Tag Archives: वृश्चिक लग्न में 12 भावों में सूर्य

वृश्चिक लग्न की कुंडली में राहु – Vrishchik Lagn Kundali me Rahu

शनि देव की छाया कहे जाने वाले राहु कुंडली में शुभ स्थित होने पर जातक को मात्र भक्त, शत्रुओं का पूर्णतया नाश करनेवाला, बलिष्ठ , विवेकी, विद्वान, ईश्वर के प्रति समर्पित, समाज में प्रतिष्ठित व् धनवान बनाता है । इसके विपरीत यदि राहु लग्न कुंडली में उचित प्रकार से स्थित न हो तो अधिकतर परिणाम … Continue reading

वृश्चिक लग्न की कुंडली में केतु – Vrishchik Lagn Kundali me Ketu

वैदिक ज्योतिष में केतु को एक मोक्षकारक पापी , क्रूर , छाया गृह के रूप में देखा जाता है । जहां एक तरफ केतु को आध्यात्मिकता का कारक कहा गया है , वहीं केतु तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ के भी कारक है। इन्हें मंगल देवता जैसे परिणाम देने वाला भी कहा … Continue reading

वृश्चिक लग्न की कुंडली में शनि – Vrishchik Lagn Kundali me Shani (Saturn) :

  • Jyotish हिन्दी
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  • ज्योतिष विशेष
  • सूर्य-पुत्र शनि मकर और कुम्भ राशि के स्वामी हैं । मेष राशि मंदगामी शनि देव की नीच व् तुला उच्च राशि है । वृश्चिक लग्न कुंडली में मंदगामी शनि तृतीयेश , चतुर्थश होते हैं । अतः मंगल देव केअति शत्रु कहे जाने वाले शनि देव इस लग्न कुंडली में एक सम गृह हैं । इस … Continue reading

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में चंद्र – Vrishchik Lagn Kundali me Chander (Moon)

    भारत देश में प्रचलित पौराणिक ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार चंद्र मन , माता व् जल के कारक कहे गए हैं । शरीर में मौजूद ७४ – ७५ प्रतिशत जल को पूरी तरह से प्रभावित करने में चन्द्रमा पूरी तरह से सक्षम कहे गए हैं । स्वभाव से चंचल , ह्रदय से कोमल चंद्र देव वृष … Continue reading

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में गुरु – Vrishchik Lagn Kundali me Guru (Jupiter)

    भारत देश में प्रचलित पौराणिक ज्योतिष मान्यताओं में वृहस्पति को देवगुरु की उपाधि प्राप्त है। स्वभाव से साधू देव गुरु धनु व् मीन राशि के स्वामी हैं जो कर्क में उच्च व् मकर राशि में नीच के माने जाते हैं । वृश्चिक लग्न की कुंडली में गुरु द्वितीयेश , पंचमेश होकर एक कारक गृह के … Continue reading

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में मंगल – Vrishchik Lagn Kundali me Mangal (Mars)

    भारत देश में प्रचलित पौराणिक ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार मंगल देवताओं के सेनापति कहे जाते हैं । स्वभाव से क्रूर देव गृह मंगल मेष और वृश्चिक राशि केस्वामी हैं जो कर्क में नीच व् मकर राशि में उच्च के माने जाते हैं । वृश्चिक लग्न की कुंडली में मंगल लग्नेश, षष्ठेश होकर एक कारक गृह … Continue reading

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में शुक्र – Vrishchik Lagn Kundali me Shukra (Venus)

    भारत देश में प्रचलित पौराणिक ज्योतिष मान्यताओं में शुक्र देवता को दैत्य गुरु की उपाधि प्राप्त है । शुक्र देव कला, सौंदर्य, प्रेम, शैया सुख, वीर्य या जिन तत्वों से साधारण जन को ज़िंदगी ज़िंदगी सी प्रतीत होती है के कारक कहे गए हैं । जीवन में ग्लैमर के कारक हैं शुक्र देवता जैसे : … Continue reading

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में बुद्ध – Vrishchik Lagn Kundali me Budh (Mercury)

    भारत देश में प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बुद्ध देव बुद्धि , लेखन, व्यापार के कारक कहे जाते हैं । लग्न में बुद्ध को दिशा बल प्राप्त है । बुध कन्याराशि में उच्च और मीन राशि में नीच के होते हैं । वृश्चिक लग्न की कुंडली में मंगल के अति शत्रु बुद्ध अष्टमेश ( आठवें … Continue reading

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में सूर्य – Vrishchik Lagn Kundali me Soorya (Sun)

    भारत देश में प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव शरीर में आत्मा, हड्डियों, दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव वृश्चिक लग्न की कुंडली में दशमेश होकर एक कारक गृह होते हैं । अतः इस लग्न के जातक को लग्न कुंडली में सूर्य की शुभाशुभ स्थिति … Continue reading