गुरु चंद्र का योगकारक होकर किसी शुभ भाव में स्थित होना गजकेसरी योग का निर्माण करता है । सिंह लग्न की जन्मपत्री में चंद्र द्वादशेश होकर एक अकारक गृह बनते हैं । वहीँ गुरु पंचमेश, अष्टमेश होकर एक योगकारक गृह बनते हैं । योगकारक गृह गुरु की दशाओं में जातक निसंदेह शुभ फल प्राप्त करता है, परन्तु चन्द्रमा की दशाओं में नहीं । सिंह लग्न की जन्मपत्री में गजकेसरी योग नहीं बनता । गुरु का बलाबल में सुदृढ़ होना जन्मपत्री को बल प्रदान करता है, वहीँ चन्द्रमा के बलाबल में कमी होने से कुंडली की शुभता में वृद्धि होती है । ऐसे में चंद्र देव अशुभता प्रकट करने सक्षम नहीं होते अथवा बुरे फल अल्प मात्रा में प्रदान करते हैं ।
सिंह लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in first house in Leo/Singh lgna kundli :
जिस जातक के प्रथम भाव में चन्द्र हों वह दूसरों को को सहज ही अपनी और आकर्षित कर लेते हैं । चंद्र की दशाओं में प्रथम व् सप्तम भाव सम्बन्धी अशुभ फलों में बढ़ौतरी होती है । चंद्र की दशाओं में जातक का अत्यधिक कल्पनाशील रहना आम बात है, प्रथम व् सप्तम भाव सम्बन्धी शुभ फलों में कमी आती है । गुरु की दशाओं में प्रेम विवाह के योग बनते है । पहले, पांचवें, सातवें और नौवें भाव सम्बन्धी शुभ फलों में उत्तरोत्तर वृद्धि होती है ।
सिंह लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in second house in Leo/Singh lgna kundli :
गुरु की दशाओं में धन लाभ होता है प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त होती है, रुकावटें दूर होती हैं, भाग्य का साथ प्राप्त होता है, लाभ होता है । चंद्र की दशाओं में मानसिक कष्ट होता है ।
सिंह लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in third house in Leo/Singh lgna kundli :
तीसरे भाव में गुरुचंद्र की युति से कोई योग नहीं बनता, गुरु की दशाओं में परिश्रम से लाभ होता है परन्तु चंद्र की दशाओं में परिश्रम का लाभ बहुत अल्प मात्रा में प्राप्त होता है । गजकेसरी योग नहीं बनता ।
सिंह लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in fourth house in Leo/Singh lgna kundli :
वृहस्पति देव की दशाओं में जातक को परिवार का साथ प्राप्त होता है । सुख सुविधाओं में वृद्धि होती है । नए मकान, वाहन का योग भी बनता है । ऐसे जातक का माता से बहुत लगाव होता है । वहीँ चंद्र की दशाओं में जातक बहुत कष्ट झेलता है । माता से भी अनबन होती है । माता, जातक दोनों को कष्ट भोगना पड़ता है । इस भाव में चंद्र वृश्चिक राशि में आने से नीच के हो जाते हैं ।
सिंह लग्न की कुंडली में पंचम भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in fifth house in Leo/Singh lgna kundli :
चन्द्रमा की दशाओं में प्रेम संबंधों में असफलता हाथ आती है । जातक मानसिक रूप से परेशान रहता है । अचानक घाटा ( नुक्सान ) होने की संभावनाएं बनती हैं । गुरु की दशाओं में प्रेम विवाह के योग बनते हैं, भाग्य जातक का साथ देता है, अचानक लाभ होते हैं, स्वास्थ्य उत्तम रहता है ।
सिंह लग्न की कुंडली में छठे भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in sixth house in Leo/Singh lgna kundli :
त्रिक भावों में कोई योग नहीं बनता । गुरु के नीच राशि में आ जाने से विपरीत राजयोग की सम्भावना भी समाप्त हो जाती है । यदि सूर्य शुभ स्थित हों और थोड़े भी बलवान हों तो चंद्र विपरीत राजयोग की स्थिति में आकर शुभ फल प्रदान करते हैं ।
सिंह लग्न की कुंडली में सातवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in seventh house in Leo/Singh lgna kundli :
चंद्र की दशाओं में लाइफ पार्टनर और बिज़नेस पार्टनर के साथ संबंधों में खटास आ जाती है, स्वास्थ्य खराब होने की सम्भावना बनती है । साझेदारी के व्यापार से घाटा होता है । जातक का स्वास्थ्य भी उत्तम नहीं रहता है । गुरु की दशाओं में व्यापार से लाभ के योग बनते हैं । लाभ में इज़ाफ़ा होता है, यात्राओं से भी लाभ होता है ।
सिंह लग्न की कुंडली में आठवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in eighth house in Leo/Singh lgna kundli :
आठवाँ भाव त्रिक भाव में से एक होता है, शुभ नहीं कहा जाता है । इस भाव में गुरु चंद्र की युति से कोई योग नहीं बनता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में जातक मृत्यु तुल्य कष्ट भोगता है । गुरुचंद्र यदि विपरीत राजयोग बना लें तो चंद्रगुरु की दशाएं सुखद रहती हैं ।
सिंह लग्न की कुंडली में नौवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in ninth house in Leo/Singh lgna kundli :
चन्द्र्गुरु की नवम भाव में युति से गुरु की दशाओं में जातक का पिता से बहुत लगाव होता है, परिश्रम का फल भी अवश्य प्राप्त होता है, जातक का भाग्य उसका भरपूर साथ देता है । यात्राओं से लाभ होता है उच्च शिक्षा प्राप्ति व् पुत्र प्राप्ति के योग बनते हैं । चंद्र की दशाओं में यात्राओं से लाभ बहुत अल्प मात्रा में प्राप्त होता है ।
सिंह लग्न की कुंडली में दसवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in tenth house in Leo/Singh lgna kundli :
गुरु की दशाओं में सभी सुःख प्राप्त होते हैं । जातक का माता से बहुत लगाव होता है । गुरु की दशाएं प्रतियोगिताओं में सफलतादायक होती हैं । धन लाभ होता है । चंद्र की दशाएं मानसिक कष्ट पहुँचाने वाली रहती हैं ।
सिंह लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in eleventh house in Leo/Singh lgna kundli :
चंद्र की दशाओं में पुत्री व् गुरु की दशाओं में पुत्र का योग बनता है । चंद्र की दशाओं में अचानक हानि के योग बनते हैं । वहीँ गुरु की दशाएं उन्नति लेकर आती हैं, लव मैरिज होती है, व्यापार साझेदारी से लाभ प्राप्त होता है, जातक के परिश्रम का उचित फल प्राप्त होता है ।
सिंह लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in twelth house in Leo/Singh lgna kundli :
बारहवां भाव त्रिक भावों में से एक होता है, शुभ नहीं माना जाता है । बारहवें भाव में गजकेसरी योग नहीं बनता । यदि गुरुचंद्र विपरीत राजयोग बना लें तो दोनों की दशाओं में शुभ फल प्राप्त होते हैं, परन्तु गजकेसरी योग नहीं बनता ।
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