मकर लग्न की जन्मपत्री में सूर्य अष्टमेश होते हैं । सूर्य की शनि देव से शत्रुता भी है । इस लिए एक अकारक गृह बनते हैं और बुद्ध षष्ठेश, नवमेश व् शनि देव के अति मित्र होने की वजह से एक योगकारक गृह बनते हैं । अतः केवल बुध गृह ही योगकारक हैं । इस वजह से बुद्ध गृह अपनी दशाओं में शुभ फल प्रदान करते हैं, सूर्य देव नहीं । बुद्ध या सूर्य या दोनों यदि विपरीत राजयोग की स्थिति में आ जाएँ तो छह, आठ अथवा बारहवें भाव में भी शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं । सकारात्मक अथवा नकारात्मक परिणाम प्रदान करने के लिए दोनों ग्रहों का बलाबल में सुदृढ़ होना बहुत आवश्यक है । यदि गृह कमजोर हों, अशुभ भाव में स्थित हों या बुद्ध अस्त हो जाएँ ( जो अधिकतर जन्मपत्रियों में होता है ) तो भी शुभ परिणाम प्राप्त नहीं होते । मकर लग्न की जन्मपत्री में बुधादित्य योग किसी भी भाव में नहीं बनता है ।
प्रथम भाव में बुद्ध की दशाओं में जातक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है, व्यापार में तरक्की होती है, पार्टनर्स से शुभ फल प्राप्त होते हैं । भाग्य जातक का पूर्ण साथ देता है । बुद्धादित्य योग नहीं बनता है क्यूंकि सूर्य शुभ फल प्रदान करने की स्थिति में नहीं होते ।
यही युति दुसरे भाव में होने पर भी बुद्धादित्य योग बिलकुल नहीं बनता है । सूर्य की दशाओं में भाग्य जातक का साथ नहीं देता है , परिवार में समस्या का आगमन होता है, बाधाएं बानी रहती हैं । बुद्ध इस भाव में सकारात्मक भूमिका अदा करता है ।
तृतीय भाव में बुद्ध अपनी नीच राशि में आ जाते हैं । सूर्य बुद्ध की युति जातक की मेहनत में वृद्धि कर देते हैं । जातक का काम बहुत भाग दौड़ से जुड़ा होता है, पिता से लगाव नहीं रहता है, विदेश यात्राएं भी होती रहती हैं । विदेश यात्राओं से लाभ नहीं होता है । भाग्य जातक का साथ नहीं देता । बुधादित्य योग नहीं बनता ।
बुद्ध की दशाओं में मकान, वाहन व् भूमि सम्बन्धी लाभ होते हैं । जातक का माता से बहुत लगाव होता है, राज्य पक्ष से लाभ के योग बनते हैं । वहीँ सूर्य की अपनी दशाओं में घर परिवार सम्बन्धी दुःख प्रदान करते हैं, व्यापार, नौकरी में अवनति के योग बनते हैं, राज्य से हानि प्रदान कराने वाले कहे जाते हैं । बुद्धादित्य योग नहीं बनता है ।
बुद्ध की दशाओं में प्रेम संबंधों में सफलतादायक होती है । अचानक लाभ की सम्भावना भी रहती है । पुत्री का योग बनता है । सूर्य की दशाओं में पुत्र प्राप्ति के योग बनते हैं । भाग्य का साथ नहीं मिलता है । बुद्धादित्य योग नहीं बनता है ।
त्रिक भाव में बुद्धादित्य योग नहीं बनता । कोर्ट केस, हॉस्पिटल में धन का व्यय होता है । नौकरी, व्यापार में परेशानियां झेलनी पड़ती हैं । भाग्य का साथ नहीं मिलता । पिता या ननिहाल में कोई बीमार हो सकते हैं ।
सप्तम भाव में बुद्ध की दशाओं में पार्टनर्स से लाभ के चान्सेस बढ़ जाते है । व्यापार से लाभ होता है, स्वास्थ्य उत्तम रहता है । इस भाव में भी बुद्धादित्य योग नहीं बनता है । सूर्य की दशाओं में उलट होता है । हर काम में रुकावट के योग बनते हैं ।
आठवाँ भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ भी बुद्धादित्य योग नहीं बनता । सूर्यबुद्ध की दशाओं में पिता का स्वास्थ्य खराब रहता है, काम काज की स्थिति दिन बदिन बत्तर होती चली जाती है । सूर्य या बुध विपरीत राजयोग की स्थिति में शुभ फल प्रदान करते हैं ।
नौवें भाव में बुद्ध की दशाओं में यात्राओं से धन लाभ होता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में विदेश यात्राओं के योग बनते हैं । बुद्ध की दशाओं में जातक का भाग्य उसका साथ देता है । जातक धार्मिक व् पितृ भक्त भी होता है । बुधादित्य योग नहीं बनता है । सूर्य की दशाएं केवल परिश्रम बढाती है, फल कुछ खास प्राप्त नहीं हो पाते ।
दसवें भाव में स्थित बुद्ध की दशाओं में जातक उन्नति करता है । परिवार में शुभ होता है । राज्य से लाभ, माता से संबंधों में मधुरता रहती है, मकान, वाहन, भूमि से लाभ की संभावनाएं प्रबल होती है । सूर्य यहाँ नीच राशि में होते हैं । अशुभ फल प्रदान करते हैं ।
यहाँ बुद्ध के स्थित होने पर भाग्य पूरा साथ देता है, नौकरी, व्यापार में लाभ होता है । पुत्री प्राप्ति का योग भी बनता है । पंचम व् एकादश से रिलेटेड सभी लाभ प्राप्त होते हैं । प्रेम संबंधों में भी सफलता के योग बनते हैं । वहीँ सूर्य की दशाओं में संतान पक्ष से परेशानी, प्रेम संबंधों में असफलता, अचानक हानि होती है और जातक भी कुछ अस्वस्थ रहता है । बड़े भाई बहन से अनबन रहती है, बुद्ध आदित्य योग नहीं बनता ।
त्रिक भावों में से किसी भी भाव में यह योग नहीं बनता । जातक के स्वास्थ्य में परेशानी व् कोर्ट केस सम्बन्धी परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं । सूर्य की दशाओं में भी जातक के अस्वस्थ रहने के योग बनते हैं, हॉस्पिटल में खर्चा होता है । केवल विपरीत राजयोग की स्थिति में सूर्य या बुद्ध शुभ फल प्रदान करते हैं ।
ध्यान दें राशियां, दृष्टियां भी ग्रहों व् योगों पर अपना प्रभाव रखती हैं । उन सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर ही किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए । बुद्ध के अस्त होने के चान्सेस बहुत अधिक होते हैं । यदि बुध अस्त अवस्था में हो तो किसी भी सूरत में यह योग बना हुआ नहीं समझना चाहिए ।
आशा है की उपरोक्त विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ( Jyotishhindi.in ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।