तुला लग्न की जन्मपत्री में किसी भी भाव में बुधादित्य योग नहीं बनता है । इसका मुख्य कारण है सूर्य का एकादशेश होकर अकारक होना । बुद्ध लग्नेश शुक्र के मित्र होने के साथ साथ नवमेश व् द्वादशेश हैं । इस लग्न कुंडली में एक योगकारक गृह बनते हैं । यदि शुक्र बलवान हों और शुभ भाव में स्थित हों तो बुद्ध आठ अथवा बारहवें भाव में स्थित होकर भी शुभ फल प्रदान करते हैं ।
तुला लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in first house in Libra/Tula lgna kundli :
बुद्ध की दशाओं में जातक को स्वास्थ्य लाभ होता है, व्यापार में लाभ होता है, भाग्य साथ देता है और पार्टनर्स और विदेश यात्राओं से शुभ फल प्राप्त होते हैं । वहीँ सूर्य की दशाओं में स्वास्थ्य खराब रहने व् मैरिड लाइफ में कड़वाहट और बिज़नेस पार्टनर्स से भी वैमनस्य बढ़ता है, व्यापार से हानि की सम्भावना बनती है, बड़े भाई बहन से नहीं बनती । तुला राशि में सूर्य नीच के माने जाते हैं ।
तुला लग्न की कुंडली द्वितीय भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in second house in Libra/Tula lgna kundli :
यही युति दुसरे भाव में होने पर भी बुद्धादित्य योग नहीं बनता । सूर्य की दशाओं में धन लाभ तो होता है, साथ ही दुसरे व् आठवें भाव सम्बंधित अशुभ फल प्राप्त होते हैं । द्वितीय भाव में बुद्धादित्य योग नहीं बनता है । बुद्ध की दशाओं में बाधाएं दूर होती हैं और भाग्य साथ देता है, लाभ होता है ।
तुला लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in third house in Libra/Tula lgna kundli :
तृतीय भाव में सूर्य अशुभ फल प्रदान करते हैं । पिता से वैमनस्य बढ़ता है । विदेश यात्राओं से भी लाभ नहीं हो पाता । बुद्ध भी बहुत परिश्रम के बाद ही शुभ फल प्रदान करते हैं । पिता से बनती है, भाग्य साथ देता है परन्तु बुद्धादित्य योग नहीं बनता है ।
तुला लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in fourth house in Libra/Tula lgna kundli :
सुर्यबद्ध की दशाओं में मकान, वाहन व् भूमि सम्बन्धी परेशानियां बढ़ती हैं । जातक का माता से भी मन मुटाव होता है, माता का स्वास्थ्य खराब रह सकता है, राज्य पक्ष से हानि के योग बनते हैं । वहीँ बुध अपनी दशाओं में घर परिवार सम्बन्धी सुख प्रदान करते हैं, व्यापार, नौकरी में उन्नतिदायक होते हैं, राज्य से लाभ प्रदान कराने वाले कहे जाते हैं । भाग्य अवश्य साथ देता है, नए घर का योग भी बनता है । बुद्धादित्य योग नहीं बनता है ।
तुला लग्न की कुंडली में पंचम भाव में बुद्धादित्य योग Budhadityai yoga in fifth house in Libra/Tula lgna kundli :
सूर्य की दशाओं में अचानक हानि, प्रेम संबंधों में सफलता, बड़े भाई बहन से वैमनस्य के योग बनते हैं । जातक के स्वास्थ्य में भी उतार चढाव रहता है । वहीँ बुद्ध प्रेम संबंधों में सफलतादायक होते है । बुद्ध की दशाओं में बड़े भाई बहन से मधुर सम्बन्ध रहते हैं, भाग्य साथ देता है व् अचानक लाभ की सम्भावना भी रहती है । लेकिन पंचम भाव में भी बुद्धादित्य योग नहीं बनता है ।
तुला लग्न की कुंडली में छठे भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in sixth house in Libra/Tula lgna kundli :
त्रिक भाव में बुद्धादित्य योग नहीं बनता । कोर्ट केस, हॉस्पिटल में धन का व्यय होता है । नौकरी, व्यापार में परेशानियां झेलनी पड़ती हैं । भाग्य का साथ नहीं मिलता क्यूंकि बुद्ध स्वयं नीच राशि में आ जाते हैं ।
तुला लग्न की कुंडली में सातवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in seventh house in Libra/Tula lgna kundli :
सप्तम भाव में सूर्य बुद्ध की युति से सूर्य की दशाओं में पार्टनर्स से हानि के चान्सेस बढ़ जाते है । व्यापार से घाटा होता है, स्वास्थ्य खराब रहता है । बुद्ध की दशाएं शुभ फलदायक रहती हैं ।
तुला लग्न की कुंडली में आठवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in eighth house in Libra/Tula lgna kundli :
आठवाँ भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ भी बुद्धादित्य योग नहीं बनता । सूर्यबुद्ध की दशाओं में बड़े भाई बहन से वैमनस्य बढ़ता है, काम काज की स्थिति दिन बदिन बत्तर होती चली जाती है । बुद्ध विपरीत राजयोग की स्थिति में शुभ फल प्रदान करते हैं ।
तुला लग्न की कुंडली में नौवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in ninth house in Libra/Tula lgna kundli :
नौवें भाव में बुद्ध की दशाओं में यात्राओं से धन लाभ होता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में विदेश यात्राओं के योग बनते हैं । बुद्ध की दशाओं में जातक का भाग्य उसका साथ देता है । जातक धार्मिक व् पितृ भक्त होता है ।
तुला लग्न की कुंडली में दसवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in tenth house in Libra/Tula lgna kundli :
तुला लग्न की कुंडली में दसवें भाव में स्थित बुद्ध की दशाओं में जातक उन्नति करता है । परिवार में शुभ होता है । सूर्य की दशाओं में राज्य से हानि, माता से संबंधों में मधुरता नहीं रहती, माता का स्वास्थ्य खराब रह सकता है ।
तुला लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in eleventh house in Libra/Tula lgna kundli :
यहाँ बुद्ध के स्थित होने पर भाग्य पूरा साथ देता है, विदेश में जॉब के अवसर बनते हैं, व्यापार हो तो भी देश विदेश से लाभ होता है । पुत्री प्राप्ति का योग भी बनता है । पंचम व् एकादश से रिलेटेड सभी लाभ प्राप्त होते हैं । प्रेम संबंधों में भी सफलता के योग बनते हैं । सूर्य की दशाओं में संतान पक्ष से परेशानी, प्रेम संबंधों में असफलता, अचानक हानि, खराब स्वास्थ्य व् बड़े भाई बहन से भी संबंधों में खटास के योग बनते हैं । बुद्ध आदित्य योग नहीं बनता ।
तुला लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in twelth house in Libra/Tula lgna kundli :
त्रिक भावों में से किसी भी भाव में यह योग नहीं बनता । जातक के विदेश में नौकरी के योग तो बनते हैं, साथ ही स्वास्थ्य में परेशानी व् कोर्ट केस सम्बन्धी परेशानियां भी झेलनी पड़त सकती हैं । सूर्य की दशाओं में जातक का अस्वस्थ रहने के योग बनते हैं, हॉस्पिटल में खर्चा होता है । बुद्ध विपरीत राजयोग की स्थिति में शुभ फल प्रदान करते हैं ।
ध्यान दें …राशियां, दृष्टियां भी ग्रहों व् योगों पर अपना प्रभाव रखती हैं । उन सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर ही किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए । बुद्ध के अस्त होने के चान्सेस बहुत अधिक होते हैं । यदि बुध अस्त अवस्था में हो तो किसी भी सूरत में यह योग बना हुआ नहीं समझना चाहिए ।
आशा है की उपरोक्त विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ( Jyotishhindi.in ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।