मेष लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – gajkesari yoga consideration in aries/mesh

मेष लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – Gajkesari yoga Consideration in Aries/Mesh

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  • आज से हम एक नए योग पर चर्चा प्रारम्भ करने जा रहे हैं । इस योग को गजकेसरी योग के नाम से जाना जाता है । जब चंद्र व् गुरु किसी जन्मपत्री में योगकारक गृह हों और किसी शुभ भाव में युति बनाकर स्थित हों तो इसे गजकेसरी योग कहा जाता है । कुछ ज्योतिषी यदि गुरु चंद्र से केंद्र में हों तो इसे भी गजकेसरी योग मानते हैं । यदि इन ग्रहों पर दो या अधिक पापी ग्रहों की दृष्टियां पड़ती हों अथवा एक या एक से अधिक पापी गृह चंद्र गुरु के साथ युति बना लें तब भी यह योग बना हुआ नहीं कहा जा सकता है । हमारा कहने का तात्पर्य यह है की चन्द्र्गुरु की युति शुभ भाव में होने पर ही यह योग पूर्णतया शुभ परिणामकारक होता है । यह दोनों ही गृह योगकारक अवश्य होने चाहियें और इन से किसी भी पापी गृह का युति या द्रष्टि सम्बन्ध नहीं होना चाहिए । ध्यान देने योग्य है की सभी लग्न कुंडलियों में चंद्र व् गुरु योगकार ही हों, ऐसा अनिवार्यरूपेण नहीं है ।




    मेष लग्नकुंडली में चंद्र चौथे भाव के स्वामी होकर एक योगकारक गृह बनते हैं । वहीँ गुरु भी नवमेश द्वादशेश होकर एक योगकारक गृह हैं । यहाँ कहा जा सकता है की मेष लग्न की कुंडली में शुभ भावों में गजकेसरी योग जरूर बनता है ।

    मेष लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in first house in Aries/Mesh lgna kundli :

    प्रथम भाव कुंडली का शुभ भाव होता है । यहाँ चन्द्र्गुरु की युति से गजकेसरी योग अवश्य बनता है । ऐसा जातक बहुत बुद्धिमान, क्रिएटिव व्हो धर्मपरायण होता है । चंद्र गुरु की दशाओं में भाग्य जातक का पूर्ण साथ देता है, दूर देस की यात्राएं करता है । भाग्यवान होता है, खूब धन अर्जित करता है ।

    मेष लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in second house in Aries/Mesh lgna kundli :

    धन भाव में चंद्र गुरु की युति बहुत शुभफलदायक होती है । जातक के जन्म से ही कुटुंब की उन्नति शुरू हो जाती है । गुरु की दशाओं में जातक विदेश से भी लाभ अर्जित करता है, भाग्यवान होता है । चंद्र सभी प्रकार की सुख समृद्धि प्रदान करते हैं ।

    मेष लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in third house in Aries/Mesh lgna kundli :

    तीसरे भाव से जातक का परिश्रम पराक्रम देखा जाता है या लम्बी दूरी की यात्राएं देखि जाती हैं । यह भाव उतना शुभ नहीं माना जाता । इस भाव में गजकेसरी योग नहीं बनता ।

    मेष लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in fourth house in Aries/Mesh lgna kundli :

    स्वराशिस्थ चंद्र सभी सुख सुविधाएँ प्रदान करते हैं । गुरु की दशाओं में भाग्य का पूर्ण साथ मिलता है । जातक का किसी धार्मिक स्थल पर बड़ा घर हो सकता है । सभी सुख भोगता है, विदेशों से भी खूब धनार्जन करता है । इस भाव में गजकेसरी योग बनता है ।

    मेष लग्न की कुंडली में पंचम भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in fifth house in Aries/Mesh lgna kundli :

    इस भाव में गजकेसरी योग अवश्य बनता है । सुख के साधनों में वृद्धि होती है, गुरु की दशाओं में प्रेम संबंधों में सफलता प्राप्त होती है । जातक की बुद्धि दोनों ही ग्रहों की दशाओं में बहुत उम्दा काम करती है । भाग्य पूर्ण साथ देता है, अचानक लाभ होते हैं, विदेशी संबंधों से लाभ होते हैं ।

    मेष लग्न की कुंडली में छठे भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in sixth house in Aries/Mesh lgna kundli :

    त्रिक भावों में कोई योग नहीं बनेगा सिवाए विपरीत राजयोग के । यहाँ गुरु के स्थित होने पर शुभ परिणाम आ सकते हैं यदि मंगल ( लग्नेश ) बलवान हो तो ।



    मेष लग्न की कुंडली में सातवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in seventh house in Aries/Mesh lgna kundli :

    दोनों ग्रहों की दशाओं में शुभ परिणाम आते हैं । बहुत समझदार लाइफ पार्टनर प्राप्त होता है । साझेदारी के व्यापार में चंद्र गुरु की दशाओं में विशेष लाभ होता है ।

    मेष लग्न की कुंडली में आठवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in eighth house in Aries/Mesh lgna kundli :

    त्रिक भाव में केवल विपरीत राजयोग बनता है वह भी तब जब छह, आठ अथवा बारहवें भाव के स्वामी इन्हीं भावों में से किसी भाव में स्थित हो जाएँ और लग्नेश बलवान हो । यहाँ गजकेसरी योग नहीं बनेगा । चंद्र की दशाओं में माता को समस्याएं आती हैं ।

    मेष लग्न की कुंडली में नौवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in ninth house in Aries/Mesh lgna kundli :

    नवम भाव कुंडली का एक शुभ भाव होता है । गुरु इस भाव के कारक भी हैं और इस लग्न कुंडली में स्वग्रही भी हैं । यहाँ चन्द्र्गुरु की युति से गजकेसरी योग अवश्य बनता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में विदेश यात्राएं होती हैं, बहुत लाभ होता है । जातक पिता व् गुरुजनों का मान करने वाला होता है । प्रकृति द्वारा बहुत साफ़ हृदय से नवाज़ा गया होता है ।

    मेष लग्न की कुंडली में दसवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in tenth house in Aries/Mesh lgna kundli :

    यहाँ चन्द्र्गुरु की युति गजकेसरी योग का निर्माण नहीं करती है । चन्द्र की दशाओं में सुख के साधनो में वृद्धि होती है, जातक का माता से बहुत लगाव होता है । गुरु यहाँ नीच राशि में आ जाते हैं और शुभ फलों में कमी लाते हैं । माता पिता से मन मुटाव रहता है ।

    मेष लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in eleventh house in Aries/Mesh lgna kundli :

    यहाँ से गुरु पुत्र व् चंद्र पुत्री का योग बनाते हैं । अचानक लाभ के योग बनाते हैं । सुख सुविधाओं में बढ़ौतरी होती है । यहाँ चन्द्र्गुरु की युति से गजकेसरी योग बनता है ।

    मेष लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in twelth house in Aries/Mesh lgna kundli :

    बारहवां भाव त्रिक भावों में से एक होता है, शुभ नहीं माना जाता है । बारहवें भाव में गजकेसरी योग नहीं बनता । केवल विपरीत राजयोग की स्थिति में गुरु शुभ फलदायक हो जाते हैं । चंद्र के इस भाव में स्थित होने पर पारिवारिक सुखों में कमी साफ तौर पर महसूस की जाती है ।

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