ॐ श्री गणेशाय नमः । सामान्यतः यदि लग्न कुंडली (Lagan Kundali) में कोई गृह अपनी नीच राशि में स्थित हो तो उसे अशुभ मान लिया जाता है। ऐसी धारणा बन जाती है की ये गृह अपनी महादशा अथवा अन्तर्दशा (Mahadasha and Antardasha) में विभिन्न प्रकार की समस्याएं जरूर उत्पन्न करेगा, जातक को प्रताड़ित करेगा और सम्बंधित भाव के लिए नुकसानदायक होगा। यदि आपकी या आपके किसी परिवारजन की या किसी मित्र की जन्मकुंडली में ऐसा कोई गृह अथवा एक से अधिक ऐसे गृह हैं तो यकीन मानिये आपको घबराने की कतई आवश्यकता नहीं है। नीच राशि में स्थित बग्रह हमेशा खराब फल ही दें ऐसा नहीं है। आपको बता दें की अधिकतर कुंडलियों में नीच राशिस्थ गृह की नीचता भांग हो चुकी होती है, जिसे नीच भंग राजयोग कहा जाता है, बस आवश्यकता होती है तो कुंडली का सही प्रकार से विश्लेषण करने की। नीच भांग राजयोग का अर्थ ही है की गृह की नीचता भंग है और अब वह शुभ फल प्रदान करने के लिए तैयार है। यहाँ एक और बात आपसे सांझा करते चलें की ऐसा भी देखने में आया है की नीच भंग राजयोगों (Neecha Bhanga Raja Yoga) का फल सामान्य राजयोगों से कहीं अधिक मिलता है। ऐसे जातक को जीवन में संघर्षरत रहना पड़ता है किंतु यदि कुण्डली में दो या दो से अधिक नीच भंग राजयोग निर्मित होते हों तो वह अवश्य ही बहुत उन्नति करता है और समाज में ऊंचा स्थान प्राप्त करता है। आज हमारा चर्चा का विषय है “नीच भंग राजयोग”, परन्तु इस पर कुछ भी चर्चा करने से पूर्व जान लेते हैं की कोई गृह किस राशि में जाने से नीच मान लिया जाता है।
कोई ग्रह कब माना जाता है नीच? – Ucha aur Neech Rashi Ke Grah
जब कोई भी ग्रह अपनी उच्च राशि से सातवीं राशि में स्थित होता है, तो ऐसे में उसकी अवस्था उच्च राशि से काफी दूर होने की वजह से उसका बल क्षीण हो जाता है और वह कम फल प्रदान करने में ही सक्षम होता है। अतः वः गृह विशेष शुभ फल प्रदान करने में अक्षम हो जाता है। किंतु सभी स्थितियों में नीच का ग्रह अशुभ फल ही करे, ऐसा कतई आवश्यक नहीं। कई बार उसकी गतिविधि कम हो जाती है तथा मनुष्य पर उसका प्रभाव सीमित हो जाता है किंतु वह हानि पहुंचाए ही, ऐसा नहीं होता।
बहुत सी ऐसी स्थितियां हैं जिनमें नीच राशिस्थ ग्रह, उच्च के ग्रह जैसा फल प्रदान करता है। इस खास स्थिति को नीच भंग राजयोग कहते हैं। कौन सा गृह किस किस राशि में उच्च अथवा नीच माना जाता है इस प्रकार है:
1. जन्म कुण्डली की जिस राशि में ग्रह नीच राशिस्थ हो उस राशि का स्वामी उस पर दृष्टि डाल रहा हो या फिर जिस राशि में ग्रह नीच होकर बैठा हो उस राशि का स्वामी स्वगृही होकर युति संबंध बना रहा हो तो नीच भंग राजयोग (Neech Bhang Raja Yoga) का सृजन हुआ माना जाता है। ऐसे स्थिति नीच राशिस्थ गृह के शुभत्व में वृद्धि हो जाती है।
2. जिस राशि में ग्रह नीच होकर बैठा हो उस राशि का स्वामी अपनी उच्च राशि में बैठा हो तो भी नीच भंग राजयोग का निर्माण होता है।
3. नीच का गृह नवमांश कुंडली में उच्च राशिस्थ हो तो नीच भंग राजयोग निर्मित होता है।
4. नीच राशिस्थ ग्रह अगर अपने से सातवें भाव में बैठे नीच ग्रह को देख रहा हो तो दोनों ग्रहों का नीच भंग हो जाता है, यानी दो नीच गृह परस्पर सातवीं दृष्टि से एक दुसरे को देखते हों तो दोनों का नीच भंग हुआ कहा जाएगा। ये महान योगकारक स्थिति का द्योतक है।
5. जिस राशि में ग्रह नीच का होकर बैठा हो उस राशि का स्वामी जन्म राशि से केन्द्र में मौज़ूद हो एवं जिस राशि में नीच ग्रह उच्च का होता है उस राशि का स्वामी भी केन्द्र में बैठा हो तो निश्चित ही नीच भंग राजयोग का सृजन होता है।
6. जिस राशि में ग्रह नीच का होकर बैठा हो उस राशि का स्वामी एवं जिस राशि में नीच ग्रह उच्च का होता है उसका स्वामी लग्न से कहीं भी केन्द्र में स्थित हों तो ऐसी अवस्था में भी नीच भंग राजयोग का निर्माण हुआ माना जाता है।
ध्यान देने योग्य है की कोई भी गृह एक निश्चित डिग्री तक ही उच्च या नीच का होता है। इस पर किसी और दिन बात करेंगे। आप सभी का जीवन आनंदमयी हो। जय श्री गणेश…