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सूर्य एक अग्नि तत्व गृह कहलाते हैं । सूर्य से अग्रेशन भी देखा जाता है और सामाजिक मान प्रतिष्ठा का भी अध्ययन किया जाता है ।
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मन के कारक चन्द्रमा को एक जल तत्व गृह के रूप में जाना जाता है । हमारे शरीर में मौजूद रक्त का ७५% हिस्सा पानी ही है जिस पर चन्द्रमा का ही अधिकार है ।
अग्रेशन, शारीरिक बल और पराक्रम के कारक मंगल एक अग्नि तत्व गृह के रूप में जाने जाते हैं ।
बुद्ध गृह का सम्बन्ध प्रुथ्वो तत्व से कहा गया है । जातक दूसरों की सहायता करेगा या नहीं इसके लिए बुद्ध देव का निरिक्षण किया जाता है ।
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देवगुरु वृहस्पति आकाश तत्व से सम्बंधित हैं । ये हर जगह मौजूद रहते हैं । इन्हें एक साधू की तरह देखा जाता है । जातक संवेदनशील है या नहीं ? क्या दूसरों के दुःख दर्द में सहायता करेगा ? इन सब चीजों को जानने के लिए गुरु का अध्ययन आवश्यक होता है ।
सभी प्रकार के ऐशो आराम के कारक शुक्र देवता एक जल तत्व गृह हैं ।
न्याय के देवता शनि देव एक वायु तत्व गृह हैं ।
न्यायधीश शनि देव की तरह राहु भी वायु तत्व से सम्बंधित है ।
शनि व् राहु की तरह ही केतु भी एक वायु तत्व गृह है ।
ग्रहों की ही तरह राशियों के भी अपने अलग अलग तत्व हैं जिनकी जानकारी एक ज्योतिर्विद को होना परम आवश्यक है । आइये जानते हैं राशियों और उनके तत्वों के बारे में …
ये तीनो ही क्षत्रीय वर्ण राशियां हैं और अग्नि तत्व से सम्बन्ध रखती हैं ।
ये राशियां वैश्य वर्ण से सम्बंधित हैं और पृथ्वी तत्व राशियां हैं ।
इन राशियों का सम्बन्ध शूद्र वर्ण से है और ये वायु तत्व राशियां हैं ।
ब्राह्मण तत्व से सम्बंधित इन राशियों का सम्बन्ध जल तत्व से है ।
अगले आर्टिकल में थोड़ा और आगे बढ़ेंगे थोड़ा और जानेंगे । तब तक के लिए नमस्कार । jyotishhindi.in पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ।