बुद्ध का संबंध बुद्धि से कहा गया है । लग्न या प्रथम भाव में बुद्ध को दिशा बलि कहा जाता है, और यदि बुद्ध लग्न में या कन्या राशि ( चतुर्थ भाव ) में ही विराजमान हों तो भद्र नाम के पंचमहापुरुष योग का निर्माण होता है । मिथुन लग्न कुंडली में बुद्ध लग्नेश, चतुर्थेश होने से एक कारक गृह बनता है । ध्यान देने योग्य है की कारक ग्रह का बलाबल में सुदृढ़ होना और शुभ स्थित होना उत्तम जानना चाहिए और मारक गृह का बलाबल में कमजोर होना उत्तम जानें । कुंडली के उचित विश्लेषण के बाद ही उपाय संबंधी निर्णय लिया जाता है की उक्त ग्रह को रत्न से बलवान करना है, दान से ग्रह का प्रभाव कम करना है, कुछ तत्वों के जल प्रवाह से ग्रह को शांत करना है या की मंत्र साधना से उक्त ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त करके रक्षा प्राप्त करनी है । मंत्र साधना सभी के लिए लाभदायक होती है । मिथुन लग्न कुंडली के जातक को पन्ना पहनाया जा सकता है, परन्तु कोई भी निर्णय लेने से पूर्व कुंडली का उचित विश्लेषण आवश्य करवाएं । आज हम मिथुन लग्न कुंडली के 12 भावों में बुद्धि के देवता बुध के शुभाशुभ प्रभाव को जान्ने का प्रयास करेंगे ।
बुद्ध यदि लग्न में स्थित हों तो जातक बुद्धिमान होता है, सुख सुविधाओं से परिपूर्ण रहता है । दिशाबलि बुद्ध की महादशा में साझेदारी के काम में लाभ प्राप्त होता है।
ऐसा बुद्ध परिवार के लिए शुभ परिणाम देने वाला होता है। ऐसे जातक की वाणी मधुर होती है, धन परिवार कुटुंब का साथ मिलता है । जातक अपनी बुद्धि और मीठी वाणी से सभी मुश्किलें पार कर लेता है ।
छोटी बहन का योग बनता है । जातक बहुत अधिक मेहनती होता है, खूब यात्राएं करता है । मेहनत से ही जातक के कार्य पूर्ण होते हैं ।
माता से बहुत लगाव रहता है । सभी सुख सुविधाएं जुटाने में बुद्ध बहुत सहायक होंगे । बुद्ध की महादशा में प्रोफेशनल लाइफ में उन्नति होने के योग बनते हैं ।
पेट में प्रॉब्लम नहीं रहती है, प्रेम संबंधों में सफलता मिलती है । अचानक लाभ की संभावना बनती है । संतान सुख प्राप्त होता है । बड़े भाई बहन का सहयोग रहताहै । बुद्ध की महादशा में डिप्रेशन जातक से कोसों दूर रहता है ।
दुर्घटना का भय बना रहता है । कोर्ट केस या हॉस्पिटल में खर्चा करना पड़ता है । ऋण बढ़ता है, जातक चुकाने की स्थिति में बहुत मुश्किल से ही आ पाता है ।
प्रेम विवाह का योग बनता है । पत्नी बुद्धिमान मिलती है, व्यसाय ठीक रहता है , साझेदारी के काम में लाभ मिलने की संभावना रहती है । सुख सुविधाओं में वृद्धि कायोग बनता है ।
जातक के साथ साथ उसके परिवार जन भी दिक्कत में आ जाते हैं । मन खिन्न रहता है । परिवार का साथ नहीं मिलता है । माता को/से परेशानी रहती है ।
जातक पितृ भक्त, धार्मिक, भाग्यवान होता है । अपने परिश्रम से विदेश यात्रायें करने वाला होता है ।
नीच राशि में आने से बुद्ध की महादशा में प्रोफेशन समाप्ति के कगार पे आ जाता है । मात को कष्ट, सुख सुविधाओं में कमी आती है। निर्णय क्षमता क्षीण हो जातीहै ।
यहां बड़े भाई बहनो से सहायता मिलती है । संतान प्राप्ति का योग बनता है। बुद्ध की महादशा में खुद का स्वास्थ्य अच्छा रहता है ।
विदेश सेटलमेंट का योग बनता है । संतान को लेकर परेशानी मिलती है , मन खिन्न रहता है , व्यर्थ के खर्चे लगे रहेंगे । वाणी खराब होती है । ऋण वापसी नहीं होगी, रोग लगे रह सकते हैं । विदेश यात्रा का योग बनता है । बहुत मेहनत करने पर भी परिणाम उचित नहीं आ पाते हैं ।
ध्यान देने योग्य है की यदि बुद्ध 3, 6, 8, 10, 12 भाव में स्थित हो तो बुद्ध रत्न पन्ना धारण न करें । अन्य किसी भाव में स्थित होने पर यह रत्न धारण किया जासकता है । बुद्ध के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए ।