मेष लग्न की कुंडली में राहु – mesh lagn kundali me rahu :

मेष लग्न की कुंडली में राहु – Mesh Lagn Kundali me Rahu :

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  • ज्योतिष विशेष, लग्न विचार
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  • वैदिक ज्योतिष में राहु को एक पापी, क्रूर, छाया गृह के रूप में देखा जाता है । अपनी महादशा में राहु एक के बाद एक चौंकाने वाले परिणाम दे सकते हैं । इनका अपना कोई घर नहीं होता । इसलिए राहु देवता जिस घर या राशि में जाते हैं उसके अनुरूप ही परिणाम देते हैं । आइये जानते हैं मेष लग्न की कुंडली के बारह भावों में राहु के परिणाम ।

    मेष लग्न – प्रथम भाव में राहु – Mesh Lagan – Rahu pratham bhav me :

    यदि मेष राशि में लग्न में राहु हो तो जातक को मति भ्र्म होता है । राहु की महादशा में पेट खराब रहता है , पुत्र प्राप्ति का योग बनता है अचानक हानि होती है । दाम्पत्य जीवन में कलह रहती है , साझेदारी के काम में घाटा होता है , जातक नास्तिक ,विदेश यात्राएं करने वाला होता है ।




    मेष लग्न – द्वितीय भाव में राहु – Mesh Lagan – Rahu dwitiya bhav me :

    यदि शुक्र शुभ स्थित हो तो ऐसे जातक को धन , परिवार कुटुंब का भरपूर साथ मिलता है । खराब वाणी होती है । अपनी क्षमता से सभी मुश्किलों को पार कर लेता है । प्रतियोगिता विजयी होता है । ऊंचा पद प्राप्त करता है ।

    मेष लग्न – तृतीय भाव में राहु – Mesh Lagan – Rahu tritiy bhav me :

    यहां देखना अति आवश्यक है की बुध विपरीत राजयोग की स्थिति में है या नहीं । यदि है तो राहु उच्च राशि में होने पर जातक बहुत परश्रमी होता है । जातक का भाग्य उसका साथ देता है ।। छोटे भाई का योग बनता है । पितृभक्त , धार्मिक प्रवृत्ति का होता है । दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है , साझेदारी के काम में लाभ मिलता है । बड़े भाई बहनो का सहयोग प्राप्त होता है ।

    मेष लग्न – चतुर्थ भाव में राहु – Mesh Lagan – Rahu chaturth bhav me :

    चतुर्थ भाव में शत्रु राशि में आने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख नहीं मिलता है । काम काज भी बेहतर स्थिति में नहीं होता है । विदेश सेटलमेंट की सम्भावना बनती है । रुकावटें दूर होने का नाम नहीं लेती है ।

    मेष लग्न – पंचम भाव में राहु – Mesh Lagan – Rahu pncham bhav me :

    संतान को कष्ट होता है । अचानक हानि की स्थिति बनती है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध संतोषजनक नहीं रहते हैं । जातक की याददाश्त कजोर होती है और नास्तिक प्रवृत्ति का होता है ।

    मेष लग्न – षष्टम भाव में राहु – Mesh Lagan – Rahu shashtm bhav me :

    बुध विपरीत राजयोग की स्थिति में हो तो राहु यहां भी शुभ फल प्रदान करते हैं । इसके विपरीत यदि विपरीत राजयोग नहीं बना तो कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । प्रोफेशनल लाइफ खराब होती जाती है । परिवार का साथ नहीं मिलता है ।

    मेष लग्न – सप्तम भाव में राहु – Mesh Lagan – Rahu saptam bhav me :

    जातक कुशाग्र बुद्धि , मेहनती वाणी से कठोर , परिवार का साथ पाने वाला होता है । पत्नी बुद्धिमान होती है व् साझेदारों से लाभ मिलता है । बड़े भाई बहन से लाभ मिलता है ।

    मेष लग्न – अष्टम भाव में राहु – Mesh Lagan – Rahu ashtam bhav me :

    यहां राहु के अष्टम भाव में स्थित होने की साथ नीच राशिस्थ हो जाते है । इसकी वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है । राहु की महादशा में टेंशन बनी रहती है । बुद्धि साथ नहीं देती है । पिता से संबंध खराब होते हैं, फिजूल खर्चा होता है , परिवार का साथ नहीं मिलता है । सुख सुविधाओं का अभाव रहता है । विदेश सेटलमेंट हो सकती है ।



    मेष लग्न – नवम भाव में राहु – Mesh Lagan – Rahu nvm bhav me :

    जातक बुद्धिमान , धार्मिक , पितृ भक्त , उत्तम संतान युक्त नहीं होता है । मेहनत का फल नहीं मिलता । विदेश यात्रा करता है ।

    मेष लग्न – दशम भाव में राहु – Mesh Lagan – Rahu dasham bhav me :

    शनि शुभ स्थित हों तो यहां मित्र राशि मकर में आने से जातक को भूमि , मकान , वाहन का सुख मिलता है । माता के सुख में कमी आती है । काम काज बहुत अच्छा चलता है । परिवार साथ देता है , प्रतियोगिता में जीत होती है ।

    मेष लग्न – एकादश भाव में राहु – Mesh Lagan – Rahu ekaadash bhav me :

    यहां स्थित होने पर बड़े भाई बहनो का स्नेह बना रहता है । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । राहु की महादशा में अचानक धन लाभ की संभावना बनती है । पत्नी साझेदारों से लाभ प्राप्त होता है । शनि शुभ स्थित न हों तो परिणाम विपरीत जानें ।

    मेष लग्न – द्वादश भाव में राहु – Mesh Lagan – Rahu dwadash bhav me :

    पेट में बीमारी लगने की संभावना रहती है । मन परेशान रहता है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । कम्पटीशन में असफलता हाथ लगती है , भूमि , मकान , वाहन का सुख नहीं मिलता है । माता के सुख में कमी आती है । सभी कार्यों में रूकावट आती है और टेंशन-डिप्रेशन बना रहता है ।

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