आज की हमारी चर्चा शतभिषा नक्षत्र पर केंद्रित है । यह आकाशमण्डल में मौजूद तेइसवां नक्षत्र है जो ३०६.४० डिग्री से लेकर ३२० डिग्री तक गति करता है । इस नक्षत्र को प्रयोत्ता, शततारका, वरुणा व् यम भी कहा जाता है । शतभिषा नक्षत्र के स्वामी राहु, नक्षत्र देवता वसु और राशि स्वामी शनि हैं । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट ( jyotishhindi.in ) पर विज़िट कर सकते हैं । आपके प्रश्नों के यथासंभव समाधान के लिए हम वचनबद्ध हैं ।
शतभिषा नक्षत्र आकाशमण्डल में मौजूद सौ तारों से बनी हुई आकृति है । इसका प्रतीक चिन्ह खाली चक्र है । इस नक्षत्र के स्वामी राहु देव हैं और यह नक्षत्र ६.४० डिग्री से २० डिग्री तक कुम्भ राशि में गति करता है । इस नक्षत्र के देवता वरुण हैं । शतभिषा नक्षत्र के जातकों के जीवन पर राहु व् शनि देव का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा सकता है ।
शतभिषा नक्षत्र में उत्पन्न जातक सुख सुविधाओं के साधनों से संपन्न होते हैं । इनका माथा चौड़ा आँखें सुंदर और पेट थोड़ा निकला हुआ हो सकता है । नक्षत्र स्वामी राहु जातक को बहुत अधिक बुद्धिमान बनाते हैं । ऐसे जातक धार्मिक होने के साथ साथ बहुत नरम दिल के होते हैं । इन्हें छल कपट, चालबाजी, व् झूठ बोलना पसंद नहीं होता । ऐसे जातक भौतिक व् आध्यात्मिक दोनों प्रकार से बहुत उन्नत होते हैं । इन्हें अकेले रहना पसंद होता है । ये मिस्टीरियस होते हैं । जल्दी किसी के साथ घुलते मिलते नहीं हैं । शतभिषा नक्षत्र की जातक में हीलिंग पावर्स का प्रचुर मात्रा में समावेश होता है । ऐसे जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं और संभवतया कुछ नया खोज निकालते हैं । रिसर्च इनका नैसर्गिक गुण होता है । ये बहुत अच्छे साइकोलॉजिस्ट होते हैं । इन जातकों में नशे के प्रति सहज आकर्षण होता है । यदि लग्न कुंडली में भी राहु की स्थिति अच्छी हो तो जातक भविष्य को जानने वाला, सदाचारी, साधू संतों का सम्मान करने वाला और आध्यात्मिक प्रवृत्ति का होता है ।
शतभिषा नक्षत्र के जातकों की मैरिड लाइफ अच्छी होती है । आपमें निस्वार्थ प्रेम करने की भावना होती है । आपको बड़ों का सम्मान व् छोटों का ध्यान रखने वाला जीवनसाथी प्राप्त होता है । आपका जीवनसाथी भी उदार स्वभाव और नेक दिल होगा ।
शतभिषा नक्षत्र के जातकों को श्वास से सम्बंधित बीमारियां, मूत्राशय सम्बंधि रोग, अपच, मधुमेह होने की संभावना बनती है । इस नक्षत्र की जातिकाओं को छाती विकार, किडनी व् प्रसूति सम्बन्धी विकार से सम्बंधित समस्याएं होने की संभावनाएं रहती हैं । रोजाना बीज मन्त्र का १०८ बार उच्चारण करें आपकी रोग प्रतिकारक क्षमता में वृद्धि होती है, मानसिक तनाव दूर होता है, सफलता मिलने में सहायता प्राप्त होती है । नक्षत्र से सम्बंधित पेड़ से निर्मित औषधि रोगों को दूर करने में बहुत अधिक सहायक होती है ।
शतभिषा नक्षत्र के जातक मनोविज्ञान व स्पर्श-चिकित्सा के क्षेत्र में निपुण हो सकते हैं, आप ज्योतिष विद्वान अथवा सर्जन भी हो सकते हैं । उच्च शिक्षा प्राप्त कर कोई नई महत्वपूर्ण खोज कर सकते हैं । इसके अतिरिक्त कंप्यूटर, इंटरनेट से सम्बंधित कार्य कर सकते हैं । इसके साथ ही आपमें एक उम्दा अभिनेता, मॉडल, फ़ोटोग्राफ़र अथवा आविष्कारकर्ता के गुण विधमान हैं । आपमें वर्ल्ड क्लास स्नाइपर बनने की पूर्ण योग्यता होती है ।
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