आज की हमारी चर्चा का केंद्र मघा नक्षत्र है । यह आकाशमण्डल में मौजूद दसवां नक्षत्र है जो १२० डिग्री से लेकर १३३.२० डिग्री तक गति करता है । इस नक्षत्र के स्वामी केतु देव, नक्षत्र देव पितृ गण और राशि स्वामी सूर्य देव हैं । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट ( jyotishhindi.in ) पर विज़िट कर सकते हैं । आपके प्रश्नों के यथासंभव समाधान के लिए हम वचनबद्ध हैं ।
मघा नक्षत्र पांच तारों से मिलकर बनता है । इसकी आकृति मकान जैसी प्रतीत होती है और चिन्ह शाही पालकी है । मघा नक्षत्र के स्वामी केतु हैं और यह नक्षत्र सिंह राशि में २३.२० डिग्री तक गति करता है । इस नक्षत्र के देवता पितृ हैं । इसलिए अश्लेषा नक्षत्र के जातकों के जीवन पर केतु व् सूर्य का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा सकता है ।
मघा नक्षत्र के जातक माध्यम कद के होते हैं । इनको देखने पर प्रतीत होता है जैसे इन पर छल कपट या बाहरी दुनिया का कुछ असर हुआ ही नहीं है । ये अपनी असल आयु से कम आयु के प्रतीत होते हैं । इनके व्यवहार में बच्चों की सी सरलता झलकती है । इनका सम्बन्ध पित्रों से स्पष्ट होता है और ये जातक अपने पित्रों का आदर करने वाले होते हैं । धर्म को बड़ी गहराई से जानने वाले होते हैं । धर्म के पथ पर निरंतर अग्रसर रहते हैं । ये केवल रिचुअल परफॉर्म करने तक सीमित नहीं रहते वरन वैज्ञानिक आधार के साथ धर्म को मानते हैं । खोजी प्रवृत्ति ऐसे जातकों का सहज गुण होता है । कहना गलत नहीं होगा की जहाँ तक इनके साथ के लोगों की नज़र जाती है ये उससे आगे से देखना शुरू करते हैं और गहन अध्यन, चिंतन व् मनन से धर्म की गहराइयों को छूने में सफल हो पाते हैं । ईगल जैसी दूरदृष्टि होने की वजह से इन्हें अपना लक्ष्य दूर से ही साफ़ साफ़ प्रतीत ह जाता है । इस नक्षत्र पर देवी देवताओं की विशेष कृपा होती है । साफ़ शब्दों में बात की जाए तो मघा नक्षत्र के जातक धर्म को वैज्ञानिक आधार के साथ देखते हैं । जैसे जैसे ये आगे बढ़ते हैं वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पैना होता जाता है । ये दकियानूसी ख़यालात के कतई नहीं होते हर चीज को यूँ ही नहीं मान लेते । आर्टिस्टिक होते हैं और किसी भी प्रोफेशन में बेहतरीन परफॉर्म करते हैं । शांत रहना पसंद करते हैं । ऐसी चीजों में पड़ना नहीं चाहते जिनसे इनके पीसफुल नेचर में किसी भी प्रकार से उथल पुथल हो । बढ़ती उम्र के साथ साथ सोलिटूड में रहना पसंद करते हैं । इस नक्षत्र के जातक जल्दी गुस्से में आ जाते हैं । न तो झूठ बोलते हैं और न ही झूठ बोलने वालों को पसंद करते हैं । इनके अकेले रहने की वजह से लोग इन्हें अहंकारी भी मानते हैं लेकिन ये उतने इगोइस्टिक होते नहीं हैं और अपनी गलती का अहसास होने पर पूरे ह्रदय से क्षमा माँगने में शर्म महसूस नहीं करते । दूसरों के काम आकर इन्हे सुकून का अहसास होता है । ये बहुत से सामाजिक कार्य करते हैं और सोसाइटी इन जातकों को इनके बाद भी सम्मान के साथ याद करती है । यदि मघा नक्षत्र के जातक आपको असफल या कम सफल दिखाई दें तो जान लीजिये की इन्होने बेईमान बनने से इंकार कर दिया है । ये छल कपट नहीं जानते, दूसरों को नुक्सान पहुंचकर तरक्की नहीं कर सकते, सीधे स्वभाव के होते हैं इसलिए कभी कभी भौतिक दृष्टी से कम सफल भी रह जाते हैं ।
ध्यान देने योग्य है की अहंकार अल्प या अधिक मात्रा में सभी में होता है । फिर भी मघा नक्षत्र के जातक यदि थोड़ी भी इन्क्वायरी करें तो इस ही जन्म में मोक्ष को उपलब्ध हो सकते हैं ।
इस नक्षत्र की जातिकाएँ बहुत सुन्दर, आकर्षक और धर्म में आस्थावान होती हैं । दूसरों का बहुत ध्यान रखती हैं लेकिन गुस्सैल भी होती हैं जिस वजह से अपना काम बिगाड़ लेती हैं ।
इस नक्षत्र के जातक का वैवाहिक जीवन सुखी होता है परन्तु इस नक्षत्र में उत्पन्न जातिकाओं का वैवाहिक जीवन उतना सुखद नहीं कहा जा सकता है इसका मुख्य कारण इनका क्रोध रहता है ।
मघा नक्षत्र के जातक बरगद के वृक्ष की भांति दीर्घायु होते हैं । यदि दिन का कुछ समय पीपल के वृक्ष के पास बैठें स्वास्थ्य लाभ होता है । बीज मंत्र का रोजाना १०८ बार जप करने से भी जातक को स्वास्थ्य लाभ होता है और आयु में वृद्धि होती है ।
मघा नक्षत्र के जातक अधिकतर सोशल वर्कर होते हैं या सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते मिलते हैं । नौकरी व् बिज़नेस दोनों कर सकते हैं ।
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