नव ग्रहों में वृहस्पति देव सबसे अधिक शुभ गृह के रूप में जाने जाते हैं । इन्हें देवगुरु का दर्जा प्राप्त है । कुंडली का दूसरा, पांचवां, नौवां, दसवां और ग्यारहवां भाव देव गुरु के कारक भाव कहे गए हैं । लग्न भाव में गुरु को दिशाबाल प्राप्त है । कालपुरुष कुंडली में गुरु को नौवां व् बारहवां भाव प्राप्त है । ज्ञान के कारक गुरु एक मोक्षकारक ग्रह कहे गए हैं । इनसे बड़े भाई का भी विचार किया जाता है । इनको देव गृह के रूप में ख्याति प्राप्त है । आज हम jyotishhindi.in के माध्यम से आपसे सांझा करने जा रहे हैं की गुरु की महादशा में हमें किस प्रकार के फल प्राप्त होने संभावित हैं । इसके साथ ही हम यह भी आपको ऐसे उपायों के बारे में भी बताएँगे जो गुरु के नकारात्मक परिणामों को कम करने में सहायक हैं । आइये जानते हैं गुरु की महादशा में प्राप्त होने वाले शुभ अशुभ फलों के बारे में …
गुरु की महादशा सोलह वर्ष की होती है । यदि लग्न कुंडली में गुरु एक कारक गृह हों और शुभ स्थित भी हों तो जातक/जातिका को निम्लिखित फल प्राप्त होने संभावित होते हैं …
यदि गुरु किसी प्रकार से शनि, राहु व् केतु से सम्बन्ध बनाये हुए हो तो इन फलों में कुछ कमी आ जाती है ।
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यधपि गुरु नवग्रहों में सर्वाधिक शुभ गृह होते हैं । इसके बावजूद यदि लग्न कुंडली में गुरु एक अकारक गृह हों और अशुभ भाव में स्थित भी हों अथवा शनि राहु, या केतु से दृष्ट हों या पाप कर्त्री योग से प्रभावित हों तो जातक/जातिका को निम्लिखित फल प्राप्त होने संभावित होते हैं …
यदि लग्नकुंडली में गुरु एक मारक गृह हैं तो गुरूवार को गुरु से सम्बंधित वस्तुओं पीली वस्तुओं जैसे सोना, हल्दी, चने की दाल, आम (Mango), केला (Banana), हल्दी की गांठें दान करें ।
ध्यान देने योग्य है की किसी भी गृह की से सम्बंधित पूजा, पाठ, व्रत, प्रार्थना की जा सकती है भले ही वह गृह लग्नेश का मित्र हो अथवा नहीं । स्टोन केवल लग्नेश के मित्र शुभ स्थानस्थ गृह अथवा कुछ विशेष परिस्थितियों में शुभ स्थानस्थ सम गृह का ही धारण किया जाता है । दान लग्नेश के शत्रु अकारक गृह से सम्बंधित वस्तुओं का किया जाता है और यदि अकारक गृह बहुत प्रभावशाली हो तो उसे शांत करने के लिए गृह से सम्बंधित वस्तुओं का जल परवाह किया जाता है ।
यहाँ हमने ( Jyotishhindi.in ) केवल गुरु की महादशा में प्राप्त होने वाले फलों की संभावना व्यक्त की है । किसी भी उपाय को अपनाने अथवा कोई स्टोन धारण करने से पूर्व किसी योग्य विद्वान से कुंडली विश्लेषण करवाना परम आवश्यक है ।