मकर लग्न की जन्मपत्री में चंद्र सप्तमेश होने के साथ साथ लग्नेश शनि के शत्रु भी हैं, एक अकारक गृह गिने जाते हैं । गुरु तृतीयेश, द्वादशेश होकर अकारक गृह बनते हैं । यदि गुरु विपरीत राजयोग बना लें तो छह, आठ या बारहवें भाव में स्थित होकर शुभफलदायक होते हैं, अन्यथा दोनों गृह अपनी … Continue reading