कहा जाता है की जिस हृदय में प्रेम नहीं वो पाषाण है । खुदा की नेमत है प्रेम । यदि आपको प्रेम ही नहीं हुआ तो आपने व्यर्थ ही जीवन गवां दिया । पत्थर में भी फूल खिलाने की क्षमता रखता है प्रेम । यदि आप सचमुच प्रेम में हैं तो आपको किसी ज्योतिषी के पास जाने की आवश्यकता ही नहीं है, न ही आपको जन्मपत्री दिखने की आवश्यकता है । फिर भी यदि आप जानना चाहते हैं की आपका लव अफेयर विवाह में तब्दील होगा अथवा नहीं ? आपकी शादीशुदा ज़िंदगी ठीक से चलेगी भी या नहीं तो आज का विषय आपके लिए ही है ।
प्रेम सम्बन्ध की जांच के लिए कुंडली का पंचम भाव देखा जाता है । प्रेम संबंध विवाह में कन्वर्ट होगा या नहीं इसके लिए सप्तम भाव का अध्ययन किया जाता है । यदि कुंडली में किसी प्रकार से पंचम व् सप्तम भाव का मेल हो जाए तो प्रेम विवाह का योग बन जाता है । पंचम से पंचम होने की वजह से नवम भाव व् सप्तम भाव के किसी प्रकार योग से भी प्रेम विवाह के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है । यदि पंचमेश व् सप्तमेश का सम्बन्ध पंचम या सप्तम भाव में हो जाये तो प्रेम विवाह के चान्सेस बढ़ जाते हैं । पंचमेश और सप्तमेश की युति किसी शुभ भाव में हो जाए तो भी प्रेम विवाह हो सकता है । यदि पंचमेश और सप्तमेश की यति त्रिक भाव में भी हो जाए तो भी जातक जातिका के जोर डालने पर अथवा घरवालों पर दबाव बनाने के कारण प्रेम विवाह हो जाता है, परन्तु बाद में बहुत दिक्कतें आती हैं । मेल जातक के लिए शुक्र की स्थिति भी देखना अनिवार्य है । क्यूंकि मेल जातकों के लिए शुक्र विवाह का स्थिर कारक गृह होता है । जातिका के लिए गुरु की स्थिति का अध्ययन किया जाता है क्यूंकि फीमेल जातक के लिए गुरु विवाह का स्थित कारक गृह होता है ।
यदि पंचमेश एक कारक गृह हो तो उपायों से उसकी शक्ति बढ़ाकर शुभ परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं ।
सप्तमेश यदि लग्नेश के साथ सम भाव रखता हो तो उसकी शक्ति को रत्न की सहायता से बढ़ाया जा सकता है ।
आशा है की आज का विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ( Jyotishhindi.in ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।