Tag Archives: महालक्ष्मी योग

मीन लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Pisces/Meen

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  • मीन लग्न की कुंडली में चंद्र पंचम भाव के स्वामी हैं, लग्नेश गुरु के अति मित्र हैं । इस वजह से चंद्र इस कुंडली में एक योगकारक गृह जाने जाते हैं । वहीँ मंगल द्वितीयेश व् नवमेश होकर एक सम गृह गिने जाते हैं । इस लग्न कुंडली में चन्द्रमंगल दोनों ग्रहों की शुभ भावों … Continue reading

    कुम्भ लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Aqquarious/Kumbh

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  • कुम्भ लग्न की कुंडली में चंद्र छठे भाव के स्वामी हैं, लग्नेश शनि के अति शत्रु हैं । इस वजह से चंद्र इस कुंडली में एक मारक गृह माने जाते हैं । वहीँ मंगल तृतीयेश व् दशमेश होकर एक सम गृह गिने जाते हैं । इस लग्न कुंडली में चन्द्रमंगल दोनों ग्रहों की किसी भाव … Continue reading

    मकर लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Capricorn/Makar

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  • मकर लग्न की कुंडली में चंद्र सप्तम भाव के स्वामी हैं, लग्नेश शनि के अति शत्रु हैं । इस वजह से चंद्र इस कुंडली में एक मारक गृह माने जाते हैं । वहीँ मंगल चतुर्थेश व् एकादशेश हैं । इस वजह से मकर लग्न की कुंडली में मंगल एक सम गृह कहे जाते हैं । … Continue reading

    धनु लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Saggitarious/Dhanu

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  • धनु लग्न की कुंडली में चंद्र अष्टम भाव के स्वामी हैं । आप अच्छी तरह जान चुके हैं की आठवां घर त्रिक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । इस वजह से चंद्र इस कुंडली में एक मारक गृह बनते हैं । वहीँ मंगल पंचमेश व् द्वादशेश हैं, लग्नेश गुरु के मित्र भी … Continue reading

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Scorpio/Vrishchik

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  • वृश्चिक लग्न की कुंडली में चंद्र नवम भाव के स्वामी हैं, एक योगकारक गृह बनते हैं । मंगल लग्नेश हैं और आठवें भाव के स्वामी हैं, इस वजह से मंगल एक अति योगकारक गृह बने । इस प्रकार चंद्र व् मंगल दोनों ही अपनी दशाओं में जातक को अधिकतर शुभ फल ही प्रदान करते हैं … Continue reading

    तुला लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Libra/Tula

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  • तुला लग्न की कुंडली में चंद्र दसवें भाव के स्वामी हैं । तुला लग्नं में एक सम गृह बनते हैं । मंगल दुसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं, इस वजह से मंगल एक अकारक गृह बने । इस प्रकार चंद्र व् मंगल दोनों ही अपनी दशाओं में जातक को अधिकतर अशुभ फल ही प्रदान … Continue reading

    कन्या लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Virgo/Kanya

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  • कन्या लग्न की कुंडली में चंद्र एकादशेश ( ग्यारहवें भाव के स्वामी ) हैं, साथ ही लग्नेश बुद्ध के शत्रु भी हैं । इसलिए एक अकारक गृह बनते हैं । मंगल तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं जिस वजह से मंगल भी एक अकारक गृह बने । इस प्रकार चंद्र व् मंगल दोनों ही … Continue reading

    सिंह लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Leo/Singh

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  • सिंह लग्न की कुंडली में चंद्र द्वादशेश होकर एक अकारक गृह बनते हैं । मंगल चौथे और नवें भाव के स्वामी हैं, इस लग्न कुंडली में एक अति योग कारक गृह हैं । इस प्रकार चंद्र अपनी दशाओं में अशुभ और मंगल शुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य हैं । सिंह लग्न की कुंडली … Continue reading

    कर्क लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Cancer/Kark

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  • कर्क लग्न की कुंडली में चंद्र लग्नेश होकर एक योगकारक गृह बनते हैं । मंगल पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं, इस लग्न कुंडली में एक अति योग कारक गृह हैं । इस प्रकार दोनों ही गृह बहुत शुभ है और अपनी दशाओं में जातक को शुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य हैं … Continue reading

    मिथुन लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Gemini/Mithun

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  • जन्मकुंडली के किसी शुभ भाव में चन्द्रमंगल की युति को महालक्ष्मी योग कहा जाता है । लग्नकुंडली के सभी केंद्र, त्रिकोण और धन तथा लाभ स्थान शुभ स्थानों में आते हैं । तीसरे भाव को अष्टम से अष्टम होने की वजह शुभ नहीं कहा जाता तथा छठे, आठवें व् बारहवें भाव को त्रिक भाव जाना … Continue reading