शनि देव की छाया कहे जाने वाले राहु कुंडली में शुभ स्थित होने पर जातक को मात्र भक्त, शत्रुओं का पूर्णतया नाश करनेवाला, बलिष्ठ, विवेकी, विद्वान, ईश्वर के प्रति समर्पित, समाज में प्रतिष्ठित व् धनवान बनाता है । इसके विपरीत यदि राहु लग्न कुंडली में उचित प्रकार से स्थित न हो तो अधिकतर परिणाम अशुभ ही प्राप्त होते हैं । वृष और मिथुन राहु देवता की उच्च राशियां हैं और वृश्चिक व् धनु राहु की नीच राशियां मानी जाती हैं । राहु ५,७,९ दृष्टि से देखते हैं । आज हम सिंह लग्न की कुंडली के विभिन्न भावों में राहु के परिणाम जानने का प्रयास करेंगे ……..
सिंह लग्न – प्रथम भाव में राहु – Singh Lagan – Rahu pratham bhav me :
सिंह राहु की शत्रु राशि है । । यदि सिंह राशि में लग्न में राहु हो तो अधिकतर परिणाम अशुभ ही प्राप्त होंगे । राहु की महादशा में जातक अस्वस्थ रहता है, पेट खराब रहता है, संतान प्राप्ति का योग बनता है, अचानक हानि होती है । दाम्पत्य जीवन में कलह रहती है, साझेदारी के काम में घाटा होता है, पिता से संबंध अच्छे नहीं रहते हैं, जातक नास्तिक, विदेश यात्राएं करने वाला होता है ।
सिंह लग्न – द्वितीय भाव में राहु – Singh Lagan – Rahu dwitiya bhav me :
यदि बुद्ध देवता शुभ स्थित हों तो परिवार में खुशीआं बनी रहती है, धन, परिवार कुटुंब का साथ मिलता है । जातक की वाणी उग्र हो सकती है । प्रतियोगिता मे सफल होता है । रुकावटें दूर होती है । प्रोफेशनल लाइफ में सफलता मिलती है ।
सिंह लग्न – तृतीय भाव में राहु – Singh Lagan – Rahu tritiy bhav me :
तुला राशि में स्थित होने पर छोटे – बड़े भाई बहनों से कलह रहती है । जातक का भाग्य उसका साथ नहीं देता है । पितृभक्त, धार्मिक प्रवृत्ति का नहीं होता है। दाम्पत्य जीवन सुखी नहीं रहता है, साझेदारी के काम में लाभ नहीं मिलता है । मेहनत का परिणाम बहुत अल्प मिलता है ।
सिंह लग्न – चतुर्थ भाव में राहु – Singh Lagan – Rahu chaturth bhav me :
चतुर्थ भाव में अपनी नीच राशि वृश्चिक में आने से जातक को भूमि, मकान, वाहन व् माता का पूर्ण सुख नहीं मिलता है । रुकावटें दूर होने का नाम नहीं लेती हैं । काम काज भी बेहतर स्थिति में नहीं रहता है । विदेश सेटलमेंट की सम्भावना बनती है ।
सिंह लग्न – पंचम भाव में राहु – Singh Lagan – Rahu pncham bhav me :
धनु राहु में राहु नीच के हो जाते हैं । संतान संबंधी समस्या होती है,अचानक हानि की स्थिति बनती है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध संतोषजनक नहीं रहते हैं । जातक की याददाश्त खराब होती है और ऐसा जातक नास्तिक हो जाता है, पिता से नहीं बनती है । मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है । जातक भ्रमित रहता है ।
सिंह लग्न – षष्टम भाव में राहु – Singh Lagan – Rahu shashtm bhav me :
छठे भाव में स्थित होने से कोर्ट केस, हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । प्रोफेशनल लाइफ खराब होती जाती है । वाणी खराब, परिवार का साथ नहीं मिलता है ।
सिंह लग्न – सप्तम भाव में राहु – Singh Lagan – Rahu saptam bhav me :
कुम्भ राशि राहु की मित्र राशि होती है । शनि देव शुभ स्थित हों तो यहां राहु से मिलने वाले परिणामों में शुभता आ जाती है । जातक कुशाग्र बुद्धि, मेहनती, वाणी अच्छी बोलने वाला, छोटे – बड़े भाई बहनो और परिवार का साथ पाने वाला होता है । पत्नी और साझेदारों से संबंध सुखद होते हैं । ऐसा जातक बहुत मेहनती होता है ।
सिंह लग्न – अष्टम भाव में राहु – Singh Lagan – Rahu ashtam bhav me :
यहां राहु के अष्टम भाव में स्थित होने से जातक के हर काम में रुकावट आती है । राहु की महादशा में टेंशन बनी रहती है । बुद्धि साथ नहीं देती है । पिता से संबंध खराब होते हैं, फिजूल खर्चा होता है, परिवार का साथ नहीं मिलता है । सुख सुविधाओं का अभाव रहता है । विदेश सेटलमेंट हो सकती है । जातक को धन का आभाव लगा ही रहता है ।
सिंह लग्न – नवम भाव में राहु – Singh Lagan – Rahu nvm bhav me :
कुंडली के मूल त्रिकोण में जाने से और मेष राशिस्थ होने से जातक बुद्धिमान होता नहीं होता है, संतान से समस्या रहती है । मेहनत का फल भी मुश्किल से मिलता है। विदेश यात्रा करके भी लाभ में कमी रहती है ।
सिंह लग्न – दशम भाव में राहु – Singh Lagan – Rahu dasham bhav me :
यहां वृष राशि में आने से जातक को भूमि, मकान , वाहन का पूर्ण सुख मिलता है । माता के सुख में कमी नहीं आती है । काम काज बेहतर स्थिति में आ जाता है । परिवार जातक का साथ देता है, प्रतियोगिता में जीत होती है । राहु की महादशा में जातक बहुत उन्नति करता है । वृष राशि राहु की उच्च राशि मानी जाती है, यदि शुक्र देवता भी शुभ स्थित हों तो राहु की महादशा / अन्तर्दशा में जातक सफलता की ऊंचाइयां छूता है । यदि शुक्र अशुभ स्थित हों तो राहु के शुभ फलों में थोड़ी कमी आती है । यद्पि राहु शुभ परिणाम अवश्य प्रदान करते हैं ।
सिंह लग्न – एकादश भाव में राहु – Singh Lagan – Rahu ekaadash bhav me :
उच्च राशि मिथुन में स्थित होने पर बड़े भाई बहनो से स्नेह – सहायता प्राप्त होगी । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । राहु की महादशा में अचानक धन लाभ होता है । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । पत्नी से सम्बन्ध मधुर रहते है और साझेदारी से लाभ प्राप्त होता है । राहु की उच्च राशि होने से अधिकतर परिणाम शुभ ही प्राप्त होंगे भले ही बुद्ध शुभ स्थित न भी हों ।
सिंह लग्न – द्वादश भाव में राहु – Singh Lagan – Rahu dwadash bhav me :
कर्क राशि व् द्वादश भाव में स्थित होने से व्यय बढ़ता है , बीमारी लगने की संभावना रहती है । मन परेशान रहता है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । कम्पटीशन में असफलता हाथ लगती है , भूमि , मकान , वाहन का सुख नहीं मिलता है । माता के सुख में कमी आती है । विदेश यात्रा , सेटलमेंट का योग बनता है । सभी कार्यों में रूकावट आती है और टेंशन-डिप्रेशन लगातार बना रहता है ।
राहु के रत्न व् उपाय Stones / Remidies for Rahu :
राहु के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए । राहु के ३,६,८,१२ भाव में स्थित होने पर या शत्रु के घर में स्थित होने पर , नीच राशि वृश्चिक , धनु में स्थित होने पर गौमेध रत्न कदापि धारण न करें । राहु देवता के मित्र राशि में स्थित होने पर मित्र राशि के स्वामी की स्थिति देखना न भूलें और राहु केतु से संबंधित रत्न किसी योग्य विद्वान की सलाह के बाद ही धारण करें ।
कहते हैं की राहु देवता छोटे छोटे से उपायों से प्रस्सन होने वाले हैं । चीटियों को काळा टिल दान करें । अमावस्या का व्रत रखें । राहु मंत्र ॐ रहवे नमः का जाप करें ( संध्या काल में ) , चाय पत्ती का दान करें । शनि वार का व्रत रखें । मित्रों ध्यान दें की हो सके तो केवल दान के लिए दान न करें या ग्रह को ठीक करने के लिए दान न करें । यदि दया , करुणा , प्रेम की कोई सुगंध आपके ह्रदय में नहीं है तो दान का इफ़ेक्ट आपको बहुत कम ही असर कर पायेगा ।