सुंदरता के प्रतीक शुक्र देवता को ऐशो आराम, शैया सुख, कामुकता, चमक, इत्र आदि सभी प्रकार की सुख समृद्धि व् साधनो का कारक माना जाता है । शुक्र वृष एवं तुला राशि का स्वामी है । मीन राशि शुक्र की उच्च व् कन्या नीच राशि है । इसकी महादशा सभी ग्रहों में सबसे अधिक 20 वर्ष की होती है । सुंदर होने के साथ साथ शुक्र प्रभावित जातक कुशाग्र बुद्धि, कुशल वक्ता व् आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं । लोग इन्हें सुनना पसंद करते हैं व् सहज ही इनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं ।
यदि शुभ जन्म कुंडली में योगकारक होकर शुभ स्थित हो तो जातक / जातिका को कुशाग्र बुद्धि व् आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी बनाता है । ऐसे जातक कुशल वक्ता होते हैं । इन गुणों से दुसरे लोग सहज ही इनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं । शुक्र की शुभ स्थिति मान सम्मान में इजाफा करवाती है व् ऐसे जातक अच्छे मित्र, व्यापारी व् साझेदार साबित होते हैं । अच्छा खान पान , बड़ी गाड़ियां, ब्रांडेड कपडे, शूज, नए आकर्षक स्थलों की सैर, महंगे होटलों में रहना जैसी जीवनशैली शुक्र प्रभावित जातक के जीवन में सहज ही देखने को मिल जाती है । ऐसे जातक नृत्य कला के शौक़ीन, कुशल अभिनेता व् राजनीतिज्ञ होते हैं ।
यदि लग्न कुंडली में शुक्र मारक या अशुभ स्थित हो तो शुक्र की महादशा में जातक को भोग विलास तो स्वप्न जैसी बात हो जाती है । छोटी छोटी जरूरतों के लिए बहुत खपना पड़ता है । लव अफेयर में नाकामयाबी मिलती है । स्त्रियों से कष्ट प्राप्त होता है । ऐसे जातक आकर्षक होने के बजाए आकर्षित होने लगते हैं । बहुत अधिक इमोशनल होने लगते हैं व् सही गलत की सूज बूझ खो बैठते हैं ।
शुक्र शुभ गृह होने के साथ साथ यदि कुंडली में कमजोर स्थित होता है तो हीरा या जर्कन धारण किया जा सकता है ।
यदि लग्न कुंडली में शुक्र अशुभ हो तो शुक्र वार का व्रत रखें । हीरा, जर्कन, परफूम, नीले सफेद वस्त्र दान कर सकते हैं । काली चींटियों को चीनी खिलाएं । जरूरतमंद व्यक्ति को सफेद वस्त्र भेंट करें या मिठाई खिलाएं । किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए । स्त्रियों से संबंध मधुर बनाये रखे । किसी भी स्त्री की मुसीबत का कारण आप न बनें । शुक्र बीज मंत्र का नियमित उच्चारण ( स्वयं किया गया ) सभी जातकों के लिए सर्वदा लाभकारी है । किसी विद्वान ज्योतिषी से कुंडली का उचित निरिक्षण करवाने के पश्चात ही स्टोन धारण करें ।