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मंगल ग्रह रहस्य वैदिक ज्योतिष – Mars Grah Vedic Astrology

मंगल गृह को वैदिक ज्योतिष में देवताओं का सेनापति कहा गया है । मंगल स्वभाव से क्रूर किन्तु एक देव ग्रह है । पराक्रम के प्रतीक मंगल सभी बाधाओं को दूर करने वाले व् सुख समृद्धि प्रदान करनेवाले कहे गए हैं । अष्टसिद्धि नव निधि के दाता मंगल मेष व् वृश्चिक राशि के स्वामी है । मंगल मकर राशि में उच्च व् कर्क राशि में नीच के हो जाते हैं । शुभ रत्न मूंगा व् रंग लाल है । मेष राशि एक क्षत्रिय वर्ण राशि है वहीँ वृश्चिक ब्राह्मण वर्ण है जो दर्शाता है की मंगल ज्ञान व् पराक्रम दोनों का ही प्रतिनिधित्व करता है ।



मंगल ग्रह – राशि, भाव और विशेषताएं – Mngl Grah Rashi – Bhav characteristics :

  • राशि स्वामित्व : मेष , वृश्चिक
  • दिशा : दक्षिण
  • दिन : मंगलवार
  • तत्व: अग्नि
  • उच्च राशि : मकर
  • नीच राशि : कर्क
  • दृष्टि अपने भाव से: 4, 7, 8
  • लिंग: पुरुष
  • नक्षत्र स्वामी : मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा
  • शुभ रत्न : मूंगा
  • महादशा समय : 7 वर्ष
  • मंत्र: ऊँ भु भौमाय नम:

मंगल ग्रह के शुभ फल – प्रभाव कुंडली – Mars shubh Fal – Mars Planet :

  • शुभ मंगल जातक को साहसी व् न्यायप्रिय बनाता है
  • उच्च पदासीन होता है , सम्मानित , प्रतिष्ठित होता है
  • नेतृत्व की क्षमता प्रदान करता है
  • बड़ा मकान संपत्ति दिलवाता है
  • ऐसा जातक मेहनती व् पराक्रमी होता है
  • वैवाहिक जीवन सुखी रहता है

मंगल ग्रह के अशुभ फल – प्रभाव कुंडली – Mars Ashubh Fal – Mars Planet :

  • अशुभ मंगल से दिन प्रतिदिन ऋण बढ़ता रहता है
  • भूमि संबंधी कार्यों में नुकसान की संभावना बानी रहती है
  • मकान बनाने में विलम्ब होता है , नित नयी परेशानियां आती रहती है
  • शरीर में कोई न कोई व्याधि लगी रहती है । रक्त संबंधी को बीमारी होने की संभावना बानी रहती है
  • विवाह में विलम्ब होता है
  • चोट , दुर्घटना का भय बना रहता है
  • सर्जरी हो सकती है

मंगल शांति के उपाय – रत्न Mars shanti upay – Ratn/Stone :

किसी कारण वश कुंडली में मंगल शुभ होकर बलाबल में कमजोर हो तो मूंगा रत्न धारण करना चाहिए । मूंगे के अभाव में लाल हकीक, लाल गोमेद का उपयोग किया जाता है । कोई भी रत्न धारण करने से पूर्व किसी योग्य विद्वान की सलाह आवश्य लें । यदि जन्म कुंडली में मंगल मारक हो तो करें ये उपाय :

  • मंगलवार का व्रत रखें
  • नित्य हनुमान जी की पूजा करें
  • हनुमान चालीसा का पाठ करें
  • मंगल स्तोत्र का नित्य पाठ करें
  • सतनज्जा ( सात अनाज ) बंदरों को खिलाएं
  • महामृत्युंजय मंत्र का जप सभी ग्रहों की शांति के लिए उत्तम रहता है
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