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मेष लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – Guruchandal yoga Consideration in Aries/Mesh

ज्योतिष एक सम्पूर्ण विज्ञान है, पूर्णतया तर्कसंगत है । इस पूर्ण विकसित विज्ञान में किसी भी बात को यूँ ही मान लेने के लिए कोई जगह नहीं है । यदि कोई योग किसी स्थिति में अनिष्टकारक होता है तो कहीं वह योग ही जातक को बहुत उन्नति प्रदान करने में भी पूर्ण सक्षम है । आज से हम ऐसे ही एक महत्वपूर्ण योग पर चर्चा प्रारम्भ करने जा रहे हैं । इस योग को गुरुचण्डाल योग के नाम से जाना जाता है ।

जब गुरु व् राहु एक साथ जन्मपत्री के किसी भाव में युति बना लें तो इसे गुरु चांडाल योग कहा जाता है । यह योग किन स्थितियों में, किन भावों में, किन किन राशियों में किस प्रकार के शुभ या शुभ परिणाम प्रदान करता है या जानने के लिए भिन्न भिन्न कुंडलियों का तर्कसंगत विश्लेषण करना आवश्यक होता है । इसके बाद ही हम किसी निष्कर्ष पर पहुँच पाते हैं । इस योग के नाम से डरना व्यर्थ है । आइये जानते हैं मेष लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग किस प्रकार जातक को प्रभावित करता है और इसे कैसे शांत किया जा सकता है…



मेष लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in first house in Aries/Mesh lgna kundli :

प्रथम में भाव में गुरु जातक सभी भौतिक सुखों से परिपूर्ण, प्रखर बुद्धि का स्वामी, आकर्षक व्यक्तित्व से युक्त, धार्मिक प्रवृत्ति का होता है । विदेश यात्राओं और साझेदारी के काम से भी धन कमाने वाला बुद्धिमान संतान से युक्त होता है । वहीँ राहु अपने शत्रु की राशि मेष में आये हैं तो जातक का अनिष्ट करने के लिए बाध्य हैं । ऐसे जातक को राहु से सम्बंधित उपाय अपनाने चाहियें । गुरु की शांति कदापि न करवाएं ।

मेष लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में गुरुचण्डाल योग Gajkesari yoga in second house in Aries/Mesh lgna kundli :

गुरु व् राहु की दशाओं में धन, परिवार, कुटुंब का पूर्ण सहयोग रहता है, रुकावटें दूर होती हैं, प्रतियोगिता परीक्षा में विजय के योग बनते हैं । प्रोफेशनल लाइफ में तरक्की के योग बनते हैं । राहु की दशाओं में जातक की जुबां थोड़ी तेज तर्रार हो जाती है । किसी भी गृह शांति नहीं करवाई जायेगी क्यूंकि यहाँ दोनों गृह शुभ फलप्रदायक हैं ।

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मेष लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in third house in Aries/Mesh lgna kundli :

यहाँ गुरु व् राहु परिश्रम में वृद्धिकारक हो जाते हैं, दोनों ग्रहों की दशाओं में परिश्रम में वृद्धि होती है, विदेश यात्राओं के योग भी बनते हैं । मिथुन राशि में राहु उच्च के हो जाते हैं इसलिए किसी के भी कहने में आकर राहु की शांति न करवाएं ।

मेष लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in fourth house in Aries/Mesh lgna kundli :

गुरु की दशाएँ सुखों में वृद्धिकारक होती हैं, रुकावटें दूर होती हैं, नए मकान, वाहन का योग बनता है, नौकरी अथवा व्यवसाय अथवा दोनों में उन्नति होती है । विदेश से लाभ के अवसर बनते हैं । राहु की शांति अवश्य करवा लें नहीं तो गुरु के शुभ फलों में भी कमी आ जाती है । कर्क राशि में गुरु उच्च के हो जाते हैं, पंचमहापुरुष योग बनाते हैं । लेकिन अपनी शत्रु राशि कर्क राशि में राहु का आना हर काम में परेशानियां पैदा करता है ।

मेष लग्न की कुंडली में पंचम भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in fifth house in Aries/Mesh lgna kundli :

गुरु की दशाओं में विल पावर बहुत स्ट्रांग रहने, उच्च शिक्षा के, किसी विषय में रिसर्च के योग बनते हैं, बड़े भाई बहन से खूब अच्छी निभती है, धन लाभ होता है, स्वास्थ्य भी उत्तम रहता है । राहु की दशाओं में उलट होता है साथ ही संतान को मानसिक या शारीरिक कष्ट के योग बनते हैं । इसलिए पंचम भाव में सिंह राशि में आये राहु का उपाय बहुत आवश्यक हो जाता है । राहु की शांति करवाएं ।



मेष लग्न की कुंडली में छठे भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in sixth house in Aries/Mesh lgna kundli :

त्रिक भावों में कोई योग नहीं बनता । कोर्ट केस में भी पैसा व्यय होने के चान्सेस बनते हैं । नौकरी/व्यापार में पैशानियाँ बढ़ती हैं । गुरु के लिए पूजा प्रार्थना की जाती है । कन्या राशि राहु की मित्र राशि है परन्तु यह भाव ठीक नहीं मान जाता । इसलिए यहाँ यह देखना बहुत आवश्यक हो जाता है की क्या बुद्ध विपरीत राजयोग तो नहीं बना रहे हैं । यदि ऐसा है तो राहु छठे भाव में भी शुभ फल प्रदान करेंगे । राहु की दशाओं में जातक के विदेश में जॉब के योग बनते हैं । यहाँ भूले से भी राहु की शांति नहीं करवानी चाहिए वार्ना शुभ फलों से वंचित रहना पड़ सकता है ।

मेष लग्न की कुंडली में सातवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in seventh house in Aries/Mesh lgna kundli :

राहु तुला राशि में अपनी मित्र राशि में आये हैं शुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य हैं । वहीँ गुरु की दशाएं शुभफलदायी होती हैं । स्वास्थ्य उत्तम रहता है, परिश्रम से लाभ होता है । किसी भी गृह की शांति नहीं करवाई जायेगी ।

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मेष लग्न की कुंडली में आठवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in eighth house in Aries/Mesh lgna kundli :

आठवाँ भाव त्रिक भाव में से एक होता है, शुभ नहीं कहा जाता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में जातक मृत्यु तुल्य कष्ट भोगता है । दोनों की ही शांति करवाई जानी चाहिए ।

मेष लग्न की कुंडली में नौवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in ninth house in Aries/Mesh lgna kundli :

धनु राशि में राहु नीच के हो जाते हैं लेकिन स्वराशि के गुरु राहु की नीचता भंग कर देते हैं । गुरु की दशाओं में परिश्रम का उत्तम फल प्राप्त होता है, जातक धार्मिक यात्राएं करता है, विदेश यात्राओं के योग बनते हैं । इस समय ईष्ट देवी देवता भी जातक की सहायता करते हैं । भाग्य साथ देता है । यहाँ पर राहु देवता की पूजा करने का विधान है । शांति न तो राहु की करवाई जायेगी और ना ही गुरु की ।

मेष लग्न की कुंडली में दसवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in tenth house in Aries/Mesh lgna kundli :

मकर राशि में गुरु नीच के हो जाते हैं । गुरु दसवें के साथ साथ जिन भावों के स्वामी हैं और जहाँ देखते हैं उन सभी भावों का अनिष्ट करते हैं । वहीँ मकर राहु की मित्र राशि है । मकर राशि के राहु शुभफलदायक होते हैं ( शनि देव की स्थिति भी देखनी चाहिए ) । इसलिए यहाँ गुरु से सम्बंधित उपायों की आवशयकता होती है, लेकिन गुरु की शांति यहाँ भी नहीं करवाई जाती ।

मेष लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in eleventh house in Aries/Mesh lgna kundli :

गुरु व् राहु दोनों की दशाओं में अचानक धन लाभ होने के योग बनते हैं, जातक को परिश्रम का उचित फल प्राप्त होता है, पुत्र प्राप्ति की सम्भावना बनती है । किसी गृह को शांत नहीं किया जाएगा ।

मेष लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in twelth house in Aries/Mesh lgna kundli :

बारहवां भाव त्रिक भावों में से एक होता है, शुभ नहीं माना जाता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में व्यर्थ का व्यय लगा ही रहता है । कोर्ट केस में धन व्यय होने के योग बनते हैं । राहु की शांति करवाई जा सकती है, गुरु देव को पूजा, प्रार्थना से ठीक करना उचित रहता है ।

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