कुम्भ लग्न की जन्मपत्री में चंद्र षष्ठेश ( रोगेश ) होने के साथ साथ लग्नेश शनि के शत्रु भी हैं, एक अकारक गृह गिने जाएंगे । साथ ही गुरु द्वितीयेश, एकादशेश हैं, दो शुभ स्थानों के स्वामी होने की वजह से एक योगकारक गृह बनेंगे । जहाँ गुरु अपनी दशाओं में शुभ फल प्रदान करते … Continue reading