मेष लग्न कुंडली में चंद्र चतुर्थ भाव का स्वामी होने से एक कारक गृह बनता है । अतः ऐसी स्थिति में चंद्र जिस भाव में जाएगा और जिस भाव को देखेगा उन भावोंसे सम्बंधित फलों को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करेगा और उनमे बढ़ोतरी करेगा । मेष लग्न की कुंडली में अगर चंद्र बलवान ( डिग्री से भी ताकतवर ) होकरशुभ स्थित हो तो शुभ फ़ल अधिक प्राप्त होते हैं । इस लग्न कुंडली में चंद्र डिग्री में ताकतवर न हो तो इनके शुभ फलों में कमी आती है । यहां बताते चलें की कुंडली के 6, 8, 12 भावों में जाने से योगकारक गृह भी अपना शुभत्व लगभग खो देते हैं और अशुभ परिणाम देने के लिए बाध्य हो जाते हैं । केवल विपरीतराज योग की कंडीशन में ही 6, 8, 12 भावों में स्थित गृह शुभ फल प्रदान करने की स्थिति में आते हैं । इस लग्न कुंडली में चंद्र चौथे घर का स्वामी है । ऐसे में यहाँ विपरीत राजयोग का निर्माण होता ही नहीं है और चंद्र 6, 8, 12 भाव में स्थित होने पर अशुभ फल प्रदान करते है । चंद्र नीच राशिस्थ होने पर अधिकतर फल अशुभ ही प्राप्त होते हैं । कोई भी निर्णय लेने से पूर्व चन्द्रमा का बलाबल देखना न भूलें ।
मेष लग्न – प्रथम भाव में चंद्र – Mesh Lagan – Chandra Pehle bhav me :
मेष लग्न कुंडली में यदि लग्न में चन्द्रमा हो तो जातक भावुक अधिक होता है । निर्णय लेने की क्षमता में कमी आती है । माता से बहुत लगाव रखने वाला । सुखसुविधाओं से परिपूर्ण होता है । क्रिएटिव फील्ड में बहुत अच्छा काम कर सकता है । जातक/ जातीका का पति / पत्नी बहुत सुंदर होते हैं ।
मेष लग्न – द्वितीय भाव में चंद्र – Mesh Lagan – Chandra Dusre bhav me :
यहां वृष राशि में होने से चंद्र उच्च के हो जाते हैं । ऐसे जातक को धन , परिवार कुटुंब का भरपूर साथ मिलता है । कमाल की वाणी होती है । अपनी वाक् शक्तिसे सारी बाधाओं को पार कर लेता है । ऐसा जातक अपनी वाणी से अधिकतर काम निकालने में सक्षम होता है ।
मेष लग्न – तृतीय भाव में चंद्र – Mesh Lagan – Chandra tritiy bhav me :
सभी सुख सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है । छोटी बहन का योग बनता है । पिता से मन मुटाव रहता है । ऐसा जातक भगवान् कोनहीं मानता है ।
मेष लग्न – चतुर्थ भाव में चंद्र – Mesh Lagan – Chandra chaturth bhav me :
स्वराशि होने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख मिलता है । काम काज भी बेहतर स्थिति में होता है ।
मेष लग्न – पंचम भाव में चंद्र – Mesh Lagan – Chander pncham bhav me :
पुत्री का योग बनता है । अचानक लाभ की स्थिति बनती है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध मधुर रहते हैं । जातक रोमांटिक होता / होती है । ऐसे जातकों के गर्लफ्रेंड/ बॉयफ्रेंड बहुत आकर्षक होते है ।
मेष लग्न – षष्टम भाव में चंद्र – Mesh Lagan – Chander shashtm bhav me :
जातक के पैदा होते ही माता के बीमार होने का योग बनता है । चन्द्रमा की महादशा में माता बीमार रहती है । सुख सुविधाओं का अभाव होने लगता है । कोर्ट केस, हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बंना रहता है ।
मेष लग्न – सप्तम भाव में चंद्र – Mesh Lagan – Chander saptam bhav me :
जातक/ जातीका का पति / पत्नी बहुत सुंदर होते हैं । व्यवसाय व् साझेदारों से लाभ मिलता है ।
मेष लग्न – अष्टम भाव में चंद्र – Mesh Lagan – Chander ashtam bhav me :
यहां चंद्र नीच राशि में आने से और अष्टम भाव होने से जातक के हर काम में रुकावट आती है । कभी कभी जातक डिप्रेशन का शिकार हो जाता है । परिवार के लोग भी ऐसे जातक की मदद नहीं कर पाते हैं ।
मेष लग्न – नवम भाव में चंद्र – Mesh Lagan – Chandra nvm bhav me :
जातक आस्तिक व् पितृ भक्त होता है । विदेश यात्रा करता है ।
मेष लग्न – दशम भाव में चंद्र – Mesh Lagan – Chandra dasham bhav me :
सुख सुविधाओं में बढ़ोतरी होती है । काम काज बहुत अच्छा चलता है ।
मेष लग्न – एकादश भाव में चंद्र – Mesh Lagan – Chander ekaadash bhav me :
यहां स्थित होने पर बड़े भाई बहनो का स्नेह बना रहता है । प्रॉपर्टी से लाभ की संभावना बनती है । अचानक लाभ होता है ।
मेष लग्न – द्वादश भाव में चंद्र – Mesh Lagan – Chander dwadash bhav me :
मन परेशान रहता है । सुविधाएं हो भी तो सुख नहीं ले पाता । सुख में कमी आती है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बंना रहता है ।