आज हम मेष लग्न की कुंडली में बुद्ध के बारे में विस्तार से जान्ने का प्रयास करेंगे । हम जानेंगे की मेष लग्न की कुंडली में १२ भावों में बुद्ध कैसे फल प्रदान करतेहैं । मेष लग्न कुंडली में बुद्ध तृतीय और षष्टम भाव का स्वामी होने से एक मारक गृह बनता है । अतः … Continue reading
चन्द्रमा माता व् मन का प्रतिनिधित्व करता है! पूर्णिमा के दिन चंद्र का प्रभाव पृथ्वी व् पृथ्वी वासिओं पर अधिक रहता है । चन्द्रमा के प्रभाव से ही समंदर में ज्वार भाटा आता है । हमारे शरीर में मौजूद जल पर चंद्र का पूर्ण प्रभाव रहता है , यदि जल दूषित हो जाये तो आप … Continue reading
वैदिक ज्योतिष के अनुसार आध्यात्मिकता के कारक केतु देवता एक छाया गृह हैं और स्वभाव से मंगल की भांति ही एक क्रूर ग्रह के रूप में जाने जाते हैं । शरीर में अग्नितत्व है केतु । शक्ति ऐसी की साधारण से मनुष्य को भी देव तुल्य बना दें । इन्हें अनिश्चितता देने वाला गृह भी … Continue reading
ॐ राहवे नमः। अनिश्चितता के कारक राहु की प्रवृत्ति को समझना मुश्किल ही नहीं करीब करीब नामुनकिन है । इच्छाओं को अभियक्त करने वाले राहु चौंकाने वाले परिणाम देते देखे गए हैं । अमूमन इन्हें एक पापी क्रूर छाया ग्रह की तरह देखा जाता है लेकिन यह तथ्य पूर्णतया सत्य नहीं हैं । कुंडली में … Continue reading
मंगल गृह को वैदिक ज्योतिष में देवताओं का सेनापति कहा गया है । मंगल स्वभाव से क्रूर किन्तु एक देव ग्रह है । पराक्रम के प्रतीक मंगल सभी बाधाओं को दूर करने वाले व् सुख समृद्धि प्रदान करनेवाले कहे गए हैं । अष्टसिद्धि नव निधि के दाता मंगल मेष व् वृश्चिक राशि के स्वामी है … Continue reading
वैदिक ज्योतिष में बुद्ध से कम्युनिकेशन, नेटवर्किंग, विचार शक्ति और विचारों की अभिव्यक्ति का विचार किया जाता है । इसे नव ग्रहों में राजकुमार की उपाधि से नवाजा गया है, और बुद्ध लग्न ( मिथुन , कन्या ) के जातक खुद को किसी राजकुमार की भांति ही समझते हैं । बुधवार सप्ताह का तीसरा दिन … Continue reading
हिंदू मान्यताओं में सूर्य को विशेष रूप से भगवान का दृश्य रूप कहा गया है! उन्हें सत्व गुण का माना जाता है और वे आत्मा, राजा, प्रतिष्ठा, ऊंचे व्यक्तियों या पिता का प्रतिनिधित्व करते हैं। सूर्य मेष राशि में उच्च व् तुला में नीच के होते हैं । सिंह लग्न के प्रभाव में पैदा हुए … Continue reading
कुंडली का प्रथम भाव ‘लग्न होता है जो व्यक्ति के व्यवहार को तय करता है । मीन राशि का चिन्ह दो मछलियों का जोड़ा है। स्वामी वृहस्पति ,व् वर्ण ब्राह्मण होता है । ये एक द्विस्वभावी जल तत्व राशि है । मछली की तरह ही इनका स्वभाव होता है यह सदैव स्वतंत्र रहना पसंद करते … Continue reading
लग्न स्वामी शनि , चिन्ह घड़ा , तत्व वायु , जाति शूद्र , स्वभाव स्थिर , आराध्य माँ दुर्गा होते हैं । कुम्भ राशि भचक्र की ग्यारहवें स्थान पर आने वाली राशि है । राशि का विस्तार 300 अंश से 330 अंश तक फैला हुआ है । धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम दो चरणों, शतभिषा के … Continue reading
लग्न स्वामी शनि, चिन्ह मगरमच्छ, तत्व पृथ्वी, जाति वैश्य, स्वभाव चर, आराध्य बजरंग बलि होते हैं! मकर राशि भचक्र की दसवें स्थान पर आने वाली राशि है! राशि का विस्तार 270 अंश से 300 अंश तक फैला हुआ है । उत्तराषाढ़ा के दुसरे, तीसरे, चौथे चरण , श्रवण के चारों चरण तथा धनिष्ठा के पहले … Continue reading