आज की हमारी चर्चा मूल नक्षत्र पर केंद्रित है । यह आकाशमण्डल में मौजूद उन्नीसवां नक्षत्र है जो २४० डिग्री से लेकर २५३.२० डिग्री तक गति करता है । इस नक्षत्र को असुर भी कहा जाता है । मूल नक्षत्र के स्वामी केतु, नक्षत्र देवी निरित्ती (निवृत्ती देवी) और राशि स्वामी गुरु हैं । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट ( jyotishhindi.in ) पर विज़िट कर सकते हैं । आपके प्रश्नों के यथासंभव समाधान के लिए हम वचनबद्ध हैं ।
मूल नक्षत्र आकाशमण्डल में मौजूद ग्यारह तारों से बनी हुई आकृति है । जिसका प्रतीक शंख अथवा सिंह की पूँछ अथवा जड़ों का गुच्छा है । मूल नक्षत्र के स्वामी केतु देव हैं और यह नक्षत्र धनु राशि में 0 डिग्री से १३.२० डिग्री तक गति करता है । इस नक्षत्र की देवी निरित्ती हैं । मूल नक्षत्र के जातकों के जीवन पर केतु व् गुरु देव का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा सकता है ।
मूल नक्षत्र के जातक आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी, हमेशा अलर्ट रहने वाले, खोजी प्रवृत्ति के स्वामी होते हैं । ये शिकार के शौक़ीन होते हैं और मांसाहार इन्हें पसंद होता है । इस नक्षत्र का नाम ही मूल है और प्रतीक जड़ों का गुच्छा है जो बताता है की ये बात की तह तक जाते हैं । कोई भी काम ऊपर ऊपर से करना इनके हित में नहीं होता । यदि जल्दबाजी में कोई निर्णय लें तो बाद में पछताना पड़ता है । जल्दबाजी इनके लिए नुकसानदायक होती है । ऐसे निर्णयों की वजह से इन्हे कई बार फाइनेंसियल लॉसेस होते हैं और प्रोफेशन भी बदलना पड़ता है । प्रोफेशनल उन्नति के लिए इन्हे परिवार से दूर ( विदेश ) जाना पड़ता है । वायु तत्व दर्शाता है की कई बार आवश्यकता से अधिक बोलते हैं और ऐसी सलाह भी दे देते हैं जो सामने वाले के बिलकुल भी हित में नहीं होती । यदि इन्हें स्वयं उसी सलाह पर अमल करने को कहा जाए तो ये नहीं करेंगे । आपके लिए सलाह है की आपको मादक पदार्थों के सेवन और पर स्त्रियों के साथ अंतरंग संबंधों से बचना चाहिए । हालांकि उम्र बढ़ने के साथ साथ आप धार्मिक होते चले जाते हैं और अपने ऋतुअल्स को पारम्परिक तरीके से फॉलो करते पाए जाते हैं ।
मूल नक्षत्र के जातक की मैरिड लाइफ अच्छी कही गयी है । आपको बहुत अच्छा जीवनसाथी प्राप्त होता है ।
कमर और कुल्हे का दर्द, टी बी और लकवा इत्यादि होने की संभावना अक्सर रहती है । रोजाना बीज मन्त्र का १०८ बार उच्चारण करें आपकी रोग प्रतिकारक क्षमता में वृद्धि होती है, मानसिक तनाव दूर होता है, सफलता मिलने में सहायता प्राप्त होती है । नक्षत्र से सम्बंधित पेड़ से निर्मित औषधि रोगों को दूर करने में बहुत अधिक सहायक होती है ।
इस नक्षत्र के जातक का सम्बन्ध मूल से है जिसका अर्थ ही होता है जड़ । ये डीप स्टडी में जा सकते हैं, अनुसंधानकर्ता अथवा खोजकर्ता हो सकते हैं । जहाँ बहुत कम लोगों का ध्यान जाता है जैसे भूत प्रेत सिद्ध करने वाले होते हैं । गुप्तचर होते हैं । आषधियों के बारे में जानने वाले और औषधियों के निर्माता होते हैं । मूलतः ये खोजी प्रवृत्ति के होते हैं जैसे मनोचिकित्सक अथवा ज्योतिषी आदि । किसी भी प्रकार की खोज या जाँच पड़ताल से संबंधित कार्य इस नक्षत्र के अधीन आते हैं । अधिकांशतया इनको जीविका उपार्जन के लिए घर से बहुत दूर जाना पड़ता है ।
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