मिथुन लग्न कुंडली में देव गुरु बृहस्पति सप्तमेश, दशमेश होते हैं । अतः इस लग्न कुंडली में गुरु एक सम गृह हैं ।मिथुन लग्न की कुंडली के उचित विश्लेषण के बाद जातक को गुरु रत्न पुखराज धारण करवाया जा सकता है । उचित विश्लेषण के अभाव में कोई भी रत्न धारण नहीं करना चाहिए । … Continue reading
भारतीय पौराणिक मान्यताओं में सूर्य को एक आत्म कारक देव गृह माना गया है । इन्हें ऐसे देव गृह कहा जाता है जो दृश्य हैं , जिसे हम प्रत्यक्ष देख सकते हैं । सूर्यदेव शरीर में आत्मा, हड्डियों, दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । मिथुन लग्न कुंडली में सूर्य तृतीय भाव का … Continue reading
वैदिक ज्योतिष में कर्म फल दाता शनि देव एक पापी और क्रूर गृह के रूप में प्रितिष्ठित हैं । सूर्य-पुत्र शनि मकर और कुम्भ राशि के स्वामी हैं जो मेष राशि में नीच व् तुला में उच्च के माने जाते हैं । वृष लग्न कुंडली में मंदगामी शनि नवमेश, दशमेश होते हैं । त्रिकोण और … Continue reading
दैत्य गुरु शुक्र सुंदरता , सौम्यता और सभी प्रकार की लक्ज़री और सुख सुविधा प्रदान करने वाले गृह के रूप में जाने जाते हैं । लग्न कुंडली के चौथे भाव में शुक्र कोदिशा बल मिलता है । जिस जातक की कुंडली में शुक्र बलवान होता है उस पर माँ दुर्गा की विशेष कृपा जाननी चाहिए … Continue reading
कुंडली में उचित प्रकार से स्थित राहु जातक को मात्र भक्त , शत्रुओं का पूर्णतया नाश करनेवाला , बलिष्ठ , विवेकी , विद्वान , ईश्वर के प्रति समर्पित , समाज में प्रतिष्ठित व् धनवान बनाता है । इसके विपरीत यदि राहु लग्न कुंडली में उचित प्रकार से स्थित न हो तो अधिकतर परिणाम अशुभ ही … Continue reading
आज हम वृष लग्न की कुंडली के बारे में विस्तार से जान्ने का प्रयास करेंगे । हम जानेंगे की मेष लग्न की कुंडली में 12 भावों में मंगल कैसे फल प्रदान करते हैं । यहांमंगल सप्तमेश , द्वादशेश होने से एक मारक गृह हैं । मंगल की 4, 7, 8 वीं दृष्टि होती है और … Continue reading
भारतीय पौराणिक मान्यताओं में सूर्य को एक आत्म कारक देव गृह माना गया है । इन्हें ऐसे देव गृह कहा जाता है जो दृश्य हैं, जिसे हम प्रत्यक्ष देख सकते हैं । सूर्यदेव शरीर में आत्मा, हड्डियों, दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । वृष लग्न कुंडली में सूर्य चतुर्थ भाव का स्वामी … Continue reading
वृष लग्न कुंडली में देव गुरु वृहस्पति अष्टमेश, एकादशेश होते हैं । अतः दैत्य लग्न की इस लग्न कुंडली में देव गुरु एक मारक गृह हैं । ऐसी स्थिति में गुरु की दशा, अंतर्दशा में अधिकतर फल अशुभ ही प्राप्त होते हैं । केवल विपरीत राज योग की स्थिति में देव गुरु शुभ फल प्रदान … Continue reading
वृष लग्न कुंडली में चंद्र तृतीयेश होने से एक मारक गृह होते है । वृष लग्न की कुंडली में अगर चंद्र बलवान ( डिग्री से भी ताकतवर ) होकर शुभ स्थित हो तो भी अधिकतर फल अशुभ ही प्राप्त होते हैं । इस लग्न कुंडली में चंद्र डिग्री में ताकतवर न हो तो इनके अशुभ … Continue reading
आज हम वृष लग्न की कुंडली में बुद्ध के बारे में जानने का प्रयास करेंगे । वृष लग्न कुंडली में बुद्ध द्वितीयेश, पंचमेश होने से एक कारक गृह बनता है । इस लग्न की कुंडली में अगर बुद्ध बलवान ( डिग्री से भी ताकतवर ) होकर शुभ स्थित हो तो अधिकतर फल शुभ ही प्राप्त … Continue reading