जानिए शनि महादशा के बारे में – know about saturn mahadasha

जानिए शनि महादशा के बारे में – Know about Saturn Mahadasha

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  • नव ग्रहों में शनि देव को सूर्य पुत्र तथा न्यायधीश के रूप में जाना जाता है । इन्हें सप्तम भाव में दिशाबाल प्राप्त होता है । कालपुरुष कुंडली में शनि को को दसवां, ग्यारहवां भाव प्राप्त है । इनकी महादशा उन्नीस वर्ष की होती है । आज हम jyotishhindi.in के माध्यम से आपसे सांझा करने जा रहे हैं की शनि की महादशा में हमें किस प्रकार के फल प्राप्त होने संभावित हैं । इसके साथ ही हम यह भी आपको ऐसे उपायों के बारे में भी बताएँगे जो शनि के नकारात्मक परिणामों को कम करने में सहायक हैं । आइये जानते हैं शनि की महादशा में प्राप्त होने वाले शुभ अशुभ फलों के बारे में …




    शनि महादशा के शुभ फल Positive Results Of Saturn/Shani Mahadasha :

    शनि की महादशा उन्नीस वर्ष की होती है । यदि लग्न कुंडली में शनि एक कारक गृह हों और शुभ स्थित भी हों तो जातक/जातिका को निम्लिखित फल प्राप्त होने संभावित होते हैं …

    • न्यायप्रिय बनाते हैं ।
    • सौभाग्य में वृद्धिकारक हैं ।
    • राजनीति में सफलता प्रदान करते हैं ।
    • उच्चतम शिक्षा प्रदान करते हैं ।
    • उच्च पदासीन करवाते हैं ।
    • विदेश यात्राएं करवाते हैं ।
    • विदेशी भाषाओँ का जानकार बनाते हैं ।
    • वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाते हैं ।
    • निरोगी काया प्रदान करते हैं ।
    • धन धान्य से भरपूर अचल संपत्ति का स्वामी बनाते हैं ।
    • व्यापार करवाते हैं ।
    • नए घर, नए व्यापार या कारखाने की स्थापना होती है ।
    • शत्रुओं का शमन होता है ।
    • उच्च पद की प्राप्ति होती है ।
    • आदर मान सम्मान की प्राप्ति होती है ।
    • तरक्की के नए नए अवसर प्राप्त होते हैं ।
    • शनि शुभ भावस्थ होकर उच्च के हों अथवा शुभ शुक्र के साथ हों तो ऐश्वर्य, भोग, विलास व् सभी सुखों की प्राप्ति होती है ।
    • सरकारी नौकरी प्राप्त होने के योग बनते हैं ।
    • पदोन्नति होती है ।
    • भूमि, मकान वाहन का सुख प्राप्त होता है ।
    • अचानक लाभ होता है ।
    • यश, मान, प्रतिष्ठा प्राप्ति होती है ।
    • माता पिता बंधू बांधवों से सम्बन्ध मधुर रहते हैं, लाभ प्राप्त होता है ।
    • वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाते है ।
    • धार्मिक स्थान पर घर बनवाते हैं ।
    • धार्मिक यात्राएं करवाते हैं ।
    • विदेशों में जातक जातिका की कीर्ति होती है ।
    • राज्य से लाभ सम्मान प्राप्त होता है ।
    • भूमि, मकान सम्बन्धी रुके हुए कार्य संपन्न होते हैं ।
    • प्रतियोगिताओं में विजय पताका फहराती है ।
    • घर में मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं ।
    • देश विदेश की यात्राओं से लाभ प्राप्त होता है ।
    • कार्य व्यापार से लाभ होता है ।
    • बाधाएं दूर होती हैं ।
    • कोर्ट केस सम्बंधित मामलों में विजय प्राप्त होती हैं ।

    Also Read: शनि देवता के जन्म की कहानी, Shani Devta Ke Janam Ki Kahani

    शनि की महादशा के अशुभ फल Negitive Results Of Saturn/Shani Mahadasha :

    यदि लग्न कुंडली में शनि एक अकारक गृह हों और अशुभ भाव में स्थित भी हों अथवा राहु, या केतु से दृष्ट हों तो या पाप कर्त्री योग से प्रभावित हों, शत्रु के घर में हों, शत्रु राशिस्थ हों, शत्रु से दृष्ट हों या छह, आठ, बारहवें में से किसी भाव के स्वामी से सम्बन्ध बनाते हों तो जातक/जातिका को निम्लिखित फल प्राप्त होने संभावित होते हैं …



    • मन में अनहोनी का अथवा मृत्यु भय बना रहता है ।
    • बुद्धि भ्र्म की स्थिति बनती है ।
    • पेट जनित रोग होते हैं ।
    • अतिसार, गुल्म रोग जैसे दीर्घकालिक रोग देते हैं , रक्त स्त्राव करवाते हैं ।
    • मृत्यु तुल्य कष्ट देते हैं ।
    • धन या सोने की चोरी हो सकती है ।
    • ऋण के कारण परेशानी होती है ।
    • स्थान परिवर्तन होता है ।
    • धन की हानि होती है ।
    • दुर्घटना, चोट का भय बनता है ।
    • पत्नी या पुत्र या दोनों को कष्ट होता है ।
    • पद परिवर्तन होता है ।
    • शिक्षा बीच में ही रुक जाती है अथवा शिक्षा प्राप्ति में बाधाएं आती हैं ।
    • मान हानि होती है, प्रतिष्ठा में कमी आती है ।
    • विवाह में विलम्ब की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।
    • मकान, वाहन, जमीन सम्बन्धी मामलों से परेशानी बढ़ती है ।
    • शुभ कार्यों में विलम्ब होगा ।
    • संतान प्राप्ति में बाधा आती है ।
    • माता पिता का स्वास्थ्य खराब रहता है ।
    • दाम्पत्य जीवन में परेशानियां आती हैं ।
    • व्यय बढ़ जाते हैं ।
    • अचानक हानि होती है ।
    • कीर्ति को बट्टा लगता है ।
    • डिमोशन हो सकती है ।
    • मकान, वाहन, जमीन के सुख में कमी आती है ।
    • पश्चाताप की आग में जलना पड़ता है ।
    • धन व् मान सम्मान की हानि होती है ।
    • आध्यत्मिक उन्नति में बाधाएं उत्पन्न होती हैं ।
    • माता पिता से वियोग की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।
    • लांछन लगता है ।
    • संतान को कष्ट होता है ।
    • रोग की भ्रान्ति मन में बानी रहती है ।
    • परदेस गमन होता है ।
    • राजदंड हो सकता है ।
    • घर में आग लग सकती है ।
    • ऑपरेशन हो सकता है ।
    • मन पीड़ित रहता है ।

    शनि के कुप्रभाव से बचने के उपाय Saturn/Shani Remidies :

    यदि लग्नकुंडली में शनि एक मारक गृह हैं तो शनिवार को शनि से सम्बंधित वस्तुओं काले कपड़े में काले उड़द, सवा किलो अनाज, दो लड्डू, फल, काला कोयला और लोहे की कील रख कर डाकोत दान करें ।

    • शनिवार का व्रत रखें ।
    • बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें ।
    • गुरुओं बुजुर्गों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें ।
    • यदि लग्न शनि का मित्र है और शनि एक कारक गृह होकर शुभ स्थित हों, लेकिन कमजोर हों ( कम डिग्री के हों ) तो नीलम धारण करें ।
    • शाम के समय हनुमान जी की पूजा करें ।
    • माँ काली की शरण में जाएँ ।
    • सरसों के तेल का दिया घर में अथवा पीपल के वृक्ष के नीचे जलाएं ।
    • किसी बुजुर्ग को जिन्हें चलने में दिक्कत आती हो लाठी दान करें ।
    • सर्दियों में गर्म जुराब या कम्बल दान करें ।
    • मछलियों को काला चना खिलाएं, चीटियों को को काले तिल दान करें ।
    • संध्याकाळ में शनि चालीसा का पाठ करें ।
    • ”ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम” का 108 बार नियमित जाप करें ।
    • ॐ नमः शिवाय का नियमित जाप भी बहुत लाभदायक होता है ।

    ध्यान देने योग्य है की किसी भी गृह की से सम्बंधित पूजा, पाठ, व्रत, प्रार्थना की जा सकती है भले ही वह गृह लग्नेश का मित्र हो अथवा नहीं । स्टोन केवल लग्नेश के मित्र शुभ स्थानस्थ गृह अथवा कुछ विशेष परिस्थितियों में शुभ स्थानस्थ सम गृह का ही धारण किया जाता है । दान लग्नेश के शत्रु अकारक गृह से सम्बंधित वस्तुओं का किया जाता है और यदि अकारक गृह बहुत प्रभावशाली हो तो उसे शांत करने के लिए गृह से सम्बंधित वस्तुओं का जल परवाह किया जाता है ।

    यहाँ हमने ( Jyotishhindi.in ) केवल शनि की महादशा में प्राप्त होने वाले फलों की संभावना व्यक्त की है । किसी भी उपाय को अपनाने अथवा कोई स्टोन धारण करने से पूर्व किसी योग्य विद्वान से कुंडली विश्लेषण करवाना परम आवश्यक है ।

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