आज की हमारी चर्चा ज्येष्ठा नक्षत्र पर केंद्रित है । यह आकाशमण्डल में मौजूद अठारहवां नक्षत्र है जो २२६.४० डिग्री से लेकर २४० डिग्री तक गति करता है । ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी बुद्ध, नक्षत्र देवता इंद्र देव और राशि स्वामी मंगल हैं । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना … Continue reading
यदि गुरुचंद्र जन्मपत्री के योगकारक हों और किसी शुभ भाव में स्थित भी हो जाएँ तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है । तुला लग्न की जन्मपत्री में चंद्र दशमेश होकर एक सम गृह बनते हैं । वहीँ गुरु तृतीयेश, षष्ठेश होकर एक अकारक गृह बने । शुभ स्थित होने पर चंद्र की दशाओं में … Continue reading
आज की हमारी चर्चा अनुराधा नक्षत्र पर केंद्रित है । वैदिक ज्योतिष में इस नक्षत्र को ब्रम्ह देव का चरण भी कहा गया है । यह आकाशमण्डल में मौजूद सत्रहवाँ नक्षत्र है जो २१३.२० डिग्री से लेकर २२६.४० डिग्री तक गति करता है । अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि, नक्षत्र देवता भैरव देव और राशि … Continue reading
अपने अभी तक जाना की जब गुरुचंद्र जन्मपत्री के योगकारक होकर किसी शुभ भाव में स्थित हो जाएँ तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है । कन्या लग्न की जन्मपत्री में चंद्र एकादशेश होकर एक अकारक गृह बनते हैं । वहीँ गुरु चतुर्थेश, सप्तमेश होकर एक सम गृह जाने जाते हैं । शुभ स्थित होने … Continue reading
आज की हमारी चर्चा स्वाति नक्षत्र पर केंद्रित है । इसे मारुत, समीर और वायु नाम से भी पुकारा जाता है । यह आकाशमण्डल में मौजूद पन्द्रहवाँ नक्षत्र है जो १८६.४० डिग्री से लेकर २०० डिग्री तक गति करता है । स्वाति नक्षत्र के स्वामी राहु, नक्षत्र देवता वायु देव और राशि स्वामी शुक्र देव … Continue reading
गुरु चंद्र का योगकारक होकर किसी शुभ भाव में स्थित होना गजकेसरी योग का निर्माण करता है । सिंह लग्न की जन्मपत्री में चंद्र द्वादशेश होकर एक अकारक गृह बनते हैं । वहीँ गुरु पंचमेश, अष्टमेश होकर एक योगकारक गृह बनते हैं । योगकारक गृह गुरु की दशाओं में जातक निसंदेह शुभ फल प्राप्त करता … Continue reading
आज की हमारी चर्चा विशाखा नक्षत्र पर केंद्रित है । इसे इन्द्राग्नि नाम से भी पुकारा जाता है । यह आकाशमण्डल में मौजूद सोलहवां नक्षत्र है जो २०० डिग्री से लेकर २१३.२० डिग्री तक गति करता है । विशाखा नक्षत्र के स्वामी वृहस्पति, नक्षत्र देवता इन्द्राग्नि देव और राशि स्वामी शुक्र तथा मंगल हैं । … Continue reading
कर्क लग्न की जन्मपत्री में गजकेसरी योग निसंदेह बनता है । इस जन्मपत्री में चंद्र प्रथम भाव के स्वामी यानी लग्नेश होते हैं, एक योगकारक गृह बनते हैं । इसी प्रकार गुरु षष्ठेश, नवमेश होकर एक योगकारक गृह बनते हैं । दोनों ग्रहों के विभिन्न भावों में स्थित होने पर इस योग के शुभ फल … Continue reading
मिथुन लग्न की जन्मपत्री में गुरु सातवें और दसवें भाव के स्वामी होकर एक सम गृह बनते हैं । चंद्र दुसरे भाव के स्वामी हैं और लग्नेश बुद्ध के शत्रु के रूप में जाने जाते हैं, इसलिए इस जन्मपत्री में एक अकारक गृह बनते हैं । चंद्र के अकारक होने की वजह से इस जन्मपत्री … Continue reading
आज की हमारी चर्चा का केंद्र चित्रा नक्षत्र है । यह आकाशमण्डल में मौजूद चौदहवां नक्षत्र है जो १७३.२० डिग्री से लेकर १८६.४० डिग्री तक गति करता है । हस्त नक्षत्र के स्वामी मंगल, नक्षत्र देव विश्वकर्मा और राशि स्वामी बुद्ध तथा शुक्र देव हैं । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई … Continue reading