वैदिक ज्योतिष में नव गृह, बारह भाव, बारह राशियां और अभिजीत को मिलकार अठ्ठाईस नक्षत्र सभी का मानव मन व् शरीर पर गहरा प्रभाव देखा गया है । भावों पर चर्चा की क्रमबद्ध श्रृंखला में आज हमारी चर्चा का विषय है सातवां भाव । जन्मकुंडली के लग्न से आरम्भ करें तो यह सातवें नंबर पर … Continue reading
कुंडली का छठा भाव त्रिक भाव है । यह ऋण, रोग, शत्रु से होने वाले कष्टों को दर्शाता है । मनुष्य शरीर में इस भाव से उदर ( पेट ) या उदर जनित रोगों का विचार किया जाता है । आयुर्वेद में पेट को सभी रोगो का जनक माना गया है । पहला भाव असेंडेंट … Continue reading
लग्न कुंडली के पांचवें घर को पंचम भाव या पंचम स्थान कहा जाता है । लग्न भाव त्रिकोण व् केंद्र दोनों माना जाता है और पंचम व् नवम भाव त्रिकोण भाव कहलाते हैं । केंद्र व् त्रिकोण दोनों कुंडली के शुभ स्थान होते हैं । आज की हमारी चर्चा पंचम भाव व् पंचम के अन्य … Continue reading
कालपुरुष कुंडली में चतुर्थ भाव में कर्क राशि आती है । कर्क के स्वामी चन्द्रमा को ज्योतिष विद्वानों ने बुद्ध की माता भी कहा है । सृष्टि में उपलब्ध सभी सुखों में श्रेष्ठ मात्र सुख का विचार फोर्थ हाउस से किया जाता है । इस भाव से माता से प्राप्त होने वाले सुख को और … Continue reading
द्वितीय भाव लग्न स्थान से दुसरे नंबर पर आता है । इसे धन भाव या द्वितीय भाव भी कहा जाता है । पुरातन काल में मोक्ष मानव जीवन का परम ध्येय माना जाता था । अल्टीमेट लिब्रशन में ही मानव देह की सार्थकता समझी जाती थी । कुटुंब, धन व् पत्नी आदि को सत्य की … Continue reading
द्वितीय भाव लग्न स्थान से दुसरे नंबर पर आता है । इसे धन भाव या द्वितीय भाव भी कहा जाता है । पुरातन काल में मोक्ष मानव जीवन का परम ध्येय माना जाता था । अल्टीमेट लिब्रशन में ही मानव देह की सार्थकता समझी जाती थी । कुटुंब, धन व् पत्नी आदि को सत्य की … Continue reading
प्रथम भाव या फर्स्ट हाउस को लग्न, तनु, होरा, आरम्भ आदि कई नामों से जाना जाता है । लग्न कुंडली के प्रथम भाव से जातक के लक्षण, व्यक्तित्व, आचार विचार, व्यवहार का विचार किया जाता है । जातक देखने में कैसा है, इसका बात करने का तरीका कैसा है, यह कैसी सोच का इंसान है … Continue reading
प्राप्त जानकारी के अनुसार ब्रह्मा जी (Brahma Ji) ने जगत की रचना की और माँ सरस्वती (Maa Saraswati) के आशीर्वाद से जगत का विकास हुआ। पुराणों में वर्णित है की ब्रम्हा जी के मुख से एक सूंदर स्त्री जिन्हें हम माँ सरस्वती के नाम से जानते हैं का जन्म हुआ। कहते हैं की जैसे ही … Continue reading
श्री गुरु नानक देव जी (Shri Guru Nanak Dev Ji) का जन्म 15 अप्रैल, 1469 में तलवंडी ग्राम में हुआ, जो की अब लाहौर पाकिस्तान से 65KM पश्चिम में स्तिथ है। उनके पिता बाबा कालूचंद्र बेदी और माता तृप्ता नें उनका नाम नानक रखा। उनके पिता गाओं के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से थे और गाओं … Continue reading
अंगारक, भौम, रक्ताक्ष तथा महादेव (Mahadev) पुत्र के नाम से प्रसिद्ध मंगल देवता एक क्रूर देव गृह के रूप में जाने जाते हैं। त्रिशूल, गदा, पद्म और भाला या शूल धारण किये इस गृह का रंग लाल माना जाता है और इसका वाहन भेड़ व् सप्ताह के सात दिनों में मंगलवार पर इसका आधिपत्य कहा … Continue reading