मिथुन लग्न कुंडली में चंद्र द्वितीयेश होने से एक मारक गृह होते है । अगर चंद्र बलवान ( डिग्री से भी ताकतवर ) होकर शुभ स्थित हो तो भी अधिकतर फल अशुभ ही प्राप्त होते हैं । इस लग्न कुंडली में चंद्र डिग्री में ताकतवर न हो तो इनके अशुभ फलों में कमी आती है । ध्यान दें की कारक ग्रह का बलाबल में सुदृढ़ होना और शुभस्थित होना उत्तम जानना चाहिए और मारक गृह का बलाबल में कमजोर होना उत्तम जानें । कुंडली के उचित विश्लेषण के बाद ही उपाय संबंधी निर्णय लिया जाता है की उक्त ग्रह को रत्न से बलवान करना है , दान से ग्रह का प्रभाव कम करना है, कुछ तत्वों के जल प्रवाह से ग्रह को शांत करना है या की मंत्र साधना से उक्त ग्रहका आशीर्वाद प्राप्त करके रक्षा प्राप्त करनी है । मंत्र साधना सभी के लिए लाभदायक होती है । मिथुन लग्न कुंडली के जातक को चंद्र रत्न मोती किसी भी सूरत में धारण नहीं करवाया जाता है । आज हम मथुन लग्न कुंडली के 12 भावों में चंद्र देव के शुभाशुभ प्रभाव को जान्ने का प्रयास करेंगे ।
मिथुन लग्न – प्रथम भाव में चंद्र – Mithun Lagan – Chandra pratham bhav me :
मिथुन लग्न कुंडली में यदि लग्न में चन्द्रमा हो तो जातक सौम्य प्रवृति क , देखने में आकर्षक , भावुक होगा । मारक होने से जातक को पता ही नहीं होता की कहां, कितना, क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है । वाणी से ही अपने लिए कई समस्याएं खड़ी कर सकता है ।
मिथुन लग्न – द्वितीय भाव में चंद्र – Mithun Lagan – Chandra dwitiya bhav me :
स्वराशि होने से जातक धन अर्जित करता है । कमाल की वाणी होती है । चंद्र महादशा में धन आगमन के साथ साथ समस्याएं भी आ जाती हैं , जातक के मन में टेंशन बनी रहती है ।
मिथुन लग्न – तृतीय भाव में चंद्र – Mithun Lagan – Chandra tritiy bhav me :
बहुत परिश्रमी होता है । छोटी बहन का योग बनता है । पिता से मन मुटाव रहता है । ऐसा जातक भगवान् को नहीं मानता है ।
मिथुन लग्न – चतुर्थ भाव में चंद्र – Mithun Lagan – Chandra chaturth bhav me :
जातक को भूमि, मकान, वाहन का सुख प्राप्त करने के लिए बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है । ऐसा भी देखने में आया है की जातक की माता को भी कष्ट उठाना पड़ता है । काम काज को बेहतर स्थिति में लाने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है । छाती में समस्या आ सकती है ।
मिथुन लग्न – पंचम भाव में चंद्र – Mithun Lagan – Chandra pncham bhav me :
सूंदर पुत्री का योग बनता है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध मधुर नहीं रहते हैं । जातक रोमांटिक होता / होती है ।
मिथुन लग्न – षष्टम भाव में चंद्र – Mithun Lagan – Chandra shashtm bhav me :
नीच राशि में आने से कोर्ट केस, हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बंना रहता है । मन परेशान रहता है ।
मिथुन लग्न – सप्तम भाव में चंद्र – Mithun Lagan – Chandra saptam bhav me :
जातक/ जातीका का पति / पत्नी बहुत आकर्षक होते हैं । साझेदारी के व्यवसाय में हानि उठानी पड़ सकती है ।
मिथुन लग्न – अष्टम भाव में चंद्र – Mithun Lagan – Chandra ashtam bhav me :
अष्टम भाव होने से जातक के हर काम में रुकावट आती है , परिश्रम का फल नहीं मिलता और मानसिक परेशानियां बढ़ती हैं । कभी कभी जातक डिप्रेशन काशिकार हो जाता है । परिवार के लोग भी ऐसे जातक की मदद नहीं कर पाते हैं ।
मिथुन लग्न – नवम भाव में चंद्र – Mithun Lagan – Chandra nvm bhav me :
जातक आस्तिक व् पितृ भक्त नहीं होता है । विदेश यात्रा करके भी लाभ में कमी रहती है ।
मिथुन लग्न – दशम भाव में चंद्र – Mithun Lagan – Chandra dasham bhav me :
जातक बहुत मेहनत से काम करके भी समस्याओं से घिरा रहता है । कठिन परिश्रम के बाद ही सुख सुविधाओं में वृद्धि कर पाता है ।
मिथुन लग्न – एकादश भाव में चंद्र – Mithun Lagan – Chandra ekaadash bhav me :
यहां स्थित होने पर बड़े भाई बहनो का सहयोग कम ही मिल पाता है । कहीं न कहीं से लाभ मिलता रहता है । मन परेशान रहता है । पुत्री प्राप्ति का योग बनता है ।
मिथुन लग्न – द्वादश भाव में चंद्र – Mithun Lagan – Chandra dwadash bhav me :
मन में कोई न कोई चिंता लगातार बनी रहती है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है ।