आज की हमारी चर्चा स्वाति नक्षत्र पर केंद्रित है । इसे मारुत, समीर और वायु नाम से भी पुकारा जाता है । यह आकाशमण्डल में मौजूद पन्द्रहवाँ नक्षत्र है जो १८६.४० डिग्री से लेकर २०० डिग्री तक गति करता है । स्वाति नक्षत्र के स्वामी राहु, नक्षत्र देवता वायु देव और राशि स्वामी शुक्र देव हैं । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट ( jyotishhindi.in ) पर विज़िट कर सकते हैं । आपके प्रश्नों के यथासंभव समाधान के लिए हम वचनबद्ध हैं ।
स्वाति नक्षत्र आकाशमण्डल में मौजूद एक तारा है । इसका प्रतीक चिन्ह वायु के झोंके के प्रभाव में नव अंकुरित पौधा है । स्वाति नक्षत्र के स्वामी राहु हैं और यह नक्षत्र तुला राशि में ६.४० डिग्री से २० डिग्री तक गति करता है । इस नक्षत्र के देवता वायु देव हैं । स्वाति नक्षत्र के जातकों के जीवन पर राहु व् शुक्र देव का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा सकता है ।
इस नक्षत्र के जातक पतले, समय के साथ साथ मांसल और हृष्ट-पुष्ट होते हैं । ये आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी और संवेदनशील तथा भावुक होते हैं । ऐसे जातकों पर स्त्रियां आसानी से मोहित हो जाती हैं । आपमें गजब की ऊर्जा होती है और आप निरंतर कार्यरत रहते हैं । आप स्वतंत्र विचारक होते हैं । अपनी बात पर खड़े रहते हैं । इन वजहों से इनको अड़ियल भी समझ लिया जाता है । ये केवल रचनात्मक आलोचना पसंद करते हैं । यदि आपने इनकी आलोचना की है और उसमे रचनात्मकता नहीं है तो ये आपको ज़िंदगी भर याद रखेंगे । ध्यान देने योग्य है की राहु नक्षत्र स्वामी है जो शिव भक्त हैं । ऐसे जातकों का मूल उद्देश्य मोक्ष को उपलब्ध होना होता है, इस तथ्य का अहसास इन्हें यदा कदा होता भी रहता है । एक बार सही दिशा मिल जाने पर ये पीछे मुड़कर नहीं देखते । इनमे भौतिक व् आध्यात्मिक दोनों प्रकार की उन्नति प्राप्त करने की पूर्ण क्षमता होती है । और नक्षत्रों की तरह स्वाति नक्षत्र के जातक भी अपने उत्थान के बारे में, अपनी उन्नति के बारे में अवश्य सोचते हैं । इनमे भावुकता प्रचुर मात्रा में होती है । एक बार यदि आप इनके मित्र हो गए तो यकीन मानिये ये जीवन भर आपका साथ देंगे । आपकी सहायता के लिए ऐसे जातक किसी भी हद तक जाएंगे । ये किसी किस्म का सोच विचार नहीं रखते, फायदे नुक्सान की बात सोचे बिना, निस्वार्थ भाव से अपने प्रियजनों की सहायता करते हैं । ऐसे ही यदि किसी वजह से यदि आप इनकी आँखों में खटक गए तो ये औपचारिकता निभाने में भी विश्वास नहीं रखते । किसी किस्म की डिप्लोमेसी नहीं करेंगे । इनके हाव भाव से साफ़ तौर पर प्रतीत होता है की ये आपका सम्मान नहीं करते और आगे भी इसकी कोई संभावना नहीं है । जितनी शिद्दत से ये प्रेम करते हैं उतने ही दम से शत्रुता भी निभाते हैं । जीवन के ३१ वर्ष के बाद उन्नति करते हैं ।
इस नक्षत्र में जन्मे जातकों की मैरिड लाइफ में उतार चढ़ाव लगातार बने रहते हैं । इनका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं होता है । ये ऐसा दिखाते ज़रूर हैं की ये खुश हैं और इन्हें एक आदर्श जीवनसाथी का साथ प्राप्त है लेकिन वास्तविकता में इससे उलट ही होता है । इस नक्षत्र की जातिकाओं का वैवाहिक जीवन भी एक तरह का समझौता ही होता है । क्यूंकि ये गुणी होती हैं, संवेदनशील व् धार्मिक होती हैं इसलिए सामाजिक तौर पर ज़ाहिर नहीं करतीं की इनका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं है । अपनी मैरिड लाइफ को बचाने में ही बेहतरी समझती हैं । समाज में खूब मान अर्जित करती हैं ।
दिल से सम्बंधित रोग होने की संभावना अक्सर रहती है । रोजाना बीज मन्त्र का १०८ बार उच्चारण करें आपकी रोग प्रतिकारक क्षमता में वृद्धि होती है, मानसिक तनाव दूर होता है, सफलता मिलने में सहायता प्राप्त होती है । अर्जुन के पेड़ से निर्मित औषधि ह्रदय रोग को दूर करती है ।
स्वाति नक्षत्र के जातक/जातिका संवेदनशील होते हैं, बहुत उम्दा एक्टर ( अभिनेता ) होते हैं । ड्रग्स अथवा शराब से सम्बंधित व्यापार कर सकते हैं । इसके अतिरिक्त शेयर बाज़ार और सोने चांदी से सम्बंधित बिज़नेस भी कर सकते हैं ।
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