सिंह लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – mahalakshmi yoga consideration in leo/singh

सिंह लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Leo/Singh

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • 4448 views
  • सिंह लग्न की कुंडली में चंद्र द्वादशेश होकर एक अकारक गृह बनते हैं । मंगल चौथे और नवें भाव के स्वामी हैं, इस लग्न कुंडली में एक अति योग कारक गृह हैं । इस प्रकार चंद्र अपनी दशाओं में अशुभ और मंगल शुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य हैं । सिंह लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा । आज हम जानने का प्रयास करेंगे की सिंह लग्न की कुंडली के विभिन्न भावों में चन्द्रमंगल के एक साथ स्थित होने पर कैसे परिणाम आते हैं ?




    सिंह लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in first house in Leo/Singh lgna kundli :

    लग्न में स्थित चंद्र जातक को आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी तो बनाता है, साथ ही अपनी महादशा में व्यर्थ के व्यय, कोर्ट केस व् हस्पताल में भी व्यय करवाता है, सातवें भाव सम्बन्धी अशुभ फल प्रदान करता है । सिंह राशि मंगल की मित्र राशि है । मंगल जातक की बुद्धि थोड़ी एग्रेसिव अवश्य करता है, साथ ही चौथे, सातवें, आठवें व् नौवें भाव से जुड़े सभी लाभ व् सुख प्रदान करता है । सिंह लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में महालक्ष्मी योग नहीं बनता ।

    सिंह लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in second house in Leo/Singh lgna kundli :

    द्वितीयस्थ मंगल धन परिवार कुटुंब को/से लाभ पहुंचाते हैं । मंगल की चतुर्थ से पुत्र प्राप्ति का योग बनता है, सातवीं दृष्टि से अष्टम भाव को देखने की वजह से रुकावटें दूर होती हैं, आठवीं दृष्टि से विदेश यात्रा का योग अवश्य बनाता है, जातक पिता व् गुरुजनों का सम्मान करता है । मंगल की महादशा अन्तर्दशा में जातक मकान, वाहन, भूमि से जुड़े सभी प्रकार के सुख भोगता है । वहीँ चंद्र की महादशा अन्तर्दशा में जातक कुटुंब सम्बन्धी परेशानियां ही झेलता है । मंगल की दशाओं में जातक की ज़ुबान व् बुद्धि तेज तर्रार हो जाती है । सिंह लग्न की कुंडली में दुसरे भाव में भाव में महालक्ष्मी योग अवश्य बनता है ।

    सिंह लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in third house in Leo/Singh lgna kundli :

    सिंह लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में भी महालक्ष्मी योग नहीं बनता । चंद्र परिश्रम बढ़ाते हैं व् मंगल अपनी दशाओं में पराक्रम में वृद्धि करता है, यात्राओं से लाभ दिलवाता है, जातक पिता व् गुरुजनों का सम्मान करता है । मंगल की महादशा में जातक विदेश यात्राओं से लाभ प्राप्त करता है ।

    सिंह लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in fourth house in Leo/Singh lgna kundli :

    सिंह लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में महालक्ष्मी योग नहीं बनता है । नीच राशिस्थ होने पर चंद्र अपनी दशा अन्तर्दशा में शुभ फल प्रदान नहीं करते हैं भले ही इनकी नीचता भंग हो गयी हो । जातक का माता से मन मुटाव रहता है, परिवार के सुख में कमी होती है । मंगल की दशाओं में जातक सुख समृद्धि भोगता है, माता से विशेष लगाव रखता है, पदोन्नति का लाभ प्राप्त करता है, मंगल की दशाओं में मंगल के अन्य भावों के साथ दृष्टि सम्बन्ध से शुभ फल प्राप्त होते हैं, बड़े भाई बहन से लाभ प्राप्त होता है, भाग्य जातक का पूरा पूरा साथ देता है ।



    सिंह लग्न की कुंडली में पंचम भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in fifth house in Leo/Singh lgna kundli :

    चन्द्रमा की दशाओं में अचानक हानि होती है । बुद्धि शांत नहीं रहती है । मन खिन्न रहता है । यहाँ स्थित मंगल अपनी दशाओं में सुख समृद्धि के साधनों में, भाग्य में वृद्धिकारक होते हैं । प्रेम संबंधों में सफलता प्रदान करते हैं, विदेश यात्रा करवाते हैं, प्रोफेशनल लाइफ में भी कामयाबी प्रदान करते है अचानक लाभ पहुंचाते हैं । इस प्रकार यहाँ भी महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा ।

    सिंह लग्न की कुंडली में छठे भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in sixth house in Leo/Singh lgna kundli :

    छठा भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ स्थित होने पर चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक पीड़ा ही भोगता देखा गया है । इस प्रकार छठे भाव में चन्द्रमंगल की युति से महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा । यदि चंद्र विपरीत राजयोग बना लें तो चंद्र की दशाओं में जातक शुभ फल प्राप्त करता है परन्तु मंगल की दशाओं में नहीं ।

    सिंह लग्न की कुंडली में सातवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in seventh house in Leo/Singh lgna kundli :

    चन्द्रमंगल की सप्तम भाव में युति महालक्ष्मी योग नहीं बनाती है । मंगल की दशाओं में जिन भावों का मंगल मालिक है, जहाँ बैठा है और जिन भावों से दृष्टि सम्बन्ध बनाता है उन भावों से सम्बंधित शुभ फलों में वृद्धि करता है । चंद्र पत्नी व् बिज़नेस पार्टनर्स से विच्छेद की स्थिति उत्पन्न करता है, दैनिक आय कम होती जाती है । जातक का विवाह विदेश में हो सकता है ।

    सिंह लग्न की कुंडली में आठवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in eighth house in Leo/Singh lgna kundli :

    आठवाँ भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ स्थित होने पर चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक पीड़ा ही भोगता है । यहाँ स्थित होने पर महालक्ष्मी योग किसी भी सूरत में नहीं बनता है । जातक मृत्यु तुल्य कष्ट भोगता है । यदि चंद्र विपरीत राजयोग में आए जाएँ तो चंद्र की दशाओं में जातक शुभ फल प्राप्त करता है परन्तु मंगल की दशाओं में नहीं । माता पिता दोनों कष्ट भोगते हैं ।

    सिंह लग्न की कुंडली में नौवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in ninth house in Leo/Singh lgna kundli :

    नवम भाव जन्मकुंडली का एक शुभ भाव माना जाता है । क्यूंकि दोनों जन्मकुंडली के कारक गृह नहीं हैं इसलिए यहाँ स्थित होने पर महालक्ष्मी योग नहीं बनता है। मंगल जिन भावों का स्वामी है और जहाँ बैठता है उन भावों संबंधी शुभ फल प्रदान करता है और मंगल के अन्य भावों से दृष्टि सम्बन्ध शुभता में ही वृद्धि करते हैं । परन्तु चंद्र ऐसा नहीं करता अपनी दशाओं में नौवें, बारहवें व् तीसरे भाव सम्बन्धी अशुभ फल प्रदान करता है ।

    सिंह लग्न की कुंडली में दसवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in tenth house in Leo/Singh lgna kundli :

    इस भाव में चंद्र मंगल की युति होने पर चंद्र की दशाओं मे विदेश में नौकरी का योग बनता है । अन्य कोई खास शुभ फल प्राप्त नहीं होते हैं । मंगल की दशाओं में राज्य से लाभ प्राप्त होता है, परिवार में सुख समृद्धि का माहौल बनता है व् माता,पिता से जातक का बहुत लगाव होता है । मंगल चौथे, पांचवें, नौवें, दसवें भाव सम्बन्धी शुभ फल प्रदान करता है । यहाँ भी महालक्ष्मी योग नहीं बनता है ।

    सिंह लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in eleventh house in Leo/Singh lgna kundli :

    सिंह लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में महालक्ष्मी योग नहीं बनता है । मंगल की महादशा अन्तर्दशा में पुत्र प्राप्ति का योग बनता है, अचानक लाभ प्राप्ति होती है, प्रतियोगिता में विजय हासिल होती है, कोर्ट केस में जीत होती है । ऐसा जातक केवल मंगल की महादशा अन्तर्दशा में शुभ फल प्राप्त करता है । यदि चंद्र का बलाबल अधिक हो तो पुत्री प्राप्ति का योग बनता है यदि मंगल बलवान हो तो पुत्र ।

    सिंह लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in twelth house in Leo/Singh lgna kundli :

    सिंह लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा क्यूंकि बारहवां भाव भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक पीड़ा ही भोगता है भले ही चंद्र का नीच भंग हो गया हो ।

    आशा है की उपरोक्त विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ( Jyotishhindi.in ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Popular Post