भारतीय ज्योतिष में शनि देव कर्म फल दाता कहा गया है । शनि एक पापी और क्रूर गृह के रूप में प्रितिष्ठित हैं । परन्तु ये केवल उनके लिए अनिष्टकारी हैं जो अनैतिक, अमानवीय कृत्यों में ( जाने अनजाने ) लिप्त रहे हैं । अन्यथा एक साधारण मानव को देव तुल्य बना दें ऐसी क्षमता … Continue reading
भारतीय पौराणिक मान्यताओं में सूर्य को एक आत्म कारक देव गृह माना गया है । इन्हें ऐसे देव गृह कहा जाता है जो दृश्य हैं , जिसे हम प्रत्यक्ष देख सकते हैं । सूर्य देव शरीर में आत्मा , हड्डियों , दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । मेष लग्न कुंडली में सूर्य … Continue reading
मेष लग्न कुंडली में चंद्र चतुर्थ भाव का स्वामी होने से एक कारक गृह बनता है । अतः ऐसी स्थिति में चंद्र जिस भाव में जाएगा और जिस भाव को देखेगा उन भावोंसे सम्बंधित फलों को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करेगा और उनमे बढ़ोतरी करेगा । मेष लग्न की कुंडली में अगर चंद्र बलवान ( … Continue reading
मेष लग्न कुंडली में देव गुरु वृहस्पति नवमेश , द्वादशेश होते हैं । देव लग्न की कुंडली के त्रिकोण में देव गुरु की मूल राशि आती है । अतः इस लग्न कुंडली में गुरुएक कारक गृह हैं । ऐसी स्थिति में गुरु जिस भाव में स्थित होते हैं , और जिस भाव से दृष्टि संबंध … Continue reading
आज हम मेष लग्न की कुंडली में शुक्र के बारे में विस्तार से जान्ने का प्रयास करेंगे । हम जानेंगे की मेष लग्न की कुंडली में 12 भावों में शुक्र कैसे फल प्रदान करतेहैं । मेष लग्न कुंडली में शुक्र द्वितीय और सप्तम भाव का स्वामी होने से एक मारक गृह बनता है । अतः … Continue reading
आज हम मेष लग्न की कुंडली के बारे में विस्तार से जान्ने का प्रयास करेंगे । हम जानेंगे की मेष लग्न की कुंडली में 12 भावों में मंगल कैसे फल प्रदान करते हैं । मंगल प्रथम और अष्टम भाव का स्वामी होता है । यह लग्नेश और अष्टमेश होने से जातक के रूप, चिन्ह, जाति, … Continue reading
आज हम मेष लग्न की कुंडली में बुद्ध के बारे में विस्तार से जान्ने का प्रयास करेंगे । हम जानेंगे की मेष लग्न की कुंडली में १२ भावों में बुद्ध कैसे फल प्रदान करतेहैं । मेष लग्न कुंडली में बुद्ध तृतीय और षष्टम भाव का स्वामी होने से एक मारक गृह बनता है । अतः … Continue reading
वैदिक ज्योतिष में जब हम काल पुरुष की कुंडली का व्याख्यान करते हैं तो पहले भाव में 1 आता है जो मेष लग्न को दर्शाता है! मेष राशि चक्र की पहली राशि है! काल पुरुष की कुंडली का पहला खाना या प्रथम भाव कहे तो अत्यंत महत्वपूर्ण होता है! यही से हम लग्न की स्थिति … Continue reading