आज की हमारी चर्चा रेवती नक्षत्र पर केंद्रित है । यह आकाशमण्डल में मौजूद सत्ताईसवाँ नक्षत्र है जो ३४६.४० डिग्री से लेकर ३६० डिग्री तक गति करता है । इस नक्षत्र को पूषा अथवा पौशनम नाम से भी जाना जाता है । रेवती नक्षत्र के स्वामी बुद्ध, नक्षत्र देवता पुष्य और राशि स्वामी गुरु हैं । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट ( jyotishhindi.in ) पर विज़िट कर सकते हैं । आपके प्रश्नों के यथासंभव समाधान के लिए हम वचनबद्ध हैं ।
रेवती नक्षत्र आकाशमण्डल में मौजूद ३२ तारों से बनी हुई आकृति है । इसका प्रतीक ड्रम अथवा मछली का पेट है । इस नक्षत्र के स्वामी बुद्ध देव हैं और यह नक्षत्र १६.४० डिग्री से ३० डिग्री तक मीन राशि में गति करता है । इस नक्षत्र के देवता पुष्य हैं । रेवती नक्षत्र के जातकों के जीवन पर बुद्ध और वृहस्पति देव का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा सकता है ।
रेवती नक्षत्र के जातक लम्बे व् सुदृढ़ शरीर के स्वामी होते हैं । आपका ह्रदय भगवान् शंकर की तरह शुद्ध और आचरण पवित्र होता है । यदि आप इस पवित्र नक्षत्र में उत्पन्न हुए हैं तो यकीन मानिये आप मोक्ष के अधिकारी हैं । भगवान् भोलेनाथ की तरह आप एकांतप्रिय और अपनी अलग ही मस्ती में रहने वाले है । आप कोमल ह्रदय व् प्रखर बुद्धि के स्वामी हैं । आकाश तत्व होने की वजह से आपको अंदर ही अंदर खालीपन का अहसास होता रहता है । राशि स्वामी गुरु आपमें शुभ गुणों का विकास करते हैं ओर साथ ही आध्यमिकता की ओर आपका मार्ग प्रशस्त करते हैं । आप विशेष रूप से ज्योतिष शास्त्र में गहन रुचि रखते हैं, इस विषय का गहन अध्ययन भी करते हैं और वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर अपनी बात को प्रस्तुत करते हैं । आप स्वभाव से साधू हैं, किसी का बुरा नहीं चाहते, अपने काम से काम से काम रखते हैं । लेकिन आपका क्रोध भी महादेव के सामान ही होता है । यदि आपको एक बार क्रोध आ जाये तो आप किसी के रोके नहीं रुकते, बहुत विध्वंसकारी हो जाते हैं । आपको पिता का स्नेह व् सहायता प्राप्त होती है लेकिन आप उनकी सहायता से फाइनेंसियल गेन नहीं कर पाते ।
इस नक्षत्र की जातिकाएँ बहुत सुन्दर, धार्मिक, कला की जानकर, रूपए पैसे के लेन देन में माहिर होती हैं और अपने रिटुअल्स को खूब अच्छी तरह से निभाने वाली होती हैं । दान पुण्य में बहुत विशवास रखती हैं ।
रेवती नक्षत्र के जातक व् जातिका का वैवाहिक जीवन सुखद ही रहता है । आपको अपने जीवनसाथी का भरपूर सहयोग प्राप्त होता है । इस नक्षत्र की जातिकाओं का आर्द्रा नक्षत्र के जातक से विवाह नहीं होना चाहिए । ऐसे जातक/जातिका के बच्चे बहुत संस्कारी व् बुद्धिमान होते हैं ।
रेवती नक्षत्र के जातकों को बुखार, मुख, कान और आंतड़ियों से सम्बंधित रोग होने की संभावना बनती है । यदि आपका नाम चरण अक्षर से शुरू होता है तो शुभ है । ऐसा करने से आपके शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है जो जीवन के उतार चढ़ाव में आपको स्टेबल रखने में सहायक होता है । रोजाना बीज मन्त्र का १०८ बार उच्चारण करें आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, मानसिक तनाव दूर होता है, सफलता मिलने में सहायता प्राप्त होती है । नक्षत्र से सम्बंधित पेड़ से निर्मित औषधि रोगों को दूर करने में बहुत अधिक सहायक होती है ।
रेवती नक्षत्र के जातक यदि नौकरी करते हैं तो उच्चपदासीन होते हैं । इनकी तरक्की होती रहती है । वैज्ञानिक, कलाकार, डांसर, सिंगर अथवा वकील हो सकते हैं, कम्युनिकेशन से सम्बंधित कार्य कर सकते हैं, एग्रीकल्चरिस्ट, रिसर्चर हो सकते हैं, एस्ट्रोलॉजी अथवा एस्ट्रोनॉमी या इंटरनेट सम्बन्धी प्रोफेशन में जा सकते हैं । ये विदेश जाकर भी नौकरी अथवा व्यवसाय करते हैं । चैरिटी के कामो से किसी न किसी प्रकार से जुड़े होते हैं ।
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