भारत देश में प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव शरीर में आत्मा, हड्डियों, दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । सौम्य गृह चन्द्रमा की कर्क लग्न कुंडली में सूर्य द्वितीयेश ( दुसरे घर के स्वामी ) होते हैं, अतः एक मारक गृह गिने जाते है । सूर्य मेष राशि में उच्च और तुला में नीच के माने जाते हैं । इस लग्न कुंडली के जातक को सूर्य रत्न माणिक किसी भी सूरत में धारण नहीं करना चाहिए । कुंडली के उचित विश्लेषण के बाद ही उपाय संबंधी निर्णय लिया जाता है की उक्त ग्रह को रत्न से बलवान करना है, दान से ग्रह का प्रभाव कम करना है , कुछ तत्वों के जल प्रवाह से ग्रह को शांत करना है या की मंत्र साधना से उक्त ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त करके रक्षा प्राप्त करनी है आदि । मंत्र साधना सभी के लिए लाभदायक होती है । आज हम कर्क लग्न कुंडली के 12 भावों में सूर्य देव के शुभाशुभ प्रभाव को जान्ने का प्रयास करेंगे
यदि लग्न में सूर्य हो तो जातक ऊर्जावान, मेहनती होता है । सूर्य की महादशा में स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं से परेशानी लगी रहती है । ऐसे जातक को धन कीकमी नहीं होती है । वाणी उग्र होती है ।
ऐसे जातक को धन, परिवार कुटुंब का साथ नहीं मिलता है । वाणी उग्र होती है । परिवार से दूर जाने का योग बनता है । सूर्य की महदशा में टेंशन बनी रहती है ।
स्वराशि होने से जातक बहुत परश्रमी होता है । बहुत परिश्रम के बाद जातक का भाग्य उसका साथ देता है ।। छोटे भाई का योग बनता है । धर्म को नहीं मानता है।पिता से मतभेद रहते हैं । छोटे भाई बहन से नहीं बनती है ।
तुला राशि में मारक सूर्य नीच के हो जाते हैं । सूर्य की महदशा में चतुर्थ भाव में सूर्य होने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का सुख कम ही मिलता है ।काम काज भी बेहतर स्थिति में नहीं होता है । विदेश सेटलमेंट की सम्भावना बनती है । जातक का माता से मतभेद बना ही रहता है ।
अचानक हानि की स्थिति बनती है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध खराब रहते हैं । संतान देरी से होती है / या संतान से समस्या होती है। पेट में समस्या बानी रहती है ।
गला खराब रहता है , कुटुंब से दूरी होने का योग भी बनता है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । प्रतियोगिता में बहुत मेहनतके बाद विजयश्री हाथ आती है ।
जातक/ जातीका का वैवाहिक जीवन बहुत देर से शुरू होता है । सूर्य की महादशा में वैवाहिक जीवन सुखी नहीं कहा जाता है। पति / पत्नी घमंडी और झगड़ालू प्रवृत्ति के हो सकती है । व्यवसाय व् साझेदारों से हानि मिलती है ।
यहां सूर्य के अष्टम भाव में स्थित होने की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है । सूर्य की महादशा /अंतर्दशा में टेंशन बनी रहती है । बुद्धि साथ नहीं देती है । धन का अभाव बना रहता है । जातक का कुटुंब भी उसका साथ नहीं दे पाता है ।
जातक आस्तिक व् पितृ भक्त नहीं होता है । विदेश यात्रा करता है । परिवार का साथ नहीं मिलता है ।
जातक को भूमि, मकान, वाहन व् माता का सुख कम ही मिलता है । प्रोफेशनल लाइफ अच्छी नहीं होती , सरकारी नौकरी का योग बनता है। काम काज बहुत अच्छा नहीं चलता है । सरकारी नौकरी का योग बनता है ।
यहां स्थित होने पर बड़े भाई बहनो से परेशानी रहती है । पेट में बीमारी लगने की संभावना रहती है । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । मन खिन्न रहता है, निर्णय लेने में समस्या आती है । बुद्धि अग्रेसिव हो जाती है ।
मन परेशान रहता है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । सूर्य की महदशा में व्यर्थ का खर्च बना रहता है ।
कृपया ध्यान दें ….सूर्य के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए । कर्क लग्न कुंडली में सूर्य का बलाबल में कम होना शुभ जानें । कुंडली का उचित विश्लेषण करवाने के उपरान्त ही किसी उपाय को अपनाएँ ।