Latest Articles

सिंह लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Leo/Singh

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • सिंह लग्न की कुंडली में चंद्र द्वादशेश होकर एक अकारक गृह बनते हैं । मंगल चौथे और नवें भाव के स्वामी हैं, इस लग्न कुंडली में एक अति योग कारक गृह हैं । इस प्रकार चंद्र अपनी दशाओं में अशुभ और मंगल शुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य हैं । सिंह लग्न की कुंडली … Continue reading

    अश्विनी नक्षत्र ज्योतिष रहस्य – Ashwini Nakshatra Vedic Astrology

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • नक्षत्र रहस्य
  • अश्विनी नक्षत्र – Ashwini Nakshatra नक्षत्रों के महत्व को समझते हुए हमने ( jyotishhindi.in ) ये निर्णय लिया है की नक्षत्रों से सम्बन्धित जितनी भी जानकारी हमारे पास है, आपके साथ शेयर की जाए । आशा है आपका स्नेह हम पर बना रहेगा । नक्षत्रों सम्बन्धी कोई जानकारी यदि आप हमसे सांझा करना चाहते है … Continue reading

    कर्क लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Cancer/Kark

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • कर्क लग्न की कुंडली में चंद्र लग्नेश होकर एक योगकारक गृह बनते हैं । मंगल पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं, इस लग्न कुंडली में एक अति योग कारक गृह हैं । इस प्रकार दोनों ही गृह बहुत शुभ है और अपनी दशाओं में जातक को शुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य हैं … Continue reading

    मिथुन लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Gemini/Mithun

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • जन्मकुंडली के किसी शुभ भाव में चन्द्रमंगल की युति को महालक्ष्मी योग कहा जाता है । लग्नकुंडली के सभी केंद्र, त्रिकोण और धन तथा लाभ स्थान शुभ स्थानों में आते हैं । तीसरे भाव को अष्टम से अष्टम होने की वजह शुभ नहीं कहा जाता तथा छठे, आठवें व् बारहवें भाव को त्रिक भाव जाना … Continue reading

    वृष लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Taurus/Vrish

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • यदि चंद्र या मंगल जन्मकुंडली के शुभ भावों में से किसी एक भाव में एक साथ स्थित हो जाएँ तो इसे महालक्ष्मी योग कहा जाता है । आपको बताते चलें की जन्मकुंडली के केंद्र भाव, त्रिकोण भाव और धन तथा लाभ भाव को शुभ स्थान माना जाता है । वहीँ तीसरे भाव को उतना शुभ … Continue reading

    मेष लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Aries/Mesh

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष योग
  • जन्मकुंडली के शुभ भावों में से किसी एक भाव में चंद्र मंगल की युति को महालक्ष्मी योग (Mahalakshmi yoga) कहा जाता है । इस योग के बारे में विस्तृत चर्चा से पहले आपको बता दें की की कुंडली के केंद्र भाव, त्रिकोण भाव और धन तथा लाभ भाव शुभ स्थान माने जाते हैं । वहीँ … Continue reading

    चन्द्रमा देवता के जन्म की कहानी, Chandrama Devta Ke Janam Ki Kahani

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • नवग्रह
  • ज्योतिष में चन्द्रमा मन , माता , जल , भावुकता और सुंदरता आदि के कारक हैं । इनकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में विद्वानों के अलग अलग मत हैं । पुराणों में मौजूद कहानिया भी चन्द्रमा के जन्म के सम्बन्ध में एकमत नहीं मालूम पड़ती । आज हम इन अलग अलग मतों के आधार पर चन्द्रमा … Continue reading

    बुद्ध देवता के जन्म की कहानी, Buddh Devta Ke Janam Ki Kahani

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • नवग्रह
  • आपके भीतर यदि ग्रहों को समझने की लालसा है और आप ग्रहों के गुण तत्वों , आचार – व्यवहार की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके लिए इनसे सम्बंधित कहानियों को जरूर पढ़ना , समझना और जानना बहुत आवश्यक हो जाता है । ये कथाएं निसंदेह आपके ज्योतिषीय ज्ञान के लिए वृद्धिकारक होंगी और … Continue reading

    वृष लग्न की कुंडली में मांगलिक दोष विचार Manglik consideration in Taurus/Vrish lgna kundli

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • ज्योतिष विशेष
  • वृष लग्न की कुंडली में प्रथम भाव से मांगलिक विचार Manglik consideration when Mars is in first house in Taurus lgna kundli वृष लग्न की कुंडली में मंगल सातवें व् बारहवें भाव के स्वामी होते हैं । सप्तमेश व् द्वादशेश होने की वजह से वृष लग्न कुंडली में एक अकारक गृह कहे जाते हैं । … Continue reading

    राहु देवता के जन्म की कहानी, Rahu Devta Ke Janam Ki Kahani

  • Jyotish हिन्दी
  • no comment
  • नवग्रह
  • राहु संक्षिप्त परिचय Rahu Grah ka prabhav: राहु आठ श्यामवर्णी घोड़ों पर सवारी करते हैं । यदि राहु कुंडली में उच्च के हों तो जातक पर माँ दुर्गा की विशेष कृपा होती है । ऐसे जातक में उच्च कोटि के साधक होने के सारे गुण मौजूद होते हैं । उच्च का राहु जातक को बहुत … Continue reading

    Popular Post