
दसवें घर में आने से जातक सुख सुविधाओं से परिपूर्ण होता है , माता का सुख प्राप्त करता है। नौकरी / बिज़नेस में तरक्की होती है ।
बड़े भाई बहन से लाभ मिलता है , सभी इच्छाएं पूरी होती हैं ।
जातक शैया सुख प्राप्त करने वाला , खर्चीला होता है । कोई रोग लगने की संभावना रहती है जो कुछ समय पश्चात ठीक हो जाता है ।