कुंडली का नवम भाव (navam bhav ) ninth house in jyotish

कुंडली का नवम भाव (Navam Bhav ) Ninth House in Jyotish

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  • ज्योतिष विशेष
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  • किसी भी कार्य की उचित निष्पत्ति के लिए भाग्य का साथ होना बहुत जरूरी कहा गया है । भाग्य भाव का या भावेश या दोनों का अच्छा होना हमारे पूर्व जन्म के कर्मो पर निर्भर माना गया है । इस जन्म में आप अपने कर्म तो शुभ कर सकते हैं किन्तु भाग्य को शुभ या अशुभ में परिवर्तित नहीं कर सकते । बहुत बार ऐसा देखा गया है की बहुत मेहनत करने वाला पीछे रह जाता है और कोई कम मेहनत करके भी सफलता के नए आयाम छूता ही चला जाता है । यकीन मानिये ऐसे लोगों का भाग्य भाव बहुत उन्नत होता है । जन्म लग्न का नवम भाव असेंडेंट का भाग्य भाव होता है । इससे मुख्यतः यह जानने का प्रयास किया जाता है की जातक को जीवन में प्राप्त होने वाली उन्नति में उसको भाग्य का लाभ प्राप्त होगा या नहीं । बहुत बार ऐसा होता है की जातक पूछता है की फलां काम में मेरा भाग्य साथ देगा या नहीं, अथवा मैं अमुक नया काम करने जा रहा हूँ इसमें मुझे भाग्य का साथ मिलेगा ? बहुत से अभिभावक जानना चाहते हैं की उनकी संतान के लिए फलां काम या बिज़नेस भाग्यवर्धक है या नहीं । बार बार रिटेन टेस्ट क्लियर करने पर भी सरकारी जॉब क्यों नहीं प्राप्त होती । यकीन मानिये बहुत हद तक इन सब सवालों के जवाब भाग्य भाव से जुड़े होते हैं । आइये जानने का प्रयास करते हैं क्या है कुंडली का नवम भाव …




    नवम भाव से विचार, महत्व व ज्योतिष – Navam Bhav Jyotish (Nith House Astrology Hindi)

    नवम भाव को धर्म स्थान भी कहा जाता है । कालपुरुष की कुंडली में नवम भाव में धनु राशि आयी है । धनु राशि के स्वामी गुरु हैं । अतः जातक के संस्कार कैसे हैं या जातक संस्कारी, धार्मिक है या नहीं इस बारे में जानकारी नवम भाव से प्राप्त की जाती है । पास्ट बर्थ में जातक द्वारा किये गए शुभ अशुभ कर्मों की जानकारी हमें इस भाव से प्राप्त होती है । यह भाव उच्च शिक्षा को दर्शाने वाला भी कहा गया है । तो जातक उच्च शिक्षा (मास्टर्स, पीएचडी ) करेगा या नहीं या उच्च शिक्षा में सफलता प्राप्त होगी या नहीं । जातक धर्म को मानता है या नहीं, क्या जातक धार्मिक यात्राएं कर पायेगा ? क्या जातक को अपने प्रयासों में सफलता या भाग्य का उचित साथ प्राप्त होगा ? जातक के छोटे भाई बहन का ससुराल कैसा होगा ? जातक की माता दीर्घायु होंगी अथवा जातक की माता के स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी इस भाव से प्राप्त की जायेगी । जातक का पोता पोती कैसे होंगे ? जातक के जीवनसाथी की यात्राओं का अनुमान इसी भाव से किया जाता है । जातक की प्रमोशन या अधिकार क्षेत्र में आने वाली रुकावटों की जानकारी व् समाधान नवम से देखा जाता है, धर्मग्रंथों की समझ , ईश्वरीय ज्ञान व् सामाजिक प्रतिष्ठा को जानने के लिए इस भाव का निरिक्षण किया जाता है । पिता के सम्बन्ध में जानकारी , ग्यारहवें से ग्यारहवां होने की वजह से बड़े भाई बहन को होने वाले लाभ का अनुमान इस भाव से लगाया जाता है ।



    कुंडली के कारक गृह का नवम भाव में मित्र राशि में होना बहुत शुभ कहा गया है । गुरु, सूर्य, चंद्र, मंगल, शुक्र का नवम भाव में स्थित होना जातक को भाग्यवान बनाता है । इस भाव में शुभ गृह का बलवान अवस्था में होना जातक को कुछ नया या लीक से हटकर करने की प्रेरणा प्रदान करता है ।

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