वृश्चिक लग्न की कुंडली में गुरु दुसरे और पांचवें भाव के मालिक होकर एक योगकारक गृह बनते हैं, शुभ फल फल प्रदान करने के लिए बाध्य हैं । वहीँ राहु अपनी मित्र राशि में शुभ फलप्रदायक होते हैं और शत्रु राशि में अशुभ । राहु के मित्र राशिस्थ होने पर सम्बंधित भाव के स्वामी की … Continue reading