सिंह लग्न की कुंडली में चंद्र द्वादशेश होकर एक अकारक गृह बनते हैं । मंगल चौथे और नवें भाव के स्वामी हैं, इस लग्न कुंडली में एक अति योग कारक गृह हैं । इस प्रकार चंद्र अपनी दशाओं में अशुभ और मंगल शुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य हैं । सिंह लग्न की कुंडली … Continue reading
अश्विनी नक्षत्र – Ashwini Nakshatra नक्षत्रों के महत्व को समझते हुए हमने ( jyotishhindi.in ) ये निर्णय लिया है की नक्षत्रों से सम्बन्धित जितनी भी जानकारी हमारे पास है, आपके साथ शेयर की जाए । आशा है आपका स्नेह हम पर बना रहेगा । नक्षत्रों सम्बन्धी कोई जानकारी यदि आप हमसे सांझा करना चाहते है … Continue reading
कर्क लग्न की कुंडली में चंद्र लग्नेश होकर एक योगकारक गृह बनते हैं । मंगल पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं, इस लग्न कुंडली में एक अति योग कारक गृह हैं । इस प्रकार दोनों ही गृह बहुत शुभ है और अपनी दशाओं में जातक को शुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य हैं … Continue reading
जन्मकुंडली के किसी शुभ भाव में चन्द्रमंगल की युति को महालक्ष्मी योग कहा जाता है । लग्नकुंडली के सभी केंद्र, त्रिकोण और धन तथा लाभ स्थान शुभ स्थानों में आते हैं । तीसरे भाव को अष्टम से अष्टम होने की वजह शुभ नहीं कहा जाता तथा छठे, आठवें व् बारहवें भाव को त्रिक भाव जाना … Continue reading
यदि चंद्र या मंगल जन्मकुंडली के शुभ भावों में से किसी एक भाव में एक साथ स्थित हो जाएँ तो इसे महालक्ष्मी योग कहा जाता है । आपको बताते चलें की जन्मकुंडली के केंद्र भाव, त्रिकोण भाव और धन तथा लाभ भाव को शुभ स्थान माना जाता है । वहीँ तीसरे भाव को उतना शुभ … Continue reading
जन्मकुंडली के शुभ भावों में से किसी एक भाव में चंद्र मंगल की युति को महालक्ष्मी योग (Mahalakshmi yoga) कहा जाता है । इस योग के बारे में विस्तृत चर्चा से पहले आपको बता दें की की कुंडली के केंद्र भाव, त्रिकोण भाव और धन तथा लाभ भाव शुभ स्थान माने जाते हैं । वहीँ … Continue reading
ज्योतिष में चन्द्रमा मन , माता , जल , भावुकता और सुंदरता आदि के कारक हैं । इनकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में विद्वानों के अलग अलग मत हैं । पुराणों में मौजूद कहानिया भी चन्द्रमा के जन्म के सम्बन्ध में एकमत नहीं मालूम पड़ती । आज हम इन अलग अलग मतों के आधार पर चन्द्रमा … Continue reading
आपके भीतर यदि ग्रहों को समझने की लालसा है और आप ग्रहों के गुण तत्वों , आचार – व्यवहार की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके लिए इनसे सम्बंधित कहानियों को जरूर पढ़ना , समझना और जानना बहुत आवश्यक हो जाता है । ये कथाएं निसंदेह आपके ज्योतिषीय ज्ञान के लिए वृद्धिकारक होंगी और … Continue reading
वृष लग्न की कुंडली में प्रथम भाव से मांगलिक विचार Manglik consideration when Mars is in first house in Taurus lgna kundli वृष लग्न की कुंडली में मंगल सातवें व् बारहवें भाव के स्वामी होते हैं । सप्तमेश व् द्वादशेश होने की वजह से वृष लग्न कुंडली में एक अकारक गृह कहे जाते हैं । … Continue reading
राहु संक्षिप्त परिचय Rahu Grah ka prabhav: राहु आठ श्यामवर्णी घोड़ों पर सवारी करते हैं । यदि राहु कुंडली में उच्च के हों तो जातक पर माँ दुर्गा की विशेष कृपा होती है । ऐसे जातक में उच्च कोटि के साधक होने के सारे गुण मौजूद होते हैं । उच्च का राहु जातक को बहुत … Continue reading