भारतीय ज्योतिष में शनि देव कर्म फल दाता कहा गया है । शनि एक पापी और क्रूर गृह के रूप में प्रितिष्ठित हैं । परन्तु ये केवल उनके लिए अनिष्टकारी हैं जो अनैतिक, अमानवीय कृत्यों में ( जाने अनजाने ) लिप्त रहे हैं । अन्यथा एक साधारण मानव को देव तुल्य बना दें ऐसी क्षमता के स्वामी हैं शनि देव । यदि व्यक्तिगतलाभ के लिए आपने कभी किसी को धोखा नहीं दिया है, किसी निर्दोष को आपकी वजह से किसी दिक्कत परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा है या कोई भी ऐसा कर्म नहीं किया जिससे किसी को बेवजह नुक्सान उठाना पड़ा और आपको व्यक्तिगत तौर पर लाभ हुआ हो , तो आपको शनि देव से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है । शनि देव के अनेक नाम हैं, जैसे मन्दगामी, सूर्य-पुत्र, शनिश्चर इत्यादि! शनि के सात वाहक: हाथी, घोड़ा, हिरण, गधा, कुत्ता, भैंसा और गिद्ध है। शनि देव सेसम्बंधित उपाय शनिवार या अमावस्या को करें । इस लग्न कुंडली में नीलम रत्न पहना जा सकता है , लेकिन किसी योग्य विद्वान से कुंडली का विश्लेषण करवाने के बाद ।
मेष लग्न कुंडली में शनि दशमेश, एकादशेश होते हैं । देव लग्न की कुंडली के केंद्र ( दशम भाव ) में शनि की साधारण राशि कुम्भ आती है । अतः इस लग्न कुंडलीमें शनि एक सम गृह हैं । कोई भी निर्णय लेने से पूर्व shani का बलाबल देखना न भूलें ।
मेष लग्न की कुंडली में बारह भावों में शनि का फलादेश – Shani Faladesh
मेष लग्न – प्रथम भाव में शनि – Mesh Lagan – Shani in pratham bhav me :
मेष राशि शनि देव की नीच राशि है । अतः शनि की महादशा में काम काज बंद हो सकता है, बदल सकता है । छोटे भाई , पत्नी, पार्टनर से नहीं बनती । सर में चोट लग सकती है । मेहनत बहुत करता है, परिणाम न के बराबर मिलते हैं ।
मेष लग्न – द्वितीय भाव में शनि – Mesh Lagan – Shani dwitiya bhav me :
ऐसे जातक को धन, परिवार कुटुंब का भरपूर साथ मिलता है । उग्र वाणी होती है । माता, मकान, वाहन, भूमि से परेशानी रहती है । एक के बाद एक रुकावटें आतीरहति हैं ।
मेष लग्न – तृतीय भाव में शनि- Mesh Lagan – Shani tritiya bhav me :
जातक बहुत परश्रमी होता है । जातक का भाग्य उसका साथ नहीं देता है ।। छोटी बहन का योग बनता है । पेट खराब , कमजोर याददाश्त , संतान को अनेकमुश्किलों का सामना करना पड़ता है । पिता से नहीं बनती , फिजूल खर्च व् विदेश यात्रा होती है ।
मेष लग्न – चतुर्थ भाव में शनि – Mesh Lagan – Shani chaturth bhav me :
जातक को भूमि, मकान, वाहन का सुख बहुत देर से मिलता है । माता को कष्ट होता है । काम काज शनि देव से जुड़ा हो तो बेहतर स्थिति में होता है ।प्रतियोगितामें विजयश्री देर से हाथ आती है ।
मेष लग्न – पंचम भाव में शनि – Mesh Lagan – Shani pncham bhav me :
पुत्री का योग बनता है । अचानक हानि की स्थिति बनती है । जातक की याददाश्त कमजोर होती है । देरी से विवाह का योग बनता है , बड़े भाई बहनों से नहीं बनती ।पत्नी , पार्टनर्स से संबंध मधुर नहीं रहते हैं । बड़े भाइयों बहनो से संबंध मधुर रहते हैं, मनचाहे काम को पूरा होने में काफी समय लगता है । धन का अभाव रहता है ।
मेष लग्न – षष्टम भाव में शनि – Mesh Lagan – Shani shashtm bhav me :
बहुत मेहनत करने पर भी परिणाम नकारात्मक रहते हैं । लोन वापसी का रास्ता नहीं दिखता , फिजूल व्यय , हर काम में रुकावट आती है ।
मेष लग्न – सप्तम भाव में शनि – Mesh Lagan – Shani saptam bhav me :
उच्च राशिस्थ होने से भार्या बुद्धिमान होती है व् साझेदारों से लाभ मिलता है । जातक पितृ भक्त , न्यायप्रिय होता है ,भाग्य साथ देता है , मकान ,वाहन , सम्पत्ति कासुख मिलता है और माता का आशीर्वाद हमेशा सर पर बना रहता है ।
मेष लग्न – अष्टम भाव में शनि – Mesh Lagan – Shani ashtam bhav me
जातक के हर काम में रुकावट आती है , टेंशन बनी रहती है । परिवार साथ नहीं देता है । काम काज ठप हो जाता है । संतान को कष्ट मिलता है । याददाश्त खराबहो जाती है ।
मेष लग्न – नवम भाव में शनि – Mesh Lagan – Shani nvm bhav me :
पिता के अंडर काम करे तो लाभ मिलते है , विदेश यात्राएं होती हैं , परिणाम देर से आते हैं और जातक को कोर्ट केस भुगतना पड़ता है । प्रतियोगिता में विजयी होताहै ।
मेष लग्न – दशम भाव में शनि – Mesh Lagan – Shani dasham bhav me :
स्वग्रही होने से जातक काम काज अच्छा चलता है । भूमि , मकान , वाहन का सुख देर से मिलता है । माता के सुख में कमी आती है । सातवें भाव सम्बन्धी सभी लाभप्राप्त होते हैं ।
मेष लग्न – एकादश भाव में शनि – Mesh Lagan – Shani ekaadash bhav me :
जातक चिड़चिड़ा होता है । यहां स्थित होने पर बड़े भाई बहनो का स्नेह बना रहता है । पुत्री प्राप्ति का योग बनता है, यादाश्त कमजोर हो जाती है , लव अफेयर मेंजातक के डिप्रेशन में जाने के चान्सेस रहते हैं । रुकावटों से रूबरू होते रहना पड़ता है ।
मेष लग्न – द्वादश भाव में शनि – Mesh Lagan – Shani dwadash bhav me :
विदेश सेटलमेंट का योग बनता है , काम काज ठप हो जाता है , कोर्ट केस चलता है , फिजूल खर्च होते है । परिवार का साथ नहीं मिलता । जातक नास्तिक होता है, पिता से रुष्ट रहता है ।