नव ग्रहों में मंगल को सेनापति का दर्जा प्राप्त है । कुंडली का तीसरा और छठा भाव मंगल का कारक भाव कहा गया है और दसवें भाव में मंगल को दिग्बली कहा गया है । कालपुरुष कुंडली में मंगल को को पहला व् आठवाँ भाव प्रदान किया गया है । पराक्रम व् ऊर्जा के प्रतीक मंगल गृह से छोटे भाई का भी विचार किया जाता है । इसे एक क्रूर गृह के रूप में भी जाना जाता है । आज हम jyotishhindi.in के माध्यम से आपसे सांझा करने जा रहे हैं की मंगल की महादशा में हमें किस प्रकार के फल प्राप्त होने संभावित हैं । इसके साथ ही हम यह भी आपको ऐसे उपायों के बारे में भी बताएँगे जो मंगल के नकारात्मक परिणामों को कम करने में सहायक हैं । आइये जानते हैं मंगल की महादशा में प्राप्त होने वाले शुभ अशुभ फलों के बारे में …
मंगल महादशा के शुभ फल Positive Results Of Mars/Mangal Mahadasha :
यदि लग्न कुंडली में मंगल एक कारक गृह हों और शुभ स्थित भी हों तो जातक/जातिका को निम्लिखित फल प्राप्त होने संभावित होते हैं …
- धन धान्य से भरपूर अचल संपत्ति का स्वामी बनाते हैं ।
- सरकारी नौकरी प्राप्त होने के योग बनते हैं ।
- पदोन्नति होती है ।
- भूमि, मकान वाहन का सुख प्राप्त होता है ।
- पुत्र प्राप्ति के योग बनते हैं ।
- अचानक लाभ होता है ।
- यश, मान, प्रतिष्ठा प्राप्ति होती है ।
- बंधू बांधवों से सम्बन्ध मधुर रहते हैं, लाभ प्राप्त होता है ।
- राज्य से लाभ सम्मान प्राप्त होता है ।
- चारों दिशाओं में कीर्ति होती है ।
- भूमि, मकान सम्बन्धी रुके हुए कार्य संपन्न होते हैं ।
- प्रतियोगिताओं में विजय पताका फहराती है ।
- सुदूर देशों की यात्राओं के अवसर प्राप्त होते हैं ।
- वैवाहिक जीवन सुखमय होता है ।
- उच्च शिक्षा प्राप्ति के योग बनते हैं ।
- घर में मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं ।
- देश विदेश की यात्राओं से लाभ प्राप्त होता है ।
- कार्य व्यापार से लाभ होता है ।
- बाधाएं दूर होती हैं ।
- कोर्ट केस सम्बंधित मामलों में विजय प्राप्त होती हैं ।
यदि मंगल किसी प्रकार से शनि, राहु व् केतु से सम्बन्ध बनाये हुए हो तो इन फलों में कुछ कमी आ जाती है ।
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मंगल की महादशा के अशुभ फल Negitive Results Of Mars/Mangal Mahadasha:
यदि लग्न कुंडली में मंगल एक अकारक गृह हों और अशुभ भाव में स्थित भी हों अथवा शनि राहु, या केतु से दृष्ट हों तो या पाप कर्त्री योग से प्रभावित हों तो जातक/जातिका को निम्लिखित फल प्राप्त होने संभावित होते हैं …
- ऋण के कारण परेशानी होती है ।
- धन की चोरी हो सकती है ।
- ओप्रशन हो सकता है ।
- न्यायालय सम्बन्धी समस्या हो सकती है ।
- हस्पताल में खर्चा होने की सम्भावना बनती है ।
- मकान, वाहन, जमीन सम्बन्धी मामलों से परेशानी बढ़ती है ।
- दुर्घटना की सम्भावना बनती है ।
- हड्डियों में दर्द होता है ।
- ओप्रशन ठीक नहीं हो पायेगा ।
- अग्नि से समस्या हो सकती है ।
- हर काम में विलम्ब होगा ।
- माता पिता का स्वास्थ्य खराब रहता है ।
- वाहन से चोट का भय बनता है ।
- जुए सट्टे से हानि होती है ।
- दाम्पत्य जीवन में परेशानियां आती हैं ।
- व्यय बढ़ जाते हैं ।
- अचानक हानि होती है ।
- व्याभिचार की सम्भावना बनती है ।
- बंधू बांधवों से मतभेद स्वाभाविक हो जाते हैं ।
- परिवार से दूरी हो जाती है अथवा वियोग झेलना पड़ता है ।
- राज्य से हानि होती है ।
- कीर्ति को बट्टा लगता है ।
- डिमोशन हो सकती है ।
- मकान, वाहन, जमीन के सुख में कमी आती है ।
- छोटे भाई बहन से परेशानी के योग बनते हैं ।
- धन व् मान हानि होती है ।
- घाव हो सकता है ।
- स्वजनों से विरोध रहने लगता है ।
मंगल के कुप्रभाव से बचने के उपाय Mars/Mangal Remidies :
यदि लग्नकुंडली में मंगल मारक हैं तो मंगलवार को मंगल से सम्बंधित वस्तुओं मूंगा, मसूर की दाल, ताम्र, स्वर्ण, गुड़, घी, मीठी रोटी, जायफल का दान करें ।
- मंगलवार का व्रत रखें ।
- छोटे भाई को किसी भी सूरत में धोखा ना दें ।
- किसी की जमीन न हड़पें ।
- यदि लग्न मंगल का मित्र है और मंगल एक कारक गृह होकर शुभ स्थित हों, लेकिन कमजोर हों ( कम डिग्री के हों ) तो मूंगा धारण करें ।
- हर सक्रांति को लाल मौली धारण करें, पहले वाली को बदल दें ।
- हनुमान जी के चरणों का सिन्दूर ( टीका ) अपने मस्तक पर लगाएं ।
- सुन्दर कांड का नियमित जप करें ।
- ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाया नम:’ का 108 बार नियमित जाप करें ।
- ॐ नमः शिवाय का नियमित जाप भी बहुत लाभदायक होता है ।
यहाँ हमने ( Jyotishhindi.in ) केवल मंगल की महादशा में प्राप्त होने वाले फलों की संभावना व्यक्त की है । किसी भी उपाय को अपनाने अथवा कोई स्टोन धारण करने से पूर्व किसी योग्य विद्वान से कुंडली विश्लेषण करवाना परम आवश्यक है ।