प्राणी मात्र के शरीर में विधमान जल चंद्र है । चन्द्रमा को मन व् माता दोनों का कारक कहा गया है । कालपुरुष कुंडली में चन्द्रमा को चौथा भाव प्रदान किया गया है जिसे सुख भाव भी कहा जाता है । इनकी महादशा दस वर्षों की होती है । चंद्र को एक सौम्य गृह के रूप में जाना जाता है । हमारे रक्त का पचहत्तर प्रतिशत भाग जल ही है और रक्त की रवानगी भी चन्द्रमा की ही बदौलत है ।आज हम jyotishhindi.in के माध्यम से आपसे सांझा करने जा रहे हैं की चंद्र की महादशा में हमें किस प्रकार के फल प्राप्त होने संभावित हैं । इसके साथ ही हम यह भी आपको ऐसे उपायों के बारे में भी बताएँगे जो चंद्र के नकारात्मक परिणामों को कम करने में सहायक हैं । आइये जानते हैं चन्द्रमा की महादशा में प्राप्त होने वाले शुभ अशुभ फलों के बारे में …
चंद्र महादशा के शुभ फल Positive Results Of Chandra mahadasha :
यदि लग्न कुंडली में चंद्र एक कारक गृह हों और शुभ स्थित भी हों तो जातक/जातिका को निम्लिखित फल प्राप्त होने संभावित होते हैं …
- ह्रदय स्वस्थ रहता है ।
- धन आगमन होता है ।
- मन प्रसन्न रहता है ।
- सुख प्राप्ति होती है ।
- मकान, वहां, भूमि व् अन्य सभी प्रकार के सुख प्राप्त करता है ।
- यश, मान, प्रतिष्ठा प्राप्ति होती है ।
- पदोन्नति होती है ।
- राज्य से लाभ सम्मान प्राप्त होता है ।
- चारों दिशाओं में कीर्ति होती है ।
- अचानक लाभ होता है ।
- पुत्री संतान प्राप्ति का योग बनता है ।
- रुके हुए कार्य संपन्न होते हैं ।
- प्रतियोगिताओं में विजय पताका फहराती है ।
- सुदूर देशों की यात्राओं के अवसर प्राप्त होते हैं । जलीय यात्राओं के सुअवसर प्राप्त होते हैं ।
- जातक रति क्रीड़ा में कुशल होता है ।
- कार्य व्यापार से लाभ होता है ।
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चन्द्र महादशा के अशुभ फल Negitive Results Of Moon mahadasha :
यदि लग्न कुंडली में चन्द्र एक अकारक गृह हों और अशुभ भाव में स्थित भी हों अथवा शनि राहु, या केतु से दृष्ट हों या पाप कर्त्री योग से प्रभावित हों तो जातक/जातिका को निम्लिखित फल प्राप्त होने संभावित होते हैं …
- लांछन लगने की सम्भावना बनती है ।
- मन में घबराहट रहती है, किसी अनहोनी का डर बना रहता है ।
- टेंशन, डिप्रेशन बढ़ जाता है ।
- ह्रदय रोग हो सकता है । ह्रदय में ब्लड की सप्लाई में बाधा आती है ।
- मकान, वाहन, जमीन सम्बन्धी मामलों से परेशानी बढ़ती है ।
- माता के सुख में कमी आती है ।
- माता का स्वास्थ्य खराब रह सकता है ।
- जुए सट्टे से हानि होती है ।
- व्यसनों की आदत पड़ जाती है ।
- जातक वैश्याओं में आसक्त हो सकता है ।
- अचानक हानि होती है ।
- बंधू बांधवों से मतभेद स्वाभाविक हो जाते हैं ।
- जातक को पेट जनित रोगों का शिकार होना पड़ता हैं ।
- परिवार से दूरी हो जाती है अथवा वियोग झेलना पड़ता है ।
- राज्य से हानि होती है ।
- कीर्ति को बट्टा लगता है ।
- डिमोशन हो सकती है
- मकान, वाहन, जमीन के सुख में कमी आती है ।
- पिता से, पिता तुल्य व्यक्तियों व् गुरुजनो से संबंधों में कटुता आ जाती है ।
- धन व् मान हानि होती है ।
- ह्रदय सम्बन्धी रोग हो सकता है ।
- स्वजनों से विरोध रहने लगता है ।
- राज्य से दंड का भय होता है ।
- जातक अकेला पद जाता है ।
चंद्र के कुप्रभाव से बचने के उपाय Chandra Remidies:
यदि लग्नकुंडली में चंद्र मारक हैं तो सोमवार को चंद्र से सम्बंधित वस्तुओं दही, चीनी, चावल, सफेद वस्त्र,1 जोड़ा जनेऊ, सफेद वस्त्र, शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, बैल,मोती और दक्षिणा के साथ चावल का दान करें । स्थति बहुत बत्तर हो तो दो चाँदी के टुकड़े लें , एक पानी में बहा दें और एक टुकड़ा हमेशा अपने साथ रख्खें ।
- सोमवार का व्रत रखें ।
- माता व् माता तुल्य महिलाओं का सम्मान करें । इनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें ।
- यदि लग्न चन्द्रमा का मित्र है और चन्द्रमा एक कारक गृह होकर शुभ स्थित हों, लेकिन कमजोर हों ( कम डिग्री के हों ) तो मोती धारण करें ।
- ॐ सोम सोमाय नमः’ का 108 बार नियमित जाप करें ।
- ॐ नमः शिवाय का नियमित जाप भी बहुत लाभदायक होता है ।
यहाँ हमने ( Jyotishhindi.in ) केवल च्नद्र की महादशा में प्राप्त होने वाले फलों की संभावना व्यक्त की है । किसी भी उपाय को अपनाने अथवा कोई स्टोन धारण करने से पूर्व किसी योग्य विद्वान से कुंडली विश्लेषण करवाना परम आवश्यक है ।