मीन लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – mahalakshmi yoga consideration in pisces/meen

मीन लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Pisces/Meen

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • 3152 views
  • मीन लग्न की कुंडली में चंद्र पंचम भाव के स्वामी हैं, लग्नेश गुरु के अति मित्र हैं । इस वजह से चंद्र इस कुंडली में एक योगकारक गृह जाने जाते हैं । वहीँ मंगल द्वितीयेश व् नवमेश होकर एक सम गृह गिने जाते हैं । इस लग्न कुंडली में चन्द्रमंगल दोनों ग्रहों की शुभ भावों में युति से महालक्ष्मी योग अवश्य बनता है । जानने का प्रयास करते हैं मीन लग्न की कुंडली के विभिन्न भावों में चन्द्रमंगल की युति के कैसे परिणाम आ सकते हैं……




    मीन लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in first house in Pisces/Meen lgna kundli :

    चंद्र लग्न में स्थित हों तो जातक का स्वास्थ्य उत्तम रहता है, पर्सनालिटी आकर्षक होती है और पार्टनरशिप से लाभ होता है, लव मैरिज के योग बनते हैं । मंगल के लग्न में आने से छह भाव पॉजिटिव होजाते हैं । जातक का कुटुंब साथ देता है, धन, मकान, वाहन, भूमि का लाभ मिलता है, जातक पितृ भक्त होता है, विदेश यात्राएं करता है, पार्टनरशिप से लाभ कमाता है । दोनों ग्रहों में बलाबल हो तो मीन लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में महालक्ष्मी योग अवश्य बनता है ।

    मीन लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in second house in Pisces/Meen lgna kundli :

    चंद्र मंगल दोनों की युति इस भाव में महालक्ष्मी योग बनाती है । दोनों ग्रहों की दशाओं में दुसरे, पांचवें, आठवें, नौवें भाव सम्बन्धी सभी लाभ प्राप्त होते हैं ।

    मीन लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in third house in Pisces/Meen lgna kundli :

    मीन लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा । हालांकि यहाँ दोनों ग्रह शुभ परिणाम कारक होते हैं । मंगल फिजिकल परिश्रम में वृद्धि करते हैं वहीँ चंद्र उच्च के होकर जातक को बुद्धि से काम करने वाला बनाते हैं । दोनों ग्रहों की दशाओं में परिश्रम बढ़ जाता है लेकिन लाभ भी होता रहता है । दोनों गृह अन्य भावों के साथ दृष्टि सम्बन्ध से लाभ प्रदान करते हैं ।

    मीन लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in fourth house in Pisces/Meen lgna kundli :

    मीन लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में महालक्ष्मी योग अवश्य बनता है । जातक को माता, भूमि, मकान, वाहन का पूर्ण सुख प्राप्त होता है । भाग्य साथ देता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में चौतरफा लाभ होता है । नौकरी हो तो प्रमोशन मिलता है, जातक व्यापार करता हो तो उन्नति होती है । विदेश यात्राओं से भी लाभ अर्जित होता है ।

    मीन लग्न की कुंडली में पंचम भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in fifth house in Pisces/Meen lgna kundli :

    मीन लग्न की कुंडली में पंचम भाव में महालक्ष्मी योग नहीं बनता क्यूंकि मंगल पंचम भाव में नीच के हो जाते हैं । हालाँकि चंद्र के स्वराशि होने से मंगल का नीच भंग हो जाता है । अब मंगल अपनी नकारात्मकता तो खो देते हैं लेकिन पॉजिटिव भी हो जाएँ ऐसा कतई आवश्यक नहीं हैं । मंगल अन्य भावों व् दृष्टि सम्बन्ध के अनुसार परिणाम प्रदान कर पाते हैं । हाँ मंगल की दशाओं में पुत्र प्राप्ति का योग भी बनता है । चंद्र की दशा में पुत्री का योग बनता है । अचानक लाभ होते हैं, बड़े भाई बहन से बनती है ।

    मीन लग्न की कुंडली में छठे भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in sixth house in Pisces/Meen lgna kundli :

    छठा भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ स्थित होने पर चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक पीड़ा ही भोगता देखा गया है । इस प्रकार छठे भाव में चन्द्रमंगल की युति से महालक्ष्मी योग तो नहीं बनेगा । क्यूंकि मंगल छठे भाव के कारक गृह हैं तो कड़ी मेहनत के बाद प्रतियोगिता में विजय हासिल हो जाती है ।

    मीन लग्न की कुंडली में सातवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in seventh house in Pisces/Meen lgna kundli :

    चंद्रमंगल की दशाओं में पार्टनरशिप से लाभ अर्जित अवश्य होता है । जातक की बुद्धि और भाग्य उसका पूरा साथ देते हैं । दोनों ग्रहों की दशाओं में जातक खूब तरक्की करता है । विदेश यात्राएं होने व् धन की कमी न रहने के योग बनते हैं । मीन लग्न की कुंडली में सातवें भाव में महालक्ष्मी योग अवश्य बनता है ।



    मीन लग्न की कुंडली में आठवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in eighth house in Pisces/Meen lgna kundli :

    आठवाँ भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ स्थित होने पर चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक मृत्यु तुल्य कष्ट भोगता है । संतान या पिता को या किसी कुटुंबजन को दिक्कतें आती हैं । धन का आभाव होने के योग बनते हैं ।

    मीन लग्न की कुंडली में नौवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in ninth house in Pisces/Meen lgna kundli :

    चंद्र अपनी दशाओं में नौवें व् तीसरे भाव सम्बन्धी अशुभ फल प्रदान करता है । चंद्र की दशाओं में जातक का भाग्य उसका साथ कम ही दे पाता है, पिता या संतान का स्वास्थ्य खराब रहता है । वहीँ मंगल की दशाओं में भाग्य जातक का साथ देता है, ऐसा जातक विदेशों से भी धन अर्जित कर लेता है, छोटे भाई बहन से अच्छी निभती है । माता से लगाव रहता है और चौथे भाव सम्बन्धी सुख जातक को प्राप्त होते हैं । महालक्ष्मी योग नहीं बनता है । इस भाव में चंद्र की नीचता भंग हो जाती है लेकिन चंद्र लाभ प्रदान करने की स्थिति में मुश्किल से ही आ पाते हैं ।

    मीन लग्न की कुंडली में दसवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in tenth house in Pisces/Meen lgna kundli :

    इस भाव में चंद्र मंगल की युति होने पर मंगल की महादशा में जातक के प्रोफेशन में उन्नति होती है । राज्य से लाभ प्राप्त होता है, सुखों में बढ़ौतरी होती है व् माता,पिता से बनती है । मंगल दुसरे, चौथे, पांचवें, नौवें और दसवें भावों सम्बन्धी शुभ फल प्रदान करता है । मीन लग्न की कुंडली में दसवें भाव में महालक्ष्मी योग जरूर बनता है यदि दोनों ग्रहों का बलाबल योग बनाने लायक हो ।

    मीन लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in eleventh house in Pisces/Meen lgna kundli :

    चंद्र की दशाओं में पुत्री का योग बनता है । अनिश्चित लाभ भी अवश्य प्राप्त होते हैं । वहीँ मंगल की दशाओं में बड़े भाई से बनती है, पुत्र प्राप्ति के योग बनते हैं, अचानक लाभ होता है, प्रतियोगिता परिक्षा व् कोर्ट केस में जीत होती है । जातक का भाग्य उसका साथ अवश्य देता है । मंगल के उच्च स्थिति में आने से धन की कमी न रहने के योग बनते हैं । अतिश्योक्ति नहीं होगी यदि कहा जाए की मीन लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में महालक्ष्मी योग अवश्य बनता है ।

    मीन लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in twelth house in Pisces/Meen lgna kundli :

    मीन लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा क्यूंकि बारहवां भाव भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक पीड़ा ही भोगता है । पिता या संतान के हॉस्पिटल में जाने योग बनते हैं । परिवार जातक का साथ नहीं देता, प्रतियोगिता या कोर्ट केस में हानि का योग बनता है साथ ही मांगलिक दोष भी निर्मित होता है । पार्टनर्स ( लाइफ या बिज़नेस ) से हानि के योग बनते हैं । आय में दिनोदिन कमी आती है । मन खिन्न रहता है ।

    आशा है की उपरोक्त विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ( Jyotishhindi.in ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Popular Post