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जानिए गुरु महादशा के बारे में – Know about Jupiter Mahadasha

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  • नव ग्रहों में वृहस्पति देव सबसे अधिक शुभ गृह के रूप में जाने जाते हैं । इन्हें देवगुरु का दर्जा प्राप्त है । कुंडली का दूसरा, पांचवां, नौवां, दसवां और ग्यारहवां भाव देव गुरु के कारक भाव कहे गए हैं । लग्न भाव में गुरु को दिशाबाल प्राप्त है । कालपुरुष कुंडली में गुरु को … Continue reading

    जानिए मंगल महादशा के बारे में – Know about Mars Mahadasha

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  • नव ग्रहों में मंगल को सेनापति का दर्जा प्राप्त है । कुंडली का तीसरा और छठा भाव मंगल का कारक भाव कहा गया है और दसवें भाव में मंगल को दिग्बली कहा गया है । कालपुरुष कुंडली में मंगल को को पहला व् आठवाँ भाव प्रदान किया गया है । पराक्रम व् ऊर्जा के प्रतीक … Continue reading

    जानिए चंद्र महादशा के बारे में – Know about Moon mahadasha

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  • प्राणी मात्र के शरीर में विधमान जल चंद्र है । चन्द्रमा को मन व् माता दोनों का कारक कहा गया है । कालपुरुष कुंडली में चन्द्रमा को चौथा भाव प्रदान किया गया है जिसे सुख भाव भी कहा जाता है । इनकी महादशा दस वर्षों की होती है । चंद्र को एक सौम्य गृह के … Continue reading

    जानिए सूर्य महादशा के बारे में – Know about Sun Mahadasha

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  • सूर्य सम्पूर्ण जगत की आत्मा है । वैदिक ज्योतिष में सूर्य देवता को नव ग्रहों का राजा कहा गया है । इनकी महादशा छह वर्षों की होती है । यधपि सूर्य को एक क्रूर गृह के रूप में जाना जाता है किन्तु कुछ ज्योतिष विद्वान सूर्य देवता को निम्न पापी गृह भी मानते हैं । … Continue reading

    मीन लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – Guruchandal yoga Consideration in Pisces/Meen

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  • मीन लग्न की कुंडली में गुरु लग्नेश हैं और दसवें भाव के स्वामी हैं, एक योगकारक गृह बनते हैं । वहीँ राहु अपनी मित्र राशि में शुभ फलप्रदायक होते हैं और शत्रु राशि में अशुभ । राहु के मित्र राशिस्थ होने पर सम्बंधित भाव के स्वामी की स्थिति देखना भी अनिवार्य है, यानी जिस भाव … Continue reading

    कुम्भ लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – Guruchandal yoga Consideration in Aquarius/Kumbh

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  • कुम्भ लग्न की कुंडली में गुरु ग्यारहवें और दुसरे भाव के स्वामी हैं । दोनों वृहस्पति देव के कारक भाव हैं इस वजह से इस लग्न कुंडली में गुरु एक योगकारक गृह बनते हैं । वहीँ राहु अपनी मित्र राशि में शुभ फलप्रदायक होते हैं और शत्रु राशि में अशुभ । राहु के मित्र राशिस्थ … Continue reading

    मकर लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – Guruchandal yoga Consideration in Capricorn/Makar

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  • मकर लग्न की कुंडली में गुरु बारहवें और तीसरे भाव के स्वामी हैं, एक अकारक गृह बनते हैं । वहीँ राहु अपनी मित्र राशि में शुभ फलप्रदायक होते हैं और शत्रु राशि में अशुभ । राहु के मित्र राशिस्थ होने पर सम्बंधित भाव के स्वामी की स्थिति देखना भी अनिवार्य है, यानी जिस भाव में … Continue reading

    धनु लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – Guruchandal yoga Consideration in Sagittarius/Dhanu

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  • धनु लग्न की कुंडली में गुरु लग्नेश होने के साथ साथ चौथे भाव के स्वामी भी हैं, एक योगकारक गृह बनते हैं । यही गुरु शुभ भाव में स्थित हो जाएँ तो अपनी दशाओं में शुभ फल फल प्रदान करने के लिए बाध्य हो जाते हैं । वहीँ राहु अपनी मित्र राशि में शुभ फलप्रदायक … Continue reading

    वृश्चिक लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – Guruchandal yoga Consideration in Scorpio/Vrishchik

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  • वृश्चिक लग्न की कुंडली में गुरु दुसरे और पांचवें भाव के मालिक होकर एक योगकारक गृह बनते हैं, शुभ फल फल प्रदान करने के लिए बाध्य हैं । वहीँ राहु अपनी मित्र राशि में शुभ फलप्रदायक होते हैं और शत्रु राशि में अशुभ । राहु के मित्र राशिस्थ होने पर सम्बंधित भाव के स्वामी की … Continue reading

    तुला लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – Guruchandal yoga Consideration in Libra/Tula

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  • तुला लग्न की कुंडली में गुरु तीसरे और छठे भाव के मालिक होकर एक मारक गृह बनते हैं । आइये विस्तार से जानते हैं गुरु व् राहु की युति से किन भावों में बनता है गुरुचण्डाल योग, किस गृह की की जायेगी शांति…. तुला लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga … Continue reading

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