भारत देश में प्रचलित पौराणिक ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार मंगल देवताओं के सेनापति कहे जाते हैं । स्वभाव से क्रूर देव गृह मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं जो कर्क में नीच व् मकर राशि में उच्च के माने जाते हैं । कन्या लग्न की कुंडली में मंगल तृतीयेश, अष्टमेश होकर एक मारक गृह के रूप में मान्य हैं । इस लग्न कुंडली के जातक को किसी भी सूरत में मंगल रत्न मूंगा धारण नहीं करना चाहिए। आपको बताते चलें की जन्मपत्री के उचित विश्लेषण के बाद ही उपाय संबंधी निर्णय लिया जाता है की उक्त ग्रह को रत्न से बलवान करना है, दान से ग्रह का प्रभाव कम करना है , कुछ तत्वों के जल प्रवाह से ग्रह को शांत करना है या की मंत्र साधना से उक्त ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त करके रक्षा प्राप्त करनी है आदि । मंत्र साधना सभी के लिए लाभदायक होती है । आज हम कन्या लग्न कुंडली के १२ भावों में मंगल देव के शुभाशुभ प्रभाव को जान्ने का प्रयास करेंगे …
यदि लग्न में मंगल हो तो जातक परेशान रहता है । मंगल की महादशा में स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता है । दाम्पत्य जीवन अस्त व्यस्त रहता है और साझेदारी के काम सेहानि का योग बनता है । हर काम में जगह जातक को परेशानी झेलनी पड़ती है ।
ऐसे जातक को धन , परिवार कुटुंब का साथ नहीं मिलता है । वाणी उग्र होती है । मंगल की महदशा में हर काम में जगह जातक को परेशानी झेलनी पड़ती है , पुत्रप्राप्ति का योग बनाता है ।
जातक बहुत परश्रमी होता है । बहुत परिश्रम के बाद भी जातक का भाग्य उसका साथ नहीं देता है ।। छोटे भाई का योग बनता है । पिता से सम्बन्ध उत्तम नहीं रहते हैं। विदेश यात्रा में रुकावट आती है । रोग , ऋण , शत्रु , कोर्ट केस से दिक्कत मिलती है । प्रोफेशन की स्थिति डावांडोल रहती है ।
मंगल की महदशा में चतुर्थ भाव में मंगल होने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का सुख प्राप्त नहीं होता है । काम काज भी बेहतर स्थिति में नहीं होता है ।विदेश सेटलमेंट की सम्भावना बनती है । दाम्पत्य जीवन सुखी नहीं रहता है , दैनिक आय में कमी आती है । प्रोफेशन की स्थिति डावांडोल रहती है । बड़े भाइयोंबहनो से संबंध बहुत अच्छे नहीं रहते हैं । छाती में कोई रोग होने की संभावना रहती है ।
अचानक हानि की स्थिति बनती है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध बहुत अच्छे नहीं रहते हैं , लाभ प्राप्ति का नहीं योग बनता है । स्वास्थ्य उत्तम नहीं रहता है , पुत्र प्राप्तिका योग बनता है । पेट में कोई बीमारी होने का योग बनता है ।
कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । प्रतियोगिता में बहुत मेहनत के बाद विजयश्री हाथ आती है । मंगल की महदशा में कोई नकोई टेंशन बनी रहती है । छोटे भाई , पिता को समस्याएँ आती हैं । हॉस्पिटल में खर्चा होता है । मंगल की महदशा में जातक को कोई न कोई टेंशन बनी रहती है ।बुद्ध बलवान हो तो परिणाम शुभ जाने ।
जातक/ जातीका का वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रहता है। पति / पत्नी थोड़ा झगड़ालू प्रवृत्ति के हो सकती है । व्यवसाय व् साझेदारों से लाभ प्राप्ति का योग नहींबनता है। प्रोफेशन उत्तम स्थिति में नहीं रहता है , धन में कमी रहती है , जातक बहुत कड़वा बोलने लगता है ।
यहां मंगल के अष्टम भाव में स्थित होने की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है । मंगल की महादशा /अंतर्दशा में टेंशन बनी रहती है । लाभ में कमीआती है , कुटुंब का साथ नहीं मिलता है , धन की हानि होती है । बुद्ध के बलवान होने पर विपरीत राजयोग बनता है और मंगल शुभ परिणाम प्रदान करते हैं ।
जातक आस्तिक व् पितृ भक्त नहीं होता है । पिता को प्रोब्लेम्स आती हैं । विदेश यात्रा करता है । छोटे भाई बहनो का साथ कम ही मिलता है । फिजूल व्यय होता है। जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का सुख प्राप्त नहीं होता है । मन अशांत रहता है ।
जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख नहीं मिलता है । प्रोफेशनल लाइफ अच्छी नहीं होती है । काम काज में प्रोब्लेम्स आती ही रहती है । पुत्रप्राप्ति का योग बनता है । जातक बहुत क्रोधित रहता है । कोई ना कोई हानि जरूर होती है ।
यहां स्थित होने पर बड़े भाई बहनो से संबंध मधुर नहीं रहते है , धोखा मिलता है । नीच राशि में आने से पेट में छोटी मोटी बीमारी लगने की संभावना रहती है । पुत्रप्राप्ति का योग बनता है । बुद्धि थोड़ी अग्रेसिव हो जाती है । मुश्किलें दूर होने का नाम नहीं लेती ।
छोटे भाई बहन , पिता से नहीं बनती है । मेहनत के परिणाम नहीं मिलते हैं । मन परेशान रहता है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बनारहता है । मंगल की महदशा में व्यर्थ का खर्च बना रहता है । दाम्पत्य जीवन कलह से भरता है व् दैनिक आय में कमी आती है । विपरीत राजयोग की स्थिति मेंपरिणाम शुभ जाने ।
कृपया ध्यान दें ….मंगल के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए । किसी भी सूरत में मूंगा रत्न धारण न करें। कुंडली का उचित विश्लेषण करवाने के उपरान्त ही किसी उपाय को अपनाएँ ।