मिथुन लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – mahalakshmi yoga consideration in gemini/mithun

मिथुन लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Gemini/Mithun

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  • जन्मकुंडली के किसी शुभ भाव में चन्द्रमंगल की युति को महालक्ष्मी योग कहा जाता है । लग्नकुंडली के सभी केंद्र, त्रिकोण और धन तथा लाभ स्थान शुभ स्थानों में आते हैं । तीसरे भाव को अष्टम से अष्टम होने की वजह शुभ नहीं कहा जाता तथा छठे, आठवें व् बारहवें भाव को त्रिक भाव जाना जाता है । त्रिक भाव जातक के भौतिक कष्टों के रूप में भी देखे जाते हैं, शुभ नहीं माने जाते । अलग अलग लग्न कुंडली में शुभ अशुभ ग्रह भी बदल जाते हैं । ग्रहों की शुभता अशुभता का निर्धारण भिन्न भिन्न लग्नो के आधार पर ग्रहों की प्लेसमेंट से किया जाता है । यदि आपका कोई प्रश्न है तो आप हमारी वेबसाइट (www.jyotishhindi.in) पर हमसे नि:संकोच संपर्क कर सकते हैं । आपकी समस्या का समाधान करने की पूरी कोशिश की जाएगी । आइये जानने का प्रयास करते हैं की क्या मिथुन लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग बनता है या नहीं बनता है ? जानने का प्रयास करते हैं की किस प्रकार चंद्र मंगल की युति से जातक का जीवन प्रभावित होना संभावित है …..




    मिथुन लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in first house in Gemini/Mithun lgna kundli :

    अष्टम से अष्टम व् अष्टम से द्वादश नियमानुसार मिथुन लग्न की कुंडली में चंद्र एक मारक गृह बनते हैं । लग्नेश बुद्ध के शत्रु चंद्र इस लग्न कुंडली में महालक्ष्मी योग बना ही नहीं सकते । मंगल छठे और ग्यारहवें भाव के मालिक होकर एक अकारक गृह बनते हैं । इस प्रकार मंगल भी इस लग्न कुंडली में महालक्ष्मी योग नहीं बनाएंगे । चंद्र अपनी दशाओं में पहले व् सातवें भाव सम्बन्धी शुभ फलों में कमी करते हैं । चंद्र की महादशा अन्तर्दशा में जातक को लाइफ व् बिज़नेस पार्टनर सम्बन्धी परेशानियों से जूझना पड़ता है । वहीँ मंगल की महादशा में जातक बिना सोचे समझे त्वरित निर्णय लेता है । पहले,चौथे,छठे,सातवें व् आठवें भाव सम्बन्धी शुभ फलों में कमी करते हैं ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in second house in Gemini/Mithun lgna kundli :

    द्वितीयस्थ मंगल धन परिवार कुटुंब से विच्छेद करवाता है, पुत्र प्राप्ति का योग तो बनाता है परन्तु एक अकारक गृह होने और सातवीं दृष्टि से अष्टम भाव को देखने की वजह से परिस्थियों में नकारात्मकता पैदा करता है । आठवीं दृष्टि से विदेश यात्रा का योग अवश्य बनाता है, परन्तु यात्रा से लाभ कम ही हो पाता है । चंद्र की महादशा अन्तर्दशा में जातक की ज़ुबान सॉफ्ट रहती है । हर काम में रुकावट की सम्भावना बनती है । इस भाव में भी महालक्ष्मी योग नहीं बनता है ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in third house in Gemini/Mithun lgna kundli :

    तृतीय भाव में भी चंद्र मंगल की युति महालक्ष्मी योग का निर्माण नहीं करती । मंगल अपनी दशाओं में पराक्रम में वृद्धि करता है, यात्राओं से लाभ प्राप्त नहीं हो पता और प्रोफेशन में भी परेशानियां आती हैं । चन्द्रमा की दशाओं में तीसरे व् नौवें भाव सम्बन्धी परेशानियों से दो चार होना पड़ता है । चन्द्रमंगल की महादशा अथवा अन्तर्दशा में अशुभ फल प्राप्त होते हैं ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in fourth house in Gemini/Mithun lgna kundli :

    यहाँ पर भी महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा । चंद्र व् मंगल अपनी दशा अन्तर्दशा में नकारात्मक फल प्रदान करते हैं । जातक का माता से मन मुटाव रहता है, परिवार के सुख में कमी आती है । चंद्र मंगल की दशाओं में चंद्र वमंगल के अन्य भावों के साथ दृष्टि सम्बन्ध से नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में पंचम भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in fifth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

    चन्द्रमा व् मंगल की महादशा में अचानक हानि होती है । बुद्धि शांत नहीं रहती है । मन खिन्न रहता है । यहाँ स्थित मंगल विदेश यात्रा करवाता है । इस प्रकार चंद्र मंगल के पंचम भावस्थ होने पर भी महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में छठे भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in sixth house in Gemini/Mithun lgna kundli :

    छठा भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ स्थित होने पर चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक पीड़ा ही भोगता देखा गया है । इस प्रकार छठे भाव में चन्द्रमंगल की युति से महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा । विपरीत राजयोग की स्थिति में मंगल शुभ परिणाम देते हैं ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में सातवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in seventh house in Gemini/Mithun lgna kundli :

    चन्द्रमंगल की सप्तम भाव में युति महालक्ष्मी योग नहीं बनाती । इनकी दशाओं में चंद्र व् मंगल के अन्य भावों से दृष्टि सम्बन्ध अशुभता में ही वृद्धि करते हैं ।



    मिथुन लग्न की कुंडली में आठवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in eighth house in Gemini/Mithun lgna kundli :

    आठवाँ भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ स्थित होने पर चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक पीड़ा ही भोगता है । यहाँ स्थित होने पर महालक्ष्मी योग किसी भी सूरत में नहीं बनता है । हाँ बुद्ध के बलशाली होने पर मंगल विपरीत राजयोग की स्थिति में आ जाते हैं और शुभ परिणाम प्रदान करते हैं ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में नौवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in ninth house in Gemini/Mithun lgna kundli :

    नवम भाव जन्मकुंडली का एक शुभ भाव माना जाता है । क्यूंकि दोनों जन्मकुंडली के अकारक गृह हैं इसलिए यहाँ स्थित होने पर भी महालक्ष्मी योग नहीं बनता । चंद्र व् मंगल के अन्य भावों से दृष्टि सम्बन्ध अशुभता में ही वृद्धि करते हैं ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में दसवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in tenth house in Gemini/Mithunh lgna kundli :

    इस भाव में चंद्र मंगल की युति होने पर चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा अन्तर्दशा में अशुभ फल प्राप्त होते हैं । राज्य से हानि होती है । चंद्र की महादशा अन्तर्दशा में परिवार में भी क्लेश बढ़ता है व् माता से भी अनबन रहती है । परिवार के सुःख में निरंतर कमी अनुभव होती है । मंगल की महादशा अन्तर्दशा में माता व् संतान से अनबन रहती है, वर्किंग प्लेस में दिक्कतें आती हैं । यहाँ भी महालक्ष्मी योग नहीं बनता है ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in eleventh house in Gemini/Mithun lgna kundli :

    यहाँ भी महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा । मंगल की महादशा अन्तर्दशा में पुत्र प्राप्ति का योग बनता है, अचानक हानि होती है, जातक के प्रयास करने पर प्रतियोगिता में विजय हासिल हो सकती है क्यूंकि छठा भाव मंगल का अपना भाव है और ग्यारहवें भाव से मंगल अपने घर पर आठवीं दृष्टि डालते हैं, परन्तु लग्नेश से शत्रुता होने के कारण प्रयास अधिक करने पड़ते हैं । कोर्ट केस में पैसा खर्च होता है । ऐसा जातक दोनों ग्रहों की महादशा अन्तर्दशा में अशुभ फल प्राप्त करता है । यदि चंद्र का बलाबल अधिक हो तो चंद्र की महादशा या अन्तर्दशा में पुत्री प्राप्ति का योग बनता है ।

    मिथुन लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in twelth house in Gemini/Mithun lgna kundli :

    मिथुन लग्न की कुंडली में द्वादश भाव में महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा क्यूंकि बारहवां भाव भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक पीड़ा ही भोगता है । यदि मंगल विपरीत राजयोग की स्थिति में आ जाए तो अपनी दशाओं में शुभ फलदायक होता है ।

    मिथुन लग्न की कुंडली का विश्लेषण करते समय हम पाते हैं की इस कुंडली में महालक्ष्मी योग नहीं बनता है । आशा है की उपरोक्त विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ज्योतिषहिन्दी.इन ( Jyotishhindi.in ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

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