कर्क लग्न कुंडली में लग्नेश चन्द्रमा का अति शत्रु बुद्ध, तृतीयेश ( तीसरे भाव का स्वामी ) , द्वादशेश ( 12 वें भाव का स्वामी ) होता है , अतः एक मारक गृह बनता है। बुद्ध का संबंध बुद्धि से कहा गया है । ध्यान देने योग्य है की कारक ग्रह का बलाबल में सुदृढ़ होना और शुभ स्थित होना उत्तम जानना चाहिए और मारक गृह काबलाबल में कमजोर होना उत्तम जानें । इस लग्न कुंडली में बुद्ध के बलाबल में कमी शुभ मानी जाती है । लग्न कुंडली के उचित विश्लेषण के बाद ही उपाय संबंधी निर्णय लिया जाता है की उक्त ग्रह को रत्न से बलवान करना है , दान से ग्रह का प्रभाव कम करना है , कुछ तत्वों के जल प्रवाह से ग्रह को शांत करना है या की मंत्रसाधना से उक्त ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त करके रक्षा प्राप्त करनी है । मंत्र साधना सभी के लिए लाभदायक होती है । कर्क लग्न कुंडली के जातक को पन्ना धारण नहींकरना चाहिए । कोई भी निर्णय लेने से पूर्व कुंडली का उचित विश्लेषण आवश्य करवाएं । आज हम कर्क लग्न कुंडली के १२ भावों में बुद्धि के देवता के शुभाशुभ प्रभाव को जान्ने का प्रयास करेंगे ….
बुद्ध यदि लग्नमें स्थित हों तो जातक बुद्धिमान होता है । दिशाबलि बुद्ध की महादशा में साझेदारी के काम में लाभ प्राप्त नहीं होता है , दाम्पत्य जीवन में परेशानी औरकाम काज की स्थिति अच्छी नहीं रहती है ।
ऐसा बुद्ध परिवार के लिए शुभ परिणाम देने वाला नहीं होता है। ऐसे जातक की वाणी मधुर होती है , धन परिवार कुटुंब का साथ नहीं मिलता है । विदेश सेटेलमेंट कायोग बनता है । धन कमाने में दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है ।
छोटी बहन का योग बनता है । जातक बहुत अधिक मेहनती होता है , व्यय भी अधिक होता है , खूब यात्राएं करता है । बहुत मेहनत के बाद ही जातक के कार्य पूर्णहोते हैं । विदेश सेटेलमेंट का योग बनता है । पिता के साथ संबंधों में खटास रहती है ।
माता को / से परेशानी रहती है । सभी सुख सुविधाएं जुटाने में बुद्ध बहुत सहायक नहीं होंगे । बुद्ध की महादशा में प्रोफेशनल लाइफ में अवनति होने के योग बनते हैं। व्यय अधिक आय कम होती है ।
पेट में प्रॉब्लम रहती है , प्रेम संबंधों में असफलता मिलती है । अचानक हानि की संभावना बनती है । पुत्री प्राप्ति का योग बनता है । बड़े भाई बहन से संबंध अच्छेनहीं रहते है । बुद्ध की महादशा में डिप्रेशन की स्थिति बनती है । हॉस्पिटल में खर्चा होने का भी योग बनता है ।
दुर्घटना का भय बना रहता है । कोर्ट केस या हॉस्पिटल में खर्चा करना पड़ता है । ऋण बढ़ता है , जातक चुकाने की स्थिति में बहुत मुश्किल से ही आ पाता है । यदिचन्द्रमा बलाबल में मजबूत और शुभ स्थित हो तो विपरीत राजयोग बनता है और जातक को ३,६,१२ भाव से संबंधित शुभ फल प्राप्त होते हैं ।
पत्नी से मन मुटाव होना साधारण सी बात होती है , साझेदारी के काम में घाटा होने की संभावना रहती है । स्वास्थ्य खराब होता है , मेहनत के मुताबिक फल नहींमिलता है ।
जातक के साथ साथ उसके परिवार जन भी दिक्कत में आ जाते हैं । मन खिन्न रहता है । परिवार का साथ नहीं मिलता है । माता को/से परेशानी रहती है । बुद्ध कीमहादशा में जातक परिवार से दूर रहता है । यदि चन्द्रमा बलाबल में मजबूत और शुभ स्थित हो तो विपरीत राजयोग बनता है और जातक को ३,६,८,१२ भाव सेसंबंधित शुभ फल प्राप्त होते हैं ।
नीच राशि में आने से जातक पितृ भक्त , धार्मिक , भाग्यवान नहीं होता है । अपने परिश्रम से विदेश यात्रायें करने वाला होता है , लेकिन लाभ कम ही मिलता है ।छोटे भाई बहन से नहीं बनती । खर्चे संभाले नहीं सम्भलते ।
बुद्ध की महादशा में प्रोफेशन समाप्ति के कगार पे आ जाता है । मात को कष्ट , सुख सुविधाओं में कमी आती है। जातक को बहुत म्हणत करनी पड़ती है , परिवारसे दूर रहने या विदेश सेटेलमेंट का योग बनता है ।
यहां बड़े भाई बहनो से सहायता नहीं मिलती है । पुत्री प्राप्ति का योग बनता है। बुद्ध की महादशा में खुद का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता है । बहुत मेहनत के बाद पैसाआता है और जाने का पता ही नहीं चलता है । बड़े भाई बहन के अंडर काम करने और बाहर मेहनत के बाद भी कुछ न मिलने की संभावना रहती है ।
विदेश सेटलमेंट का योग बनता है । संतान को लेकर परेशानी मिलती है , मन खिन्न रहता है , व्यर्थ के खर्चे लगे रहेंगे । वाणी खराब होती है । ऋण वापसी नहीं होगी, रोग लगे रह सकते हैं । विदेश यात्रा का योग बनता है । बहुत मेहनत करने पर भी परिणाम उचित नहीं आ पाते हैं । यदि चन्द्रमा बलाबल में मजबूत और शुभ स्थित हो तो विपरीत राजयोग बनता है और जातक को 3, 6, 12 भाव से संबंधित शुभ फल प्राप्त होते हैं ।
ध्यान देने योग्य है की कर्क लग्न मकई कुंडली में बुद्ध रत्न पन्ना किसी भी सूरत में धारण न करें । बुद्ध के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए ।