वैदिक ज्योतिष में नव गृह, बारह भाव, बारह राशियां और अभिजीत को मिलकार अठ्ठाईस नक्षत्र सभी का मानव मन व् शरीर पर गहरा प्रभाव देखा गया है । भावों पर चर्चा की क्रमबद्ध श्रृंखला में आज हमारी चर्चा का विषय है सातवां भाव । जन्मकुंडली के लग्न से आरम्भ करें तो यह सातवें नंबर पर आने वाला भाव है । यह लग्न के ठीक सामने पड़ता है कुंडली का तीसरा होता केंद्र है और काल पुरुष की कुंडली में सातवें भाव में तुला राशि आती है । सातवें भाव से जातक के विवाह, साझेदारी,व्यापार,विदेशी व्यापार, दैनिक आय , पति-पत्नी का रूप रंग, स्वाभाव, नौकरी, चरित्र, जेनाइटल ऑर्गन्स, किडनी, यूट्रेस, शुक्राणु का विचार किया जाता है । किसी भी प्रकार की कानूनी या गैरकानूनी साझेदारी जहाँ जातक को अपना लाभ शेयर करना पड़े सेवंथ हाउस से देखा विचारा जाता है । जातक का विवाह कब किस उम्र में, किस दिशा में, कैसे परिवार में होगा, कितना चलेगा, द्विविवाह योग प्रबल तो नहीं, विवाह के पश्चात् जातक का व्यापार ठीक चलेगा या नहीं, पति पत्नी का स्वास्थ्य कैसा रहेगा, क्या पति पत्नी एक दुसरे के लिए अनुकूल हैं, विवाह के पश्चात् घर के बुजुर्ग परेशानी में तो नहीं आ जाएंगे आदि अनेक बातों का विचार इस भाव व् कुंडली में भावेश की स्थिति से ज्ञात किया जाता है । दो त्रिक भावों के मध्य का भाव होने की वजह से सप्तम की गणना बड़े धैर्य पूर्वक की जानी चाहिए ।
सप्तम भाव को जाय भाव भी कहा जाता है । त्रितीय भाव से पंचम होने के कारण इस भाव से छोटे भाई बहन की संतान के बारे में भी जानकारी प्राप्त की जाती है । चौथे भाव का चौथा होने पर माता की माता यानि नानी माँ के सुःख का भान इस भाव से प्राप्त किया जाता है ।
सप्तम भाव पांचवें से तीसरा होने पर असेंडेंट की संतान का पराक्रम भाव गिना जाता है अतः संतान की क्षमता दर्शाता है । छठे से दूसरा होता है तो ऋण रोग की बढ़ौतरी करता है । यही सप्तम भाव आठवें भाव से बारहवां होने के कारण आठवें भाव से मिलने वाले लाभ में कमी करता है, देरी लाता है । नवें भाव का लाभ होने से नवम के शुभ फलों में वृद्धिकारक है । दशम का दसवां होता है सो व्यापार का कर्म भाव बनता है । अतः व्यापार डेली वेजिज़ को प्रभावित करता है । ग्यारहवें का नवम होने से यही भाव बड़े भाई बहन का भाग्य भाव बनता है और इनकी धर्म में आस्था के बारे में जानकारी प्रदान करता है । बारहवें का अष्टम होने से इस भाव के शुभ फलों में कमी लाता है ।
इसके अतिरिक्त अन्तर्राष्ट्रीय मामलों का आंकलन के लिए इस भाव का विचार किया जाता है । साथ ही कारोबार के लेन-देन व् व्यापार की वास्तविक स्थिति की जानकारी भी इस भाव प्राप्त की जाती है । व्यापार केन्द्र, विवाह मंडल, विदेश में प्रतिष्ठा व सम्मान प्राप्ति का अध्ययन, कलात्मकता व् अचानक से मिलने वाले प्रमोशन के लिये भी सातवें घर को जांचा जाता है । विवाह के लिए जातक की नौकरी, व्यापार अथवा दैनिक आय या उसके पास मौजूद धन का आंकलन किया जाता है । उसकी समाज में क्या स्थिति है इसकी जांच की जाती है । यही कार्य ज्योतिष विद्वान कुंडली का भली प्रकार विश्लेषण करके करता है । इसके लिए वह सप्तम के साथ साथ एजुकेशन के भाव पंचम व् नवम भी देखता है । राज्य से सम्मान व् नौकरी या बिज़नेस में तरक्की के लिए दशम व् एकादश भाव की जानकारी प्राप्त करता है, साथ ही कुंडली के दुसरे भाव से जातक के धन व् कुटुंब का भली प्रकार आंकलन करता है आदि।