ज्योतिषहिन्दीडॉटइन के विज़िटर्स को ह्रदय से नमन । आज हम गोचर सम्बन्धी कुछ महत्वपूर्ण तथ्य आपके समक्ष रखने जा रहे हैं । आशा है की यह जानकारी आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण होगी और फलकथन में भी अत्यधिक सहायक रहेगी । जैसा की आप सभी जान ही चुके हैं की लग्न से गोचर देखने पर जानकारी प्राप्त होती है की कौन से भाव सम्बन्धी फल प्राप्त होने वाले हैं । ठीक इसी प्रकार चंद्र से गोचर देखने पर पता चलता है की अमुक फल किस समय प्राप्त होने संभावित हैं । यहाँ ध्यान रखना आवश्यक होता है की चन्द्रमा से गोचर केवल उन्ही फलों की प्राप्ति का समय दिखता है जिनका लग्न कंडली में हो । कहने का अभिप्राय यह है की जिन फलों को लग्न कुंडली नहीं दिखाती वे प्राप्त नहीं होंगे भले ही चन्द्रमा से गोचर कितना भी शुभ हो ।
भाव सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करने के लिए लग्न से गोचर को महत्व देना अनिवार्य है । जैसे यदि आपका आपका कन्या लग्न है और शनि छठे भाव में है तो छठे शनि की महादशा अन्तर्दशा में छठे भाव सम्बन्धी फल प्राप्त होने संभावित हैं । अब यह शनि शुभ फल प्रदान करेंगे या अशुभ इस जानकारी के लिए चंद्र से गोचर देखना होगा । नियम कहता है की चन्द्रमा स्वयं और पापी अथवा क्रूर गृह जन्मकालिक चन्द्रमा से उपाच्य भावों यानि तीन छह दस अथवा ग्यारह भाव में सबसे बढिया फल देते हैं। वहीँ शनि मंगल गुरु और सूर्य का जन्मकालिक चन्द्रमा से पहले, आठवें, अथवा बारहवें भाव का गोचर विशेषकर अशुभ कहा गया है ।
Also Read: जानिये कुंडली के अति विशिष्ट योगकारक ग्रहों के बारे में Vishisht Karak Grah Information
चन्द्रमा के साथ एक ही भाव में अथवा एक भाव आगे या एक भाव पीछे शनि स्थित होने पर साढ़ेसाती का निर्माण होता है ।
लग्न कुंडली में गृह जिस भाव में बैठे हों और जिन भावों को देखते हों उन सभी भावों से सम्बंधित फल प्रदान करते हैं ।
गोचर अकेला फल प्रदान करने में सक्षम नहीं होता है । अतः दशा का विचार अत्यंत महत्वपूर्ण है । यदि दशा किसी घटना या फल को नहीं बता रही है तो गोचर कितना ही शुभ क्यों न हो फल प्राप्त नहीं होंगे ।
जब कोई गृह उसी भाव में गोचर करता है जिसमे वह जन्मकुंडली में है तो उसके फलों में वृद्धि हो जाती है ।
एक कारक व् शुभ गृह की दशा में यदि गोचर शुभ न हो तो शुभ फल प्राप्त नहीं होते ।
यहाँ एक और तथ्य ध्यान में होना आवश्यक है की चन्द्रमा से गोचर देखते समय वेध का ध्यान होना भी अत्यंत आवश्यक है अन्यथा आपको फलादेश में बहुत बाधा होगी । उदाहरण के लिए यदि किसी शुभ गृह की दशा चल रही है और गोचर भी शुभ दिखाई दे रहा है परन्तु वेध लगा हुआ है तो न केवल शुभ फलों में कमी आती है बल्कि उलट परिणाम भी प्राप्त होते हैं । अतः गोचर की जानकारी होने के साथ साथ वेध की जानकारी होना नितांत आवश्यक है ।
आशा है आज का लेख आप सभी के लिए उपयोगी हो । हम केवल माध्यम हैं । जो कुछ आपसे सांझा कर रहे हैं यह हमारा नहीं है । हम केवल पढ़ते हैं, अपने अनुभव से समझने का प्रयास करते हैं और महत्वपूर्ण तथ्यों को आपके समक्ष रखते हैं । हमारा उद्देश्य केवल इतना है की आप स्वयं परिश्रम करें, ज्योतिष स्वयं समझें और किसी बेईमान के झांसे में आकर लाखों रूपए बर्बाद न करें । अंत में आपसे प्रार्थना है की अपने कुलदेवी और कुलदेवता को हमेशा याद रखें । आप सभी का मंगल हो । जय सिया राम ….